आयुर्वेद में रोगों से बचने और शरीर को निरोगी रखने के लिए आहार से सम्बंधित कुछ नियम बनाये गए हैं । जैसे आयुर्वेद के अनुसार किस महीने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए ताकि आप रोगों से बचे रहो । इसी को ध्यान में रखते हुए हमने 12 महीनों के आहार नियम अर्थात क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए की जानकारी आपको दे रहें है ।
आयुर्वेद शास्त्र चिकित्सा ही नहीं अपितु आहार एवं विहार का भी विज्ञानं है । प्रत्येक मनुष्य के लिए उसकी प्रकृति एवं शारीरिक रचना के साथ साथ ऋतू अनुसार भी आहार सेवन के नियम आपको आयुर्वेद में मिल जायेंगे । इन नियमों को अपनाकर आप जीवन पर्यंत निरोगी रह सकते हैं ।
आयुर्वेद के अनुसार भोजन के बहुत से नियम हैं जिनको अपनाना आवश्यक है । क्योंकि आपने देखा भी होगा कि बड़े बुजुर्ग किसी महीने में किसी विशिष्ट आहार को त्यागने का कहते हैं एवं वे स्वयं भी उनका सेवन उस महीने में नहीं करते । इसके पीछे पूर्णत: वैज्ञानिक आयुर्वेदिक सिद्धांत है । क्योंकि इन महीनों में अगर उस आहार को खाया जाये तो निश्चित ही आप रोग से ग्रसित हो जायेंगे ।
इसी को ध्यान में रखते हुए हमने आयुर्वेद के अनुसार कौनसे महीने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं का विवरण आपको उपलब्ध करवाया है ।
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जनवरी – फरवरी महीने में क्या नहीं खाना चाहिए और क्या खाएं ?
जनवरी और फरवरी महीने में प्रचुर सर्दियों का समय रहता है । इस समय जनवरी में सर्दी चरम पर रहती और फरवरी में धीरे – धीरे बसंत का आगमन होने लगता है । एसे में निम्न प्रकार आहार का प्रयोजन करना चाहिए
क्या खाएं | क्या नहीं खाना चाहिए |
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इस महीने में गरम प्रकृति के भोजन का सेवन करना चाहिए | शीतल आहार |
घी, ग्वारपाठा के लड्डू, गोंद के लड्डू | मिश्री न खाएं |
मुंग की दाल, खिचड़ी आदि खाएं | कड़वे और तिक्त आहार न खाएं |
अदरक आदि का सेवन करें | वायु बढ़ाने वाले आहार से बचें |
मार्च और अप्रैल में क्या खाएं क्या नहीं खाना चाहिए ?
आयुर्वेद अनुसार चैत्र माह अर्थात मार्च और अप्रैल का समय होता है । इस समय निम्न आहार नियमों का पालन करना चाहिए ।
क्या खाएं | क्या नहीं खाएं |
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इस समय चना, गेंहू, चावल एवं मुंग आदि का सेवन करें | इस समय कफ का प्रकोप होता है अत: कफ बढ़ाने वाले पदार्थों से बचना चाहिय |
खीरा, संतरा, चौलाई, बथुआ, मेथी एवं हरे साग का सेवन करें | आइसक्रीम, कुल्फी, ठंडी वस्तुओं का सेवन नहीं करें |
कफ का अंत करने वाले आहार जैसे अदरक, सौंठ, पिप्पली आदि का सेवन करना चाहिए । | गुड़, मीठा, एवं घी का सेवन न करें । |
मई और जून महीने में क्या खाएं और क्या नहीं खाएं आयुर्वेद अनुसार
इस समय गर्मियों का सीजन रहता है अत: गर्मियों में निम्न आहार एवं विहार को अपनाना चाहिए ।
क्या खाएं ? | क्या नहीं खाना चाहिए ? |
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हल्का, सुपाच्य और शीतल पदार्थों का सेवन करें | वायु बढ़ाने वाले रूखे भोज्य पदार्थों का सेवन नहीं करें |
दही, छाछ, रबड़ी, एवं शीतल पेय का सेवन करें | खट्टा दही, शहद, उड़द की दाल, लहसुन एवं सरसों का सेवन न करें |
तरबूज, खरबूजा, परवल, तुरई, आम, और निम्बू का सेवन करें | गर्म आहार, अधिक मिर्च मसाले युक्त भोजन, तेल से तले हुए खाने को न खाएं |
