मोती पिष्टी: 7 बड़े फायदे, गुण और सेवन की विधि

मोती पिष्टी के फायदे: नमस्कार पाठकों, यूँ तो मोती पिष्टी के अनेकों फायदे हैं, लेकिन इस इस आर्टिकल में हम इसके विशेष गुणों की वजह से होने वाले 7 बड़े फायदे और सेवन की विधि के बारे में जानेंगेl मोती पिष्टी जिसे मुक्ता पिष्टी के नाम से भी जाना जाता है, एक आयुर्वेदिक औषधि है। गुलाब जल में मोती पीसकर बनने वाली यह पिष्टी बहुत गुणकारी होती है, आयुर्वेद में इसे Digestion सुधारने और शीत गुणों की वजह से अनेकों रोगों में प्रयोग में लिया जाता है। इसके फायदों के बारे में जानने से पहले हम इसके घटक, बनाने की विधि और आयुर्वेद में इसके प्रयोग के बारे में भी जानेंगे।

मोती पिष्टी (मुक्ता पिष्टी): घटक, बनाने की विधि एवं सेवन कैसे करें

पिष्टी आयुर्वेद दवा का एक प्रकार है। इस विधि से बनने वाली दवाओं में जड़ी बूटियों और खनिज द्रव्यों को गुलाब जल में पीस कर खरल करके दवा का निर्माण किया जाता है। अगर आप इस दवा के बारे में जानना चाहते हैं तो मुक्ता पिष्टी के फायदे और नुकसान के बारे में हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ें।

Moti Pishti के 7 बड़े फायदे

मोती पिष्टी के घटक: गुलाब जल और मोती

मुक्ता पिष्टी में प्रमुख घटक मोती होता हैI आयुर्वेद में मोती को विशेष आयुर्वेद गुणों की वजह से दवा के लिए उपयोग में लिया जाता है। यूँ तो मोती को बहुत सी आयुर्वेद दवाओं में प्रयोग में लिया जाता है लेकिन मोती पिष्टी में मोती ही विशेष घटक है, गुलाब जल का उपयोग खरल करने के लिए होता है।

घटक:

  • मोती
  • गौमूत्र
  • सांभर नमक
  • गुलाब

मोती पिष्टी कैसे बनाते हैं?

पिष्टी बनाने के लिए गुलाब जल में जड़ी बूटियों और खनिजों को खरल किया जाता है। मुक्ता पिष्टी को भी इसी विधि से बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए विधि निम्न है:

  • सबसे पहले मोती का शोधन किया जाता है।
  • शोधन के लिए गौमूत्र का प्रयोग किया जाता है।
  • शोधन के बाद मोती का चूर्ण बनाया जाता है।
  • इस चूर्ण को गुलाब जल और निम्बू के साथ खरल किया जाता है।
  • अच्छी तरह से खरल करने के बाद जब यह काजल के समान हो जाये तो इसको पात्र में डाल कर रख लेते हैं।

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मुक्ता (मोती) पिष्टी का सेवन कैसे करें?

मोती पिष्टी को आमतौर पर मौखिक रूप से या तो पानी या शहद के साथ मिलाकर लिया जाता है। बेहतर अवशोषण(absorption)  के लिए इसे दूध के साथ भी लिया जा सकता है। यह दवा शीतल गुणों वाली होती है। इसका सेवन करते समय साथ में एलॉपथी दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। मुक्त पिष्टी सेवन करने का तरीका:

  • मोती पिष्टी को खाने से पहले पेस्ट बनाने के लिए शहद, घी या पानी के साथ मिलाना चाहिए।
  • किसी भी संभावित गैस्ट्रिक जलन से बचने के लिए इसे भोजन के बाद लेना चाहिए।
  • इसे सीधे धूप से दूर और ठंडी और सूखी जगह पर रखा जाना चाहिए।

मोती पिष्टी के 7 बड़े फायदे: पाचन से लेकर हृदय रोग सबमे में लाभदायक

मोती पिष्टी के फायदे: आयुर्वेद में एक दवा का उपयोग उसके गुणों के आधार पर अनेकों रोगों के लिए किया जाता है। मोती मधुर और शीतल गुणों वाला होता है, इन्ही गुणों की वजह से मुक्ता पिष्टी को अम्लपित्त, ज्वर, हृदय रोगों, चिडचिडापन दूर करने और नींद नहीं आने जैसे रोगों में किया जाता है।

मुक्ता पिष्टी के फायदे

मोती पिष्टी के कुछ विशेष फायदे होते हैं, जहाँ पर इस दवा का उपयोग रोग को पूरी तरह से ठीक करने के लिए किया जा सकता है। ऐसे ही 7 बड़े फायदों के बारे में हम आपको विस्तार से बता रहे हैं। तो आइये जानते हैं क्या हैं मोती पिष्टी के वो 7 बड़े फायदे:

