जायफल / जातिफल (Myristica officinalis)
जायफल के वृक्ष समुद्री तटों पर अधिक होते है | सिंगापूर, श्रीलंका, सुमात्रा, मलाया आदि द्वीपों पर जायफल के वृक्ष पाए जाते है | हमारे भारत के दक्षिण क्षेत्र में निलगिरी की पहाडियों पर इसके वृक्ष लगाए गए है |
भारत में जायफल को मुख्या तय मसाले के रूप में काम में लिया जाता है | इसके आलावा इसे घरेलु उपचार में भी प्रमुखता से प्रयोग में लिया जाता है | जायफल के वृक्ष पर लगने वाले फलो के पकने पर जो अन्दर से गिर्री निकलती है वही जायफल कहलाती है | इसमें तीव्र गंध आती है | जायफल स्वाद में कटु , तिक्त , तीक्षण और वीर्य में उष्ण वीर्य होता है इसलिए जायफल कफ रोगों में बहुत फायदेमंद होता है |
जायफल रुचिकारक , दीपन और पाचक होता है इसलिए इसे पाचन सम्बंधित रोगों में भी प्रयोग में लिया जाता है |
जायफल का रासायनिक संगठन
जायफल में क्षार, स्टार्च,वसा और स्थिर तेल (25%) होता है | इसके अलावा इसमें उड़नशील तेल (5%) भी होता है | सुगन्धित उड़नशील तेल में युजिनोल होता है एवं स्थिर तेल में माय्रिस्टिक 61% मुख्या रूप से घटक होता है |
रोग प्रभाव – ह्रदय रोग , वमन, कास, कृमी, गृहणी, अग्निमंध्य, आफरा, प्रतिस्याय ( जुकाम ) , अनिद्रा एवं शीघ्रपतन |
द्रव्य योग – जातिफलादी चूर्ण, कामदेव मोदक, वृष्य योग |
जायफल के औषधीय उपयोग एवं फायदे
- अतिसार या दस्त लगने पर 1 ग्राम जायफल चूर्ण को छाछ के साथ दिन में दो बार ले |
- अगर आपको आफर आया हुआ है तो जायफल घिस कर इसमें सरसों का तेल मिला कर नाभि के पास लगाने से आफरे में तुरंत आराम मिलता है |
- जुकाम या कफ रोगों में 250-500 mg जायफल के चूर्ण को शहद के साथ चाटे | जल्दी ही राहत मिलेगी |
- सर दर्द में जायफल को घिस कर सिर पर लगावे या इसके चूर्ण को दूध में मिला कर सेवन करे |
- जायफल को देशी घी के साथ लेने से पेट दर्द में आराम मिलता है |
- जिनको शीघ्रपतन या धातु दर्बलता की सिकायत है वे जायफल के 250-500 mg चूर्ण को शहद या घी के साथ ले जल्दी समस्या से छुटकारा मिलेगा |
- दांत में दर्द होने पर जायफल को घिस कर इससे दांतों पर मालिश करनी चाहिए |
- जिनको अधिक प्यास लगने की शिकायत रहती वे जायफल को मुंह में रख कर चुसे | जल्दी ही समस्या से निजात मिलेगा |
- जायफल को घिस कर चहरे पर लगाया जाये तो फुन्सिया नहीं होती |
जायफल सेवन में बरती जाने वाली सावधानियां
- जायफल एक मादक औषधि है | इसलिए इसका सेवन अधिक मात्रा में नही करना चाहिए |
- अधिक सेवन से मूढ़ता और सिर चकराने जैसी शिकायत हो सकती है |
- जायफल पित को बढाने वाला होता है | अगर आपकी पित्त प्रकृति है तो इसका इस्तेमाल ना करे |
- जायफल उष्ण वीर्य होता है , अत: अधिक दिनों तक सेवन से इसकी गर्मी के कारन आपका वीर्य पतला हो सकता है | निश्चित समय तक ही इस्तेमाल करे |
- गर्भवती महिलाओ का इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए | अगर आपको प्रयोग में लाना ही है तो अपने वैध की देख रेख में करे |
- अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में जलन और अम्लता को बढ़ सकती है |
- बताई गई मात्रा से कभी भी अधिक सेवन ना करे |
धन्यवाद |