भद्रासन क्या है? – विधि, कब करें, लाभ एवं सावधानियां (Bhadrasana in Hindi)

भद्रासन दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें भद्र का अर्थ है – शिष्ट अर्थात शिष्टाचार और आसन का अर्थ है मुद्रा या पोजीशन। इस प्रकार भद्रासन का अर्थ हुआ ऐसी मुद्रा या पोजीशन जो शिष्टाचार में बैठ कर की जाए। यह आसन वज्रासन का ही दूसरा रूप है।

भद्रासन

आज की भाग दौड़ भरी जीवन शैली में कोई भी मनुष्य तनाव से वंचित नहीं रह सकता है। ऐसी स्थिति में यदि कुछ समय निकालकर योग आसन की तरफ ध्यान दिया जाए तो हम तनाव से तो दूर रहेंगे ही साथ ही में ऊर्जावान और स्वस्थ भी रहेंगे। आज इस लेख में हम भद्रासन क्या है, इसे करने की विधि, इसे कब करना चाहिए, इसके लाभ और भद्रासन करते समय रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में विस्तार से बताएंगे। तो चलिए जानते हैं

भद्रासन क्या है? | What is Bhadrasana in Hindi

भद्रासन  शिष्ट अवस्था में बैठकर किए जाने वाला एक आसन है। जिसमें व्यक्ति जमीन पर शांत अवस्था में बैठ कर ध्यान को एक स्थान पर केंद्रित करता है। इस आसन को करने से एकाग्रता बनी रहती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। जिससे मनुष्य काम विकार से दूर हो जाता है और ईश्वर में मन लगाता है।

इसके साथ ही भद्रासन करने से अंडकोष में वृद्धि होती है जिससे ऐसे दंपति जो संतान से वंचित हैं उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह आसन शुरुआत में वज्रासन की स्थिति में बैठकर किया जाता है इस कारण वज्रासन से होने वाले लाभ स्वत ही भद्रासन में मिल जाते हैं। भद्रासन क्या है यह जानने के बाद अब हम भद्रासन करने की विधि के बारे में जानेंगे।

भद्रासन करने की विधि | Method of doing Bhadrasana

  • सर्वप्रथम वज्रासन में बैठ जाएं।
  • अब धीरे-धीरे घुटनों को फैलाए। जितना हो सके उतना अधिक से अधिक घुटनों को फैलाने की कोशिश करें।
  • धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहे तथा पैरों की उंगलियों को आपस में एक दूसरे से मिलाएं।
  • घुटनों को इतना फैलाएं की नितंबों को जमीन से स्पर्श करा दें।
  • अब हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा की स्थिति में रखें।
  • अब धीरे-धीरे दोनों हाथों को पीठ के पीछे की तरफ ले जाकर दोनों पैर के अंगूठे को पकड़े।
  • इस आसन को करते समय स्वाभाविक श्वांस लेते और छोड़ते रहे।
  • इस आसन को करते समय ध्यान मूलाधार चक्र से आज्ञा चक्र पर रखना चाहिए और मन को शांत रखें।
  • इस आसन को आप अपने अनुकूलता अनुसार समय दे सकते हैं।
  • यह आसन सभी रोगों का नाश करने वाला होता है।

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भद्रासन कब करना चाहिए | Bhadrasana kab Karna Chahiye

वैसे तो आप अपनी आवश्यकतानुसार इस आसन को कभी भी कर सकते हैं। परंतु विशेष लाभ पाने के लिए इस आसन को सूर्योदय के समय करने से बहुत फायदा मिलता है। यदि आप इस आसन को करते समय पूर्व और उत्तर दिशा की तरफ मुख करके इस आसन को करते हैं तो यह आपको बहुत अधिक ऊर्जावान बनाता है और तनाव से दूर होता है तथा समस्त रोगों को दूर करता है।

भद्रासन करने के लाभ | Benefits of Bhadrasana

  • आसन को करते समय सर्वप्रथम वज्रासन में बैठते हैं इस कारण वज्रासन आसन के सभी लाभ स्वत : ही इस आसन से मिल जाते हैं।
  • भद्रासन मूलाधार चक्र के उत्थान में सहायक होता है क्योंकि इस आसन को करते समय व्यक्ति का ध्यान मूलाधार चक्र से आज्ञा चक्र तक होता है।
  • इस आसन को करने से काम -विकार नष्ट होते हैं और आध्यात्मिक उन्नति में सहायता मिलती है।
  • भद्रासन से जाँघें, घुटने, पैर एंव एड़िया मजबूत और सशक्त होती है।
  • भद्रासन से अर्श, प्रमेह, भगंदर और गुदा रोगों का नाश होता है।
  • भद्रासन करने से अंडकोष – वृद्धि होती है। जिससे जो दंपति संतान सुख से वंचित है वह इस आसन को लगातार करते रहने से स्वस्थ संतान प्राप्त कर सकते हैं।
  • भद्रासन से शरीर में वायु विकार दूर होते हैं।
  • भद्रासन करने से व्यक्ति बहुत अधिक ऊर्जावान बनता है और मानसिक शांति बनी रहती है।
  • इस आसन से कमर दर्द भी दूर रहता है।

भद्रासन करते समय रखी जाने वाली सावधानियां | Precautions during Bhadrasana

  • भद्रासन करते समय अपना ध्यान मूलाधार चक्र से आज्ञा चक्र तक रखें।
  • बहुत ज्यादा कमर दर्द से परेशान व्यक्ति इस आसन को बहुत ही धीरे-धीरे करें।
  • यदि किसी व्यक्ति को घुटनों में या एडियो में किसी तरह का दर्द या चोट है तो वह भद्रासन को न करें या चिकित्सक से सलाह मशवरा करके ही करें।

धन्यवाद।

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