विटामिन ए क्या है
शरीर को पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए विटामिनो की आवश्यकता होती है | हममें से अधिकतर विटामिन ए के बारे में सिर्फ इतना ही जानते है की इस विटामिन से आंखे तेज होती है , त्वचा सुन्दर रहती है या यह एक एंटीओक्सिडेंट है | लेकिन आज हम आपको विटामिन ए के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जैसे विटामिन ए की खोज, इसके प्रकार, फायदे , विटामिन ए के कार्य एवं इसकी कमी से होने वाले रोग आदि से परिचित करवाएंगे | (कृपया पूरा लेख पढ़ें – विटामिन ए को आसानी से समझ जायेंगे) विटामिनों की खोज में सबसे पहले जिसे खोजा गया था , वह विटामिन ए ही था | इसकी आंशिक रूप से खोज मैक्कोलम ( Mc Collum ) ने की थी | लेकिन इसके बाद इस पर और अधिक खोज की गई और सन 1917 में मैक्कोलम और डेविस ने मिलकर इसकी पूर्ण खोज की और इसे नाम दिया विटामिन ‘ए’ |
विटामिन ‘ए’ केवल प्राणिज भोज्य पदार्थो में ही पाया जाता है जैसे – मक्खन , घी आदि में | वानस्पतिक भोज्य पदार्थो में यह कैरोटेनोईडस के रूप में होता है , लेकिन शरीर में जाने के बाद यह विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित हो जाता है | इसलिए Carotenoids को प्रोविटामिन ‘ए’ भी कहते है | मानव शरीर विभिन्न यौगिको , तत्वों और खनिजों से मिलकर बना है | जिनके बैगर यह पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं रह सकता | अत: विटामिन ‘ए’ की कमी से मानव शरीर बहुत से रोगों से घिर जाता है | यह मुख्य रूप से आँखों , शारीरिक वर्द्धि , त्वचा और अस्थियों के लिए नितांत आवश्यक तत्व है |
विटामिन ए के प्रकार / Types of Vitamin A
विटामिन ‘A’ मुख्यत: 4 प्रकार का होता है | यह प्राणिज और वनस्पतिज दोनों भोज्य पदार्थो में पाया जाता है | कई वनस्पतिज भोज्य पदार्थ ( हरी पतेदार सब्जियां , फल आदि ) में एक से अधिक विटामिन ए पाए जाते है |
- विटामिन ‘A’ रेटिनॉल – यह सिर्फ प्राणिज खाद्य पदार्थो में पाया जाता है | जैसे – मांस , मछली , अंडा , दूध , पनीर, मक्खन , घी आदि में |
- विटामिन ‘ए’ एल्डिहाइड
- विटामिन ए¹ रेतिनोइल अम्ल
- विटामिन ए²
विटामिन ‘ए’ के स्रोत / Source of Vitamin A
निम्न सारणी से आप आसानी से विटामिन ए के स्रोतों के बारे में जान सकते है |
Source of Vitamin ‘A’
प्राणिज खाद्य पदार्थो में विटामिन ‘a’की मात्रा – µg/100 ग्राम | वनस्पतिज खाद्य पदार्थो में विटामिन ‘a’ की मात्रा – µg/100 ग्राम |
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दूध – 50 से 60 | चौलाई – 266 से 1166 |
मक्खन – 720 से 1200 | मूली के पते – 750 |
घी – 600 से 700 | मेथी – 600 |
पनीर – 200 से 400 | पालक – 217 |
चीज़ – 250 से 350 | गाजर – 217 से 434 |
मछली – 30 से 40 | आम – 500 |
अंडा – 300 से 400 | करी पता – 1333 |
विटामिन ए के फायदे या कार्य / Function of Vitamin A
⇒ आँखों के लिए है फायदेमंद
आँखों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए विटामिन ए बहुत आवश्यक होता है | इसकी कमी से आँखों में रतौधि रोग हो जाता है | दर:शल हलकी रोशनी में देखने की क्षमता हमें विटामिन ‘ए’ से ही मिलती है | हमारी आँखों में रोडोपसीन होता है जिसका कार्य अँधेरे में देखने की क्षमता प्रदान करना होता है उसी प्रकार आइडोपसीन होता है जो तेज रोशनी में देखने की क्षमता को बनाये रखता है | लेकिन इन दोनों की निर्बाध कार्य के लिए विटामिन ए की आवश्यकता होती है | अत: जब हमारे शरीर में इसकी कमी हो जाती है तो इन दोनों की कार्यशीलता में कमी आ जाती है और परिणामस्वरुप हमारी देखने की क्षमता कमजोर हो जाती है | इस लिए आँखों के स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है की हमारे शरीर में उचित मात्रा में विटामिन ‘ए’ बना रहे |
⇒ शारीरिक वर्द्धि में सहायक
विटामिन ‘ए’ शारीरिक वर्द्धि और विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है | इसकी कमी से शरीर की वर्द्धि और विकास रुक जाता है | कई शोधों से पता चला है की अगर शरीर में विटामिन ‘ए’ की कमी होतो कोशिकाओं का विभाजन सही तरह से नहीं हो पता | इसकी कमी से Cell Division (कोशिका विभाजन) में 30% की कमी आ जाती है | जब कोशिकाओं का विभाजन ही धीमा होगा तो शरीर में नए कोशो और उत्तको का निर्माण भी कम हो जाएगा और फलस्वरूप शरीर का विकास धीमी गति से होगा |
