काली / कुकर खांसी – कारण , लक्षण और काली खांसी के उपाय |

कुकर / काली खांसी (Pertussis) / Whooping cough

कुकर खांसी को साधारण भाषा में कुत्ता खांसी या काली खांसी भी कहते है | यह ज्यादातर बसंत या शरद ऋतू में अधिकतया होती है | 5 से कम उम्र के बालक इस रोग से अधिक पीड़ित रहते है , लेकिन व्यस्क भी इस रोग से प्रभावित हो सकते है | बालको में यह रोग गंभीर संक्रामक बुखार के साथ शुरू होता है | शुरुआत में सर्दी – जुकाम की शिकायत होती है जिसमे बालक भयंकर सर्दी जुकाम से पीड़ित दिखाई देता है और निरंतर बुखार और खांसी चलती रहती है |

काली खांसी के उपाय
काली खांसी के उपाय

भारत और अन्य विकासशील देशों में आज भी 100000 की आबादी में 578 प्रत्येक वर्ष प्रभावित होते है |

काली / कुकर खांसी से कारण / Causes of Whooping cough 

इस रोग के होने का मुख्या कारण Pertussis नमक जीवाणु है | जब किसी संक्रामक व्यक्ति अर्थात काली खांसी से प्रभावित व्यक्ति द्वारा खांसा या छींका जाता है तो स्वस्थ व्यक्ति में इन जीवाणुओं का संक्रमन फ़ैल जाता है और बच्चा या व्यस्क इस रोग से ग्रषित हो जाता है | वैसे खांसने और छींकने से वस्तुत: इसका संक्रमण कम होता है बल्कि संक्रामक व्यक्ति के संक्रमित कपड़ो या अन्य वस्तुओं का इस्तेमाल करने से अधिक फैलता है |

अगर संक्रामक व्यक्ति खाना बनाना या परोसना आदि कार्य भी करता है तो स्वस्थ व्यक्ति को इस रोग से संक्रमित होने की सम्भावना होती है | इस रोग की उद्भवन अवधि 7 से 14 दिन की होती है |

कुकर / काली खांसी के लक्षण / Symptoms of Whoopin cough

  • शुरूआती अवस्था जो प्राय: एक सप्ताह तक रहती है उसमे बालक सर्दी जुकाम से पीड़ित रहता है | उसे हल्की – हल्की खांसी भी रहती है और बहुधा बुखार से बच्चा पीड़ित रहता है | कभी – कभार इस अवस्था में बच्चों को उलटी भी हो सकती है | इस अवस्था को पूर्व आवेगी अवस्था या Catarrhal stage भी कहते है |
  • इसके बाद दूसरी अवस्था आती है जिसे आवेगी अवस्था या paroxysmal stage कहते है | इस अवस्था में रोग के सभी लक्षण प्रकट हो जाते है | ज्यादातर इसमें अधिक देर तक चलने वाली खांसी आती है | अगर बच्चा अधिक छोटा है तो वह नीला पड़ जाता है और उसकी साँसे रुकने लगती है | इस स्थिति में बालक के खांसते समय व्हूप की आवाज निकलती है |
  • इस रोग में रोगी को उल्टियाँ हो सकती है |
  • अधिकतर बुखार की शिकायत रहती है |
  • खांसी के साथ श्लेष्मा निकलता है |
  • अधिक खांसने के कारण बालक थक जाता है और शारीरिक रूप से कमजोर भी दिखाई देता है |
  • काली खांसी दौरों में आती है ये दौरे बहुधा रात्री के समय अधिक आते है जो काफी कष्टकारी होते है |
  • कुकर खांसी से अधिक दिनों तक पीड़ित रहने के कारण नुमोनिया या Bronchiectasis होने की सम्भावना भी रहती है |

काली खांसी के उपाय / कुकर खांसी के घरेलु उपचार (Home Remedies for Whooping cough)

  1. भुनी हुई फिटकरी 10 ग्राम और देशी खांड 100ग्राम दोनों को बारीक़ पीसकर आपस में मिला ले | इसकी बराबर मात्रा में चोदह पुडिया बनाले | कुकर खांसी की समस्या में दूध के साथ नित्य सोते समय सेवन करे  | बच्चों में इस पुडिया की मात्रा को आधा या चौथाई कर दे | काली खांसी के उपाय और देखें
  2. फिटकरी के साथ सुहागा, कलमिशोरा , यवक्षार और कालानमक बराबर मात्रा में मिलकर चूर्ण बनाले | इस चूर्ण को 2 ग्राम की मात्रा में बच्चो सुबह – शाम शहद के साथ चटाने से खांसी आना बंद हो जाता है |
  3. फिटकरी का फुला बनाकर काली खांसी के उपाय में प्रयोग किया जा सकता है | फुला बनाने के लिए फिटकरी पीसकर लोहे की कडाही में या तवे पर भुनले | फिटकरी जैसे ही गरम होगी तो यह द्रव्य रूप हो जायेगी थोड़ी तपने से यह कठोर होने लगेगी अर्थात खुश्क होने लगेगी अब इसे दूसरी तरफ से भी भुनले | दोनों तरफ से भुनाने के बाद इस फिटकरी का चूर्ण करले | इस भुनी हुई फिटकरी का इस्तेमाल करने सेस भी कुकर खांसी में लाभ मिलता है |
  4. काली खांसी के उपाय और देखे

