पद्मासन (Padmasana in Hindi): विधि, फायदे एवं सावधानियां

पद्मासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें पद्म का अर्थ है कमल और आसन का अर्थ है मुद्रा या स्थिति। ऐसा आसन जिसे करते समय पोजिशन या आकृति कमल के फूल की तरह दिखाई दे उसे पद्मासन कहां जाता है।

यह आसन सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाला होता है। इस आसन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। यह शरीर की सभी नाडिय़ों (72,000) को शुद्ध करता है। यह आसन आध्यात्मिक साधकों को बहुत प्रिय होता है। यह सैकड़ों मंत्रों की सिद्धियों को देने वाला कहा जाता है। कुण्डलिनी जागृत करने में यह आसन अद्वितीय है। इस आसन में शुद्ध आत्मा से ध्यान लगाने से समस्त पापों और रोगों का नाश होता है।

पद्मासन | Padmasana

आज इस लेख में हम पद्मासन क्या है, पद्मासन करने की विधि, इसके फायदे और इसे करते समय रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में समस्त जानकारी विस्तार से देंगे। तो चलिए जानते हैं

पद्मासन क्या है ? | What is Padmasana in Hindi?

जैसा कि हमने पूर्व में ही बताया है कि पद्मासन कमल की आकृति या मुद्रा होती है। जिसमें व्यक्ति योगाभ्यास करते हुए कमल के फूल की तरह की आकृति में दिखाई देता है। यह आसन संपूर्ण शरीर के रोगों का नाश करने वाला होता है तथा मनुष्य को तेजस्वी व कांतिमान बनाए रखता है। इसके साथ ही यह है आसन कमर दर्