⇒ त्वचा को सुंदर बनाता है विटामिन ए
विटामिन ‘ए’ त्वचा को कोमल , चमकदार , लोचदार , आकर्षक , कान्तियुक्त , नरम ,सुंदर और स्वस्थ बनाये रखने के लिए आवश्यक है | अगर शरीर में विटामिन ए की कमी होगी तो त्वचा रुखी – सुखी , बेजान , कांतिहीन एवं कठोर हो जाएगी | इसके प्रभाव से चेहरे की त्वचा शुष्क होकर कांतिहीन हो जाती है और चेहरे पर कील और मुंहासे भी हो जाते है |
⇒ शरीर को रोगाणुओं एवं जीवाणुओं से बचाता है
हमारे शरीर में कई उत्तक ऐसे होते है जिनको विटामिन ‘ए’ की अत्यंत आवश्यकता पड़ती है | मानव शरीर में एपिथिलियल उत्तक ( जिसे “अच्छादक उत्तक” भी कह सकते है ) का कार्य शरीर के आन्तरिक अंगों को श्लेष्मा से ढंके रहने का होता है | ताकि किसी प्रकार के बाहरी जीवाणु या रोगाणु का असर न पड़े | लेकिन अगर शरीर में विटामिन ए की कमी हो जाए तो इन अंगो से म्यूकस (श्लेष्मा) का ह्रास हो जाता है | जिससे इनकी रचना एवं स्वरुप में परिवर्तन आ जाता है और शरीर पर विभिन्न प्रकार के जीवाणुओं एवं विषाणुओं के संक्रमण से रोग उत्पन्न हो जाता है | अत; शरीर में विटामिन ए की नितांत आवश्यकता होती है |
⇒ प्रजनन अंगो के स्वास्थ्य में सहायक
विटामिन ए प्रजनन अंगो के उत्तम स्वास्थ्य तथा प्रजनन क्रिया को सुचारू रूप से संपन्न होने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है | इसके आभाव में पुरुष और स्त्री दोनों के ही प्रजनन अंगो में विकार उत्पन्न हो जाता है | इसकी कमी होने वाली संतान पर भी बुरा असर डालती है | अगर लगातार कमी बनी रहे तो शरीर में यौन हार्मोन का स्रवण ठीक ढंग से नही हो पता है |
⇒ अस्थियों की वर्द्धि में आवश्यक
अस्थियों की सामान्य वर्द्धि और विकास के लिए विटामिन ‘ए’ बहुत जरुरी होता है | लेकिन अगर शरीर में इसकी अधिकता हो जाती है तो यह हड्डियों के लिए खतरनाक भी होता है | इसकी अधिकता से अस्थियाँ जल्दी ही कमजोर हो जाती है और एक छोटी से चोट से भी हड्डी टूट जाती है | अत: सिमित मात्रा में यह आवश्यक है लेकिन इसकी अधिकता हड्डियों के लिए विषाक्त हो जाती है |
⇒ रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाता है
यह हमारे शरीर के आन्तरिक अंग जैसे – पाचन अंग , प्रजनन अंग , श्वसन अंग , ग्रंथियां आदि के उत्तको को स्वस्थ रखती है और उन्हें विभिन्न रोगों से बचाता है | विटामिन ए इन अंगो में नमी , स्निग्धता और कोमलता बनाये रखता है जिससे ये ठीक ढंग से कार्य करते है और शरीर को रोगों से बचाते है | अगर शरीर में इसकी कमी हो जाये तो इन अंगो कीअपनी कार्यशीलता में कमी आ जाती है और शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है | अत: शरीर में उचित मात्रा में विटामिन ‘ए’ होना जरुरी होता है |
⇒ शरीर को कुपोषित होने से बचाता है विटामिन ए
विटामिन ए प्रोटीन के स्न्श्लेष्ण में मदद करता है | अगर आहार में निरंतर इस विटामिन की कमी रहती है तो RNA का चयापचय ठीक प्रकार से नहीं हो पाता | परिणाम स्वरुप प्रोटीन की सामान्य क्रियाशीलता है वो प्रभावित हो जाती है और प्रोटीन की कमजोर क्रियाशीलता के कारण शरीर का विकास रुक जाता है , फलत: शरीर कुपोषण का शिकार हो जाता है |
विटामिन ए की कमी से होने वाले रोग और शारीरिक प्रभाव
विटामिन ए की कमी हमारे शरीर को कई तरह से प्रभावित करती है | इसकी कमी से जो सबसे पहला प्रभाव पड़ता है वो है शरीर का विकास और वर्द्धि रुक जाती है | यह विटामिन शरीर की व्रद्धी और विकास के लिए नितांत आवश्यक तत्व होता है | इसकी कमी से शरीर का विकास रुक जाता है और शरीर कुपोषण का शिकार हो जाता है | शरीर में इसकी निरंतर कमी प्रजनन शक्ति को क्षीण करती है |
इसके अलावा फ्राईनोडर्मा , गुर्दे की पत्थरी , श्लेष्मिक झिल्ली का निष्क्रिय होना आदि उपद्रव होने लगते है | जो शरीरिक द्रष्टि से हमारे लिए नुकसान दायक होते है | विटामिन ए की कमी आँखों के लिए भी घातक सिद्ध होती है | इसकी कमी से आँखों में रंतौंधी , जेरोफ्थाल्मिया, बिटोट का धब्बा ( Bitot’s Spot) जो आँखों की कोर्निया पर सफ़ेद रंग या भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते है वो विटामिन की कमी से ही पड़ते है |
इन रोगों के अलावा जेरोसिस कंजेकटाइवा , जेरोसिस कोर्निया और Keratomalacia आदि रोग भी विटामिन ए की कमी से ही होते है |