इन्द्रायण (गड्तुम्बा) के फायदे जानले काम आयेंगे |


इन्द्रायण (गड़तुम्बा) 

सम्पूर्ण भारत में पायी जाने वाली वर्षायु लता है जो समुद्र के किनारे या बालू मिटटी में उगती है | यह दिखने में तरबूज की बेल की तरह ही होती है बस इसके पत्ते थोड़े छोटे होते है जो 2 से 3 इंच लम्बे एवं 2 इंच चौड़े होते है | इसके पुष्प पीले रंग के होते है , फल कच्चे रहने तक हरे और पकने पर पीले रंग के हो जाते है जो 1 से 4 इंच व्यास के गोल होते है | फलो को काटने पर इसके बीच में गुदा निकलता है जो बहुत ही कडवा होता है | वैसे   तो इन्द्रायण के सभी भाग कडवे होते है | 
इन्द्रायण का परिचय और फायदे
इन्द्रायण (गड़तुम्बा) का रासायनिक संगठन 
इन्द्रायण के फल के मज्जा में एक कडवा तत्व कोलोसिन्धीन पाया जाता है | इसके आलावा एइलेत्रिन , हेंटियकोटेन, फाईटेस्टोरोल , वासा, पेक्टिन गोंद एवं क्षार आदि तत्व पाए जाते है |
इन्द्रायण (गड़तुम्बा) के गुण – धर्म एवं प्रभाव 
इन्द्रायण का रस तिक्त होता है एवं पचने पर विपाक कटु होता है , गुण – लघु , रुक्ष एवं तीक्षण होते है | इन्द्रायण उष्ण वीर्य का होता है | यह कफ पितहर , तीव्र विरेचक, क्रमी का नाश करने वाला , यकृत की सुजन को कम करने वाला , रक्तशोधक एवं शोथहर होता है | इसकी मूल (जड़) गर्भस्य संकोचक होती है 
इसका सेवन सावधानी पूर्वक करना चाहिए क्योकि अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह विष के सामान प्रभाव डालता है एवं पेट में मरोड़ पैदा कर सकता है |
प्रयोज्य अंग एवं सेवन की मात्रा – फल एवं जड़ का चूर्ण 1 से 2 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए |

इन्द्रायण (गड़तुम्बा) के प्रयोग एवं फायदे 

➤ इन्द्रायण के बीजो का तेल नारियल के तेल में मिलकर सिर में नित्य मालिश करने से सफ़ेद बाल काले हो जाते है |
➤पीलिया रोग में इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण गुड के साथ इस्तेमाल करने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है |
➤मधुमेह में सुगर लेवल बढ़ने पर इन्द्रायण के 5 से 7 फलों को पैरो से नित्य 10 मिनट तक कुचले , इससे बढ़ी हुई शुगर अपने स्तर पर आजाती है | यह प्रयोग मधुमेह में काफी लाभ देता है |
➤मिर्गी में इन्द्रायण की जड़ का नश्य देने से मिर्गी रोग में काफी लाभ मिलता है |
➤अगर आपको खांसी कई दिनों से है और ठीक नहीं रही है तो इन्द्रायण के पक्के फल में 10 – 15 कालीमिर्च भर दे और धुप में रख दे | रोज एक कालीमिर्च – पिप्पली और शहद के साथ मिलाकर सेवन करे | कैसी भी कफज खांसी हो ठीक हो जाती है |
➤इन्द्रायण की जड़ को पिसकर इसे हल्का गरम करके सुजन वाली जगह बाँधने से सुजन जल्दी ही ठीक हो जाती है |
➤कब्ज की समस्या में इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में गुड के साथ सेवन करे , कब्ज खत्म हो जाएगी |
➤महिलाओं में मासिक धर्म रुक – रुक के आने की समस्या में इन्द्रायण के फल के बीज 3 ग्राम और 5-6 दाने कालीमिर्च , इन दोनो को पीसकर चूर्ण बना ले अब 150 ml पानी में डालकर इनका काढ़ा बना ले | काढ़े के सेवन से रुका हुआ मासिक धर्म फिर से शुरू होता है एवं समय पर आता है |
➤इन्द्रायण के फल के गुदे को गरम करके पेट पर बाँधने से आँतों में स्थित कीड़े मर जाते है |
➤स्त्रियों के स्तनों में सुजन हो तो  , इन्द्रायण की जड़ को पिस कर इसका लेप स्तनों पर लगाने से स्तनों की सुजन तथा दर्द में राहत मिलती है |
➤पेशाब में जलन हो या पेशाब करते समय दर्द हो तो इन्द्रायण की जड़ को पानी के साथ पिस कर एवं छान कर 5 ml की मात्रा में पिने से पेशाब में जलन और दर्द की शिकायत में बेहतर लाभ मिलता है |
➤इन्द्रायण (गड़तुम्बा) की जड़ को पिस कर इसमें घी मिलाकर योनी पर मालिश करने से प्रसव आसानी से होता है |
➤जिन स्त्रियों को गर्भधारण में दिक्कत आती हो तो इन्द्रायण की जड़ को बेलपत्र के साथ पीसकर 5 ग्राम की मात्रा में गुड के साथ नित्य सेवन करने जल्द ही गर्भ ठहरता है |
➤सिरदर्द में इन्द्रायण की जड़ को तील के तेल में पक्का ले | इस तेल की मस्तक पर मालिश करने से सिरदर्द की समस्या जाती रहती है |
➤फोड़े फुंसियो में इन्द्रायण (गड़तुम्बा) की जड़ को पिस कर इसका लेप प्रभावित स्थान पर करने से फोड़े फुन्सिया बैठ जाती है |
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