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बायोटिन
बायोटिन को Vitamin – H भी कहा जाता है | यह सामन्यतय विटामिन b-complex का ही हिस्सा है जो वसा में घुलनशील है | यह विटामिन शरीर में कार्बोज और वसा के संस्लेषण का कार्य करता है | भ्रूण के उचित विकास और हमारे शरीर के नाखूनों एवं बालों की सेहत के लिए अत्यंत आवश्यक तत्व है | शरीर में इस विटामिन की कमी नहीं होती लेकिन फिर भी किसी कारणों से अगर कमी हो जाए तो इसके प्रभाव शरीर पर देखने को मिलते है जैसे – बालों का झाड़ना, नाखुनो का टूटना, त्वचा का रंग में परिवर्तन , आँखों में सूखापन, थकन और कमजोरी आदि |
बायोटिन की खोज
सन 1901 से ही वैज्ञानिक इस खोज में जुट गए थे की आख़िरकार वह कोनसा तत्व है जो खमीर की वर्द्धि के लिए परम आवश्यक होता है | फिर सन 1916 में वैज्ञानिक शोधों एवं अनुसन्धानो से यह पता चला की कच्चे अंडे के सफ़ेद भाग को अगर चूहे लगातार खाते है तो ये उनके लिए जहरीला हो जाता है |
सन 1927 में बोआज (Boas) नमक वैज्ञानिक ने जब चूहों को प्रोटीन के मुख्य स्रोत के तौर पर कच्चे अंडे की सफेदी को खिलाया तो उनमे चरम रोग, बालों का झड़ना, मांसपेशियों में खिंचाव आदि समस्या हो गई | लेकिन जब अंडे के पीले भाग को खिलाया गया तो ये जल्द ही स्वस्थ हो गए | इसतरह यह निर्धारित हुआ की कोई तत्व है जो प्रभावित करता है | फिर सन 1937 में Gyorgy ने इस तत्व को Vitamin – H नाम दिया |
इससे पहले 1931 में kogel और Tonnis ने इसे अंडे के पीले भाग से शुद्ध रूप से प्रथक किया और इसे ‘बायोटिन’ नाम दिया |
बायोटिन की विशेषताएँ
- यह रंगहीन यौगिक है |
- यह ठन्डे जल में अंशत: घुलनशील है लेकिन गर्म जल में पूर्णत: घुलनशील होता है |
- तीव्र अम्लीयता और क्षारीयता के प्रति अस्थिर होता है | अत: इनके सम्पर्क में आते ही बायोटिन विटामिन नष्ट हो जाता है |
- ताप या उर्जा के प्रति स्थिर है |
- ऑक्सीडेशन से यह नष्ट हो जाता है |
- एल्कोहोले में यह अल्प घुलनशील है और वसा में यह ता अघुलनशील है |
शरीर में बायोटिन के कार्य
शरीर में बायोटिन कई तरह से कार्य करता है | इसका प्रयोग बालों के झड़ने और नाखूनों के कमजोर होने पर उपचार के तौर पर किया जा सकता है | यह शरीर में ट्राईग्लीसिराइड के लेवल को कम करने का कार्य भी करता है | भ्रूण के सामान्य विकास और शरीर में कार्बोज , वसा और एमिनो एसिड के चया-अपचय में काफी सहायक होता है |
- शरीर में यह कार्बन – डाई ऑक्साइड के स्थरीकरण का कार्य करता है जिससे विभिन्न चयापचयी क्रियाएँ आसानी से हो सके |
- बायोटिन संत्राप्त वसा के संश्लेषण में सहायक होती है | वसीय अम्लो के संश्लेषण के लिए बायोटिन युक्त एंजाइम की आवश्यकता होती है |
- Kreb’s Cycle को पूरा करने के लिए भी यह कई जगह सहायक की भूमिका निभाता है |
- त्वचा के स्वास्थ्य के लिए अत्यावश्यक है | इसके आभाव में त्वचा मोटी , खुरदरी एवं रुक्ष हो जाती है |