सांस की समस्या से छुटकारा: मोती पिष्टी का उपयोग साँस संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। यह दवा सांस की समस्याओं जैसे बुखार, सांस लेने में कठिनाई, खांसी और फेफड़ों के रोगों के इलाज में सहायक है। मोती पिष्टी में एंटी-इंफ्लेमेटरी(anti inflammatory) गुण होते हैं जो श्वसन प्रणाली (respiratory system) में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इन्ही गुणों की वजह से मुक्ता पिष्टी इन रोगों में फायदेमंद है।

हृदय रोगों में फायदे: हृदय की धडकन बढ़ जाने पर मोती पिष्टी बहुत असरदार होती है, इसे मलाई या मक्खन के साथ सेवन करने से ह्रदय की धडकन शांत होने लगती है। इसके अलावा हृदय रोगों में इसका उपयोग करना गुणकारी होता है।

पुरुषों के लिए विशेष फायदे: पुरुषो में होने वाली कमजोरी जैसे शीघ्रपतन, काम्मोतेजना में कमी, वीर्यपात, यौन कमजोरी आदि सभी रोगों के लिए मुक्ता पिष्टी हितकारी है। शीघ्रपतन में इसका उपयोग कामसुधा योग दवा के साथ करने से 3 महीने में समस्या का जड़ से नाश हो जाता है।

हड्डियों को मजबूत करे: 7 बड़े फायदों में हड्डियों के लिए यह विशेष हितकारी है। मोती पिष्टी में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है, इसलिए हड्डियों को मजबूत करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। हड्डी टूट जाने पर भी मोती पिष्टी का सेवन करने से जुड़ने में फायदा होता है।

टी.बी ठीक करने में फायदे: टीबी या राजयक्ष्मा की समस्या होने पर जब बुखार ज्यादा आता हो, शरीर में दाह, गर्मी और पित्त विकार की समस्या बढ़ गयी हो तो मोती पिष्टी का उपयोग करना चाहिए। यह दवा इस समस्या में बहुत हितकारी होती है।

पित्त विकार में फायदे: पित्त बढ़ जाने पर मोती पिष्टी का उपयोग फायदेमंद होता है। मोती के शीतल गुणों की वजह से इसके उपयोग से पित्त शांत होने लगता है और पित्त वृद्धि के कारण होने वाली समस्या जैसे गैस, एसिडिटी, दाह, अपच आदि ठीक हो जाती हैं।

आँखों के लिए फायदे: मोती पिष्टी को नेत्र ज्योति वर्धक दवा कहा गया है। आँखों की रौशनी कम हो जाने या कम दिखने की समस्या में इसका उपयोग त्रिफला घृत के साथ करना चाहिए। निरंतर एक महीने तक इसका उपयोग करने आँखों की रौशनी सही हो जाती है।

मोती पिष्टी का रोगानुसार उपयोग:

किसी भी आयुर्वेद दवा का पूरा फायदा तभी होता है जब उसका उपयोग रोग और शरीर की दशा के अनुसार किया जाये। इसलिए अगर आप मोती पिष्टी के फायदे पूरी तरह से लेना चाहते हैं तो इसके रोगानुसार उपयोग को जान लें:

  • नेत्र ज्योति के लिए: त्रिफलादी घृत के साथ, काजल के रूप में इस्तेमाल करें
  • यौन रोगों में: गिलोय सत्व और कामसुधा योग के साथ
  • पित्त विकार: दूध या मक्खन के साथ
  • हृदय रोग में: मक्खन या मलाई के साथ
  • श्वास रोगों में: उन्नावशर्बत के साथ
  • अम्लपित्त में: गुलकंद के साथ
  • टीबी में: सितोपलादि चूर्ण के साथ

मोती पिष्टी का सेवन करते समय सावधानियाँ:

मोती पिष्टी प्राकृतिक अवयवों से बनी है और इसका कोई बड़ा दुष्प्रभाव नहीं है। हालांकि, इसका उपयोग कनरे से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श कर लें। सही तरीके से नहीं लेने और मोती पिष्टी के ओवरडोज से मतली, उल्टी और दस्त हो सकते हैं।

मोती पिष्टी का प्रयोग करते समय इन बातों पर ध्यान जरुर दें:

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन से बचना चाहिए।
  • जिन लोगों को मोती या शंख से एलर्जी है उन्हें मोती पिष्टी का सेवन नहीं करना चाहिए I
  • जिगर या गुर्दे की बीमारी वाले लोगों को बिना डॉक्टर की सलाह के इसे नहीं खाना चाहिएI

धन्यवाद!

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