प्रोटीन का पाचन / Digestion of Protein in Hindi
प्रोटिन का पाचन कहां होता है ?
प्रोटिन का पाचन मुँह में नहीं होता है। क्योंकि मुँह में लार उपस्थित होती है जो भोजन को गीला एवं चिपचिपा बनाती है। लार में केवल टायलिन नामक एन्जाइम्स पाये जाते हैं जो केवल स्टार्च पर ही क्रिया करते है और उसे ही कुछ हद तक पचा पाता है। प्रोटिन का पाचन मुख्य रूप से आहार-नाल के तीन स्थानों पर होता है-
- आमाशय (Stomach)
- पक्वाशय (Duodenum)
- शेषान्त्र (Ileum)
आमाशय में प्रोटीन का पाचन / Digestion of Protein in Stomach
आमाशय में भोजन के पहुँचने पर आमाशय से जठर रस (Gastric Juice) निकलता है। यह जठर रस भोजन में आकर मिलता है और उसका पाचन करता है। जठर रस का निकलना गैस्ट्रीन (Gastrin)नामक हारमोन के उतेजित होने से होता है। जठर रस अम्लीय प्रकृति (Acidic in Nature)का होता है। इसमें 90 प्रतिशत तक जल, 0.5 % तक HCL (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) तथा कुछ मात्रा मे पेप्सिन एवं रेनिन एन्जाइम्स होते हैं।
जठर रस भोजन में आकर मिल जाता है और उसे गीला बनाता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन के माध्यम को अम्लीय बनाता है, साथ ही यह भोजन में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं, विषाणुओं आदि को मार डालता है।जठर रस में उपस्थित हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं रेनिन दूध पर क्रिया करता है और उसे दही में बदल देता है। इसमें से रेनिन केवल दूध में उपस्थित कैसीनाजन (Caseinogen)नामक प्रोटिन के साथ क्रिया करता है और दूध मं घूलनशील ठोस कैसीन(Casein) अर्थात कैल्शियम पैराकैसिनेट (Calcium Paracaseinate) में बदल देता है।
आमाशय की भिति के पेशीयों में पाचन क्रिया के समय एक प्रकार का मूवमेन्ट (Peristaltic Movement) होता रहता है जिसके फलस्वरूप भोजन जठर रस के साथ मिलता रहता है तथा भोजन का पूर्ण मंथन (Churning) हो जाता है। भोजन यहाँ लेई की अवस्था में आ जाता है जिसे काइम (Chyme) कहा जाता है। अब यह काईम जिसमें प्रोटिन सरल रूप में रहता है वह आमाशय से होते हुए छोटी आँत के पक्वाशय भाग में पहुँचता है।
पक्वाशय में प्रोटीन का पाचन / Digestion of Protein in Duodenum
भोजन जब पक्वाशय में पहुंचता है, तब पक्वाशय की भीतीय कोशिकाओं से तीन प्रकार के एन्जाइम्स का स्रावण होता है-
- सेक्रीटिन (Secretin)
- पेन्क्रिमोजाइमिन (Pancreozymin) एवं
- कोलेसिस्टोकाइनिन (Cholecystokinin)
कोलेसिस्टोकाइनिन रक्त द्वारा यकृत में पहुंचता है तथा पिताशय (Gall Bladder) से पित निकालने का संकेत करता है जिससे पित शीघ्र ही निकलकर पक्वाशय में पहुंच जाता है। पित की प्रवृति क्षारिय होती है। अतः पक्वाशय में भोजन का माध्यम अम्लीय से क्षारिय हो जाता है। पक्वाशय से सेक्रीटीन एवं पेनिक्रियोजाइमिन हारमोन निकलकर रक्त परिसंचरण द्वारा अग्नाशय को उतेजित करता है। अग्नाशय के उतेजित होने से अग्नाशयिक रस (Pancreatic Juice) निकलता है।
अग्नाशय रस में ट्रिप्सीन तथा काइमोट्रिप्सीन (Trypsin and Chymortrypsin) एन्जाइम्स उपस्थित होते हैं। ये दोनो ही एन्जाइम्स बिना पचे तथा अधपचे प्रोटिन पर क्रिया करते है तथा उन्हे सरल पाॅलीपेप्टाइड्स एवं अमीनो अम्ल में बदल देते है।यह पाॅलीपेप्टाइड्स युक्त भोजन आँतो के क्रमानुकुंचन गति के कारण पक्वाशय से आगे बढते हुए शेषान्त्र में पहुंच जाता है। पक्वाशय में भोजन और अधिक तरल हो जाता है जिसे काइल (Chyle) कहते हैं।
शेषान्त्र में प्रोटीन का पाचन / Digestion of Protein in Ileum
भोजन जब शेषान्त्र भाग में पहुंचता है तब यहाँ भोजन में आंत्र रस (Intestinal Ju)आकर मिलता है। आंत्र रस की प्रकृति क्षारिय होती है। अतः यहाँ भोजन का पाचन क्षारिय माध्यम में होता है। आंत्र रस में इरेप्सिन नामक एन्जाइम्स उपस्थित होता है जो पाॅलिपेप्टाइड पर क्रिया करता है और उसे प्रोटिन का सबसे सरलतम अणु अमीनो अम्ल में परिवर्तित कर देता है।
इस प्रकार प्रोटिन का पाचन सबसे पहले आमाशय , उसके बाद में पक्वाशय से होते हुए अंत में शेषान्त्र में प्रोटिन का पूर्ण रूप से पाचन हो जाता है।
Credits – Dr. Brinda Singh
धन्यवाद
Non ruminent ka digestion ko batana batana sir.
Aur ruminent digetion batane k liye thanks u sir