- यह मांसपेशियों को सुरक्षित रखने में भी सहायक होता है |
- बायो टिन शरीर में फोलिक अम्ल , पेंताथिनिक अम्ल और विटामिन B12 की उपयोगिता को बढ़ता है |
- यह DNA और RNA का महत्वपूर्ण घटक है | इसलिए इसकी उपयोगिता आप समझ सकते है |
शरीर पर बायोटिन की कमी के प्रभाव
सामान्यत: शरीर में बायोटिन की कमी नहीं होती है क्योंकि यह विटामिन सभी प्रकार के भोज्य पदार्थों में विद्यमान रहता है | परन्तु वे लोग जो कच्चे अंडे का सेवन अधिक करते है , उनके शरीर में अक्सार बायोटिन / Vitamin-H की कमी हो जाती है | क्योंकि कच्चे अंडे में Avidin होता है जो एक प्रकार का प्रोटीन है और वह विषाक्त होता है | यह avidin बायोटिन के अवशोषण में बाधक होता है | उबालने पर Avidin नष्ट हो जाता है और बायोटिन का शरीर द्वारा अवशोषण हो जाता है | अधिक शराब का सेवन करने और अधिक कच्चे अंडे का सेवन करने से बायोटिन की शरीर में कमी हो जाती है |
बायोटिन की कमी से शरीर पर निम्न प्रभाव पड़ते है –
- त्वचा खुरदरी , रुखी, चमकहीन एवं बेजान हो जाती है | इसकी कमी से त्वचा की उपरी परत झड़ने लगती है | त्वचा में खुजली चलने लगती है | विशेषकर हाथ, पैर, गले, बांह और मुंह की त्वचा अत्यधिक प्रभावित होती है |
- त्वचा का रोग Dermatitis हो जाता है | और त्वचा अपना स्वाभाविक रंग खो देती है |
- त्वचा पर झुर्रियां पड़ने लगती है |
- भूख लगनी कम हो जाती है |
- हाथ – पैरों की पेशियों में पीड़ा होने लगती है |
- चक्कर आने लगते है |
- रोगी मानसिक रूप से व्यग्र एवं बैचन रहने लगता है |
- शरीर में आलस्य और सुस्ती होने लगती है |
- कभी-कभी रक्ताल्पता भी हो जाती है |
- शीघ्र थकान होने लगती है |
शरीर में बायोटिन की कमी होने के कारण
शरीर में बायोटिन की कमी होने के कारण बहुत से कारण , इनमे से कुछ निचे दे रहे है |
- अत्यधिक शराब के सेवन से |
- कच्चे अन्डो का अत्यधिक सेवन करने से |
- बायोटिन रहित पदार्थो का सेवन लम्बे समय तक करने से |
- बार-बार दस्त लगने से भी इसकी कमी हो जाती है |
- कृत्रिम दूध के सेवन से शिशुओं में इसकी कमी हो जाती है |
- आंतो में बायोटिन उत्पादन करने वाले जीवाणुओं के नष्ट होने से भी इसकी कमी हो जाती है |
- कुच्छ विशेष एंटीबायोटिक दवाइयों के अधिक सेवन से भी शरीर में बायोटिन की कमी हो जाती है |
- आंतो में दोष या विकार पैदा होने से भी इसको कमी हो जाती है |
बायोटिन / Vitamin – H के प्राप्ति के स्रोत
बायोटिन सभी प्रकार के भोज्य पदार्थों में विद्यमान रहता है |खमीर, यकृत, मूंगफली, सोयाबीन,गेंहू की मींगी , चावल की उपरी परत आदि में यह स्रवाधिक मात्रा में पाया जाता है | सभी प्रकार के दाल , सूखे मेवे, अनाज, मच्छली, मांस, अंडा, तेल्बिज, दूध आदि भोज्य पदार्थो में भी यह प्रचुरता से पाया जाता है |
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