  5. काली मिर्च और  मिश्री बराबर मात्रा में लेकर पिसले | अब इसमें बराबर मात्रा में या (इतना मिलाले की गोली बन जाए) देशी गाय का घी मिलाले | अब इसकी बेर की गुठली के सामान गोलियां बना ले | सुबह – शाम एक – एक गोली चूसने से कुकर खांसी ठीक हो जाती है |
  6. का ली मिर्च को बारीक़ पीसकर इसमें थोडा सा गुड मिलाकर इसकी गोलियां बनाले | इनके प्रयोग से भी काली खांसी में लाभ मिलता है |
  7. काली खांसी के उपाय में आप अदरक का रस निकाल कर या अदरक का टुकड़ा चूसते रहने से भी खांसी में लाभ मिलता है | बच्चों को अदरक के रस को शहद में मिलकर देना चाहिए |
  8. व्यस्क व्यक्ति नीम के पतों को पीसकर शहद के साथ आधा चम्मच की मात्रा में सेवन करने से काली खांसी में लाभ मिलता है |
  9. एक गिलास दूध में पांच पिप्पल का चूर्ण मिलाकर गरम करके | इसका इस्तेमाल सुबह – शाम करने से काली खांसी / कुकर खांसी में लाभ मिलता है | दूध में कुछ मात्रा में मिश्री मिलाकर प्रयोग कर सकते है |
  10. छोटी इलायची को भुनकर चूर्ण बनाले | दो रति की मात्रा में सेवन करने से कुकर खांसी में लाभ मिलता है |
  11. 5 ग्राम कालीमिर्च और 5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण मिलकर सेवन करने से कुकर खांसी में लाभ मिलता है |
  12. काली खांसी के घरेलु उपाय

  13. लहसुन का रस शहद के साथ चाटने से काली खांसी में लाभ मिलता है |
  14. बच्चों के गले में लहसुन की माला डालने से बच्चों की कुकर खांसी में काफी फायदा मिलता है |
  15. बकरी के दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पिने से लाभ मिलता है |
  16. अमरुद के पतों को जलाकर राख कर ले | इस राख का सेवन चौथाई चम्मच की मात्र में शहद के साथ सेवन करे |
  17. बबूल की छाल का काढ़ा बना कर सेवन करने से खांसी में लाभ मिलता है |
  18. मकोय का साग बनाकर खाने से भी लाभ मिलता है |
  19. आम की गुठलियों के रेशे को जलाकर भस्म बना ले | व्यस्क एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सेवन करने से कुकर खांसी ठीक हो जाती है |
  20. केले के पतों को सुखाकर इनकी भष्म बना ले | इसका प्रयोग एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सेवन करने से कुकर खांसी ठीक हो जाती है |
  21. 5 – 6 लौंग (लवंग) को आधा कप पानी में उबाले जब पानी आधा रह जाए तो इस काढ़े का सेवन सुबह – शाम करने से आराम मिलता है | इस प्रयोग से सभी प्रकार की खांसी में लाभ मिलता है |
  22. एक अनार का छिलका सुखाकर इसे पिसले | अब इसमें एक चम्मच लौंग का चूर्ण मिलाकर सुबह – शाम आधा चम्मच की मात्रा में इस्तेमाल करने से लाभ मिलेगा |
  23. देशी घी में सेंधा नमक मिलाकर | इसकी मालिश सिने पर करने से कफ निकल जाता है |
  24. एक चम्मच आंवले के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ मिलता है |
  25. कालीमिर्च , अदरक , तुलसी और लौंग की चाय बना कर सेवन करने से भी काली खांसी में फायदा मिलता है |
  26. एक रति कपूर को गुड में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है |
  27. काली खांसी के उपाय में खजूर का सेवन भी फायदेमंद होता है |

काली खांसी के उपाय के आलावा सावधानियां 

इन उपायों के आलावा रोगी को ताज़ी हवा में रहना चाहिए | जिस कमरे में रोगी का वास हो वहां प्रयाप्त मात्रा में शुद्ध और ताज़ी हवा की व्यवस्थ होनी चाहिए | ज्यादातर बच्चों की समस्या में इन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए | निदान स्वरूप बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करते रहना चाहिए | क्योंकि बच्चों में इस रोग से अधिक समय तक पीड़ित रहने से न्युमोनिया और ब्रोंक्रितिस होने की सम्भावना अधिक रहती है | काली खांसी के उपाय के अलावा निपुण चिकित्सक से रोगी को जाँच करवाना चाहिए एवं उचित दवा का सेवन भी करते रहना चाहिए | ऊपर बताये गए सभी उपाय प्रमाणिक है लेकिन फिर भी बच्चों की काली खांसी में योग्य वैध्य की सलाह सर्वोपरी होती है |

धन्यवाद |

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