सुगन्धित चिकित्सा – जाने क्या है सुगन्धित चिकित्सा |

सुगन्धित चिकित्सा

सुगन्धित चिकित्सा का इतिहास बहुत पुराना है | एरोमा थेरेपी के बारे में तो आप सभी ने सुना ही होगा | यही एरोमा थेरेपी सुगन्धित चिकित्सा का एक नया फ्लेवर है जिसे अलग ढंग से लोगो के सामने  परोशा जा रहा है | एरोमा का अर्थ है – खुश्बू और थेरेपी होता है चिकित्सा | एरोमा थेरेपी में व्यक्ति को सुगन्धित तेलों से मालिस कर के स्वस्थ और चुस्त दुरस्त रखा जाता है |

दरअसल फ्रांस में एक रसायन शाश्त्री रिने मोरिस रोटफ़ॉस थे , वे अपनी प्रयोगशाला में काम कर रहे थे | तभी अचानक इनके किसी प्रयोग में अचानक धमाका हुआ और इनके दोनों हाथ जल गए | जल्दबाजी में जब उन्हें कुछ भी नहीं मिला तो अपने पास पड़े एक लेवेंडर तेल के जार में अपने दोनों जले हाथ डुबो दिए | रिने ने महसूस किया की उनके हाथो की जलन तुरंत ख़त्म हो गई | कुछ दिनों में उनके हाथ के घाव भी भर गए और हाथो पर कोई दाग भी नहीं रहा | इसे देख कर उन्होंने निष्कर्ष स्वरुप इसमें कई प्रयोग किये

प्रथम विश्व युद्ध का समय था | डॉ रीने ने प्रयोग के तौर पर युद्ध में घायल सैनिको के इलाज में सुगन्धित तेलों का इस्तेमाल किया और  परिणाम सुखदायक थे | आगे चल कर उन्होंने इसे सुगन्धित चिकित्सा का नाम दिया |

सुगन्धित चिकित्सा
सुगन्धित चिकित्सा

सुगन्धित चिकित्सा की क्रिया

सुगन्धित चिकित्सा पद्धति पूर्ण रूप से कोशिकाओं के पुनरुत्पादन पर आधारित है | कोशिकाओं के दोबारा बनाने से घाव आसानी से और जल्दी भरते है | कई एसे तेल भी है जो कटने , जलने और घर्षण से लगी चोटों के दर्द और निशानों को जल्दी ही ख़त्म कर देते है | सुगन्धित चिकित्सा एलोपथी से बिलकुल भिन्न है | इसे आयुर्वेद का ही भाग मान सकते है | क्योकि आयुर्वेद में सम्पूर्ण पौधे का इस्तेमाल कर के चिकित्सा की जाती है वहीँ इस विधा में सुगन्धित पौधे का डिस्टिलेस्न द्वारा अर्क और तेल निकाल कर इस्तेमाल किया जाता है | गठिया रोग , संधिशूल , हड्डियों का दर्द , जॉइंट्स का दर्द, मांसपेशियों की अकडन और दर्द आदि में सुगन्धित तेलों से कंट्रोल किया जा सकता है |

यह चिकित्सा मन और मष्तिष्क को शांति प्रदान करती है  | सुगन्धित तेल के इस्तेमाल से दिमाक पर भी असर पड़ता है | सुगन्धित  चिकित्सा में कई ऐसे भी तेल खोजे गए  जैसे – लेवेंडर , बेंजाइल , यूकेलिप्टस इसेंसियल आयल , रोज , वर्गमाट आदि जो मनुष्य के दिमाग की नाशो को आराम देते है और स्नायुमंडल को भी मजबूत बनाते है | इस चिकित्सा विधि  से दर्द , अनिद्रा , घाव आदि की चिकित्सा की जाती है |

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