भिगोये हुए किशमिश, बादाम, अनार, और अंजीर आदि सेवन करें | शराब, एवं नशीले पदार्थों का सेवन इस महीने में बिलकुल नहीं करें |
जुलाई एवं अगस्त में क्या खाएं और क्या नहीं खाएं
इस महीने में बरसात का समय होता है अत: निम्न आहार का सेवन करें
क्या खाएं ? | क्या नहीं खाएं ? |
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हल्के सुपाच्य एवं पाचक अग्नि को बढ़ाने वाले आहार का सेवन करें | हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन नहीं करें |
पुराना अनाज जैसे गेंहू, जौ, चावल, मक्का, सरसों आदि को खाएं | भोजन कम मात्रा में करें क्योंकि इस समय पाचन अग्न्नी कमजोर रहती है |
पके हुए आम एवं दूध का सेवन अवश्य करें | बिना अच्छे से धोये किसी भी सब्जी या फल का सेवन नहीं करें |
दही, पुदीने की चटनी, लौकी, भिन्डी, टमाटर आदि का सेवन करें | चना, मोठ, उड़द, कटहल, सिंघाड़ा एवं करेला न खाएं |
सितम्बर एवं अक्टूबर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए
इस महीने अर्थात सितम्बर में बरसात का अंतिम समय होता है एवं अक्टूबर में हलकी सर्दियों की शुरुआत हो जाती है । एसे में निम्न सारणी अनुसार पालन करना चाहिए ।
क्या खाएं | क्या नहीं खाएं |
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इन महीनों में घी और तिक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए | इन महीनों में पित्त का प्रकोप हो जाता है एसे में पित्त बढ़ाने वाले भोजन से बचना चाहिए |
शाली चावल, उबला हुआ दूध, दही, मक्खन, मलाई एवं क्रीम आदि खाना चाहिए | सितम्बर में आप दूध एवं दही खा सकते हैं । परन्तु अक्टूबर के महीने में दूध एवं दूध से बने भोज्य पदार्थो का सेवन कम कर दें |
सब्जियों में फुल गोभी, पत्ता गोभी, लौकी, बथुआ और मुली खाना चाहिए | बिना भूख लगे भोजन न करें |
अनार, आंवला, मुन्नका आदि का सेवन करें | सरसों का तेल, मट्ठा, सौंफ, लहसून, बैंगन एवं करेला न खाएं |
नवम्बर एवं दिसम्बर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए
नवम्बर के महीने में सर्दियों की शुरुआत हो जाती है एवं दिसम्बर के महीने में सर्दियाँ प्रचुर रहती है । इस समय व्यक्ति की अग्नि तीव्र रहती है एसे में भारी एवं गुरु आहार का सेवन करना चाहिए । रसायन का सेवन करने के लिए भी दिसम्बर से लेकर जनवरी ये दो महीने आयुर्वेद के अनुसार उपयोगी बताये गए हैं
क्या खाएं | क्या नहीं खाना चाहिए |
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चिकनाई, मधुर, लवण एवं अम्ल रस युक्त भोज्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए | हल्के रूखे और वातवृद्धक आहार का सेवन ना करें |
घी, मक्खन, तिल तेल, दूध, मावा, पनीर आदि को खाना चाहिए | कोल्ड कॉफ़ी, आइसक्रीम, शीतल पेय आदि को सेवन न करें |
चावल की खीर, उड़द की खीर, शहद, मेवे आदि को खाना चाहिए | आम का आचार, खट्टा, अधिक अम्लीय भोज्य पदार्थों को न खाएं |
गाजर, टमाटर, जिमीकंद, आलू, गोभी, एवं हरड का सेवन करें | ठन्डे दूध एवं ठन्डे दही का सेवन बिलकुल न करें |
इस प्रकार आप आयुर्वेद अनुसार किस महीने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए को समझ सकते हैं । वैसे आयुर्वेद में ऋतू अनुसार आहार के साथ – साथ विहार का भी वर्णन किया गया है । क्योंकि आहार का पालन के साथ विहार का पालन करके ही आप निरोगी रह सकते हैं ।