परिचय – विटामिन K की खोज डैम (Dam) और स्कोनहेडर (Schonheyder) ने मिलकर की थी | उन्होंने सन 1934 में इस विटामिन को खोज निकला था | इन्होने अपने प्रयोगों में मुर्गी के बच्चों को लगातार सभी प्रकार के खनिज, उस समय तक खोजे गए सभी विटामिन , प्रोटीन और स्टार्च आदि को खिलाया तो मुर्गी के बच्चों में आंतरिक रक्तस्राव (Internal Haemorhage)शुरू हो गया |
लेकिन जब मुर्गियों के बच्चो को लुसर्न (lucern) और सड़ी मछलियों को खिलाया गया तो यह रक्त स्राव बंद हो गया | तब दोनों ने इन पदार्थो में पाए जाने वाले एक तत्व को अलग किया | यह तत्व अन्य विटामिनों की तरह वासा में घुलनशील था अत: डैम ने इसे ” रक्त स्राव प्रतिरोधक तत्व” कहा | बाद में जाकर सन 1935 में इसे विटामिन ‘के’ ( Koagulations-Vitamin) नाम दिया| 1939 में डैम और कर्रेर वैज्ञानिकों ने इसे शुद्ध रूप से हरी पतेदार सब्जियों से प्रथक किया और इसका नाम विटामिन – k रखा |
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विटामिन – K के प्रकार
विटामिन के मुख्यत: 2 प्रकार का होता है |
1. विटामिन के1 – विटामिन के1 को Phylloquinone कहा जाता है | यह विटामिन हरी पत्तेदार सब्जियों में रहता है | इसकी खोज 1939 में डोजी एवं साथियों ने की थी |
2 . विटामिन के2 – विटामिन के2 सड़ी – गली मच्छलियों से प्राप्त किया जाता है | इसे Franquinone भी कहा जाता है |
शरीर में विटामिन – K के कार्य
शरीर में विटामिन के का मुख्य कार्य रक्त का थक्का जमाना होता है | रक्त में प्रोथ्रोम्बिन होता है | प्रोथ्रोम्बिन रक्त ज़माने में अतिआवश्यक तत्व होता है | इसका निर्माण विटामिन – K के द्वारा ही होता है | जब रक्त जमता है तब प्रोथ्रोम्बिन का थ्रोम्बिन में बदलना आव्व्श्यक होता है
दर:शल जब किसी स्थान पर चोट लगती है , तो उस स्थान के आस – पास के उतक और कोशिकाएं भी क्षतिग्रस्त होती है | कटे हुए भाग में रक्त बहने लगता है | अब रक्त में उपस्थित बिम्बाणु (Platelets) तथा कुछ ब्लड फैक्टर क्षतिग्रस्त उतकों से मिलकर thromboplastin बनाते है | जब प्रोथ्रोम्बिन सक्रीय हो जाता है एवं कुछ Blood Factor के साथ मिलकर रासायनिक क्रिया करता है तब एक नविन पदार्थ का निर्माण होता है जिसे थ्रोम्बिन कहते है |
अब रक्त प्लाज्मा में फाइब्रिनोजन (Fibrinojan) नामक एक घुलनशील प्रोटीन होता है | जो थ्रोम्बिन से मिलकर रासायनिक क्रिया करता है और फिब्रिनोजन को फैब्रिन में बदल देता है | इसी फैब्रिन में आकर कोशिकाएं फंस जाती है | इस प्रकार से विटामिन – K शरीर में रक्त को ज़माने में मुख्य भूमिका निभाता है |
विटामिन ‘के’ की कमी के शरीर पर प्रभाव
शरीर में विटामिन – K की कमी कई कारणों से होती है जैसे-
- आहार में विटामिन ‘के’ की कमी से
- आंतो में आन्तरिक रक्तस्राव होने से
- अधिक रोग-प्रतिरोधक पदार्थो के सेवन से
- पीलिया रोग होने पर
- यकृत का रोग होने पर
- छोटी आंत में विटामिन – ‘के’ का अवशोषण ठीक तरीके से नहीं होने पर
- पेचिस या बार उल्टी होने से भी शरीर में विटामिन के की कमी हो जाती है |
शरीर में विटामिन ‘के’ की कमी हो जाने से रक्त में प्रोथ्रोम्बिन की मात्रा कम हो जाती है | इसलिए रक्त का थक्का देर से जमता है | रक्त का थक्का देरी से बनने से शरीर से अधिक मात्रा में रक्त निकल जाता है | और इस कारण व्यक्ति की जान तक जा सकती है | अगर नवजात शिशुओं की माताओं में विटामिन के की कमी होती है तो नवजात शिशु में भी इसकी कमी हो जाती है जिसे नवजात शिशुओं के “रक्तस्रावी रोग” के नाम से जाना जाता है | इसका उपचार नवजात के अमाशय में Tubes के द्वारा विटामिन के पंहुचाया जाता है | विटामिन K देने के 1-2 दिन में ही रक्त प्लाज्मा में प्रोथ्रोम्बिन का स्तर सामान्य हो जाता है |
विटामिन के के स्रोत
विटामिन K हरी पत्तेदार सब्जियों में प्रचुरता से मिलता है | अनाज , दाले , अंडा, दूध , मांस और मछली में भी यह प्रचुर मात्रा में पाया जाता है | अन्य सब्जियां और फल आदि में भी यह मिलता है लेकिन बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है | सबसे अधिक हरी चुकंदर , ब्रोकोली (Broccoli), सलाद , पतागोभी और पालक में पाया जाता है | इसके अलावा दूध, पनीर,मक्खन, मुर्गी का अंडा, हरा मटर, सेम आदि में भी यह ठीक – ठाक मात्रा में मिलता है | सबसे कम टमाटर, आलू, कद्दू, चावल, केला, संतरा में पाया जाता है |
धन्यवाद |
Sir vitamin K’ ki kami ko apane sharir main kis prakar se purti kare
Sar ji bahut voth fahte hain to kya kiya jaaye
Kis vitamin ki purti ke bad vote Patna band Ho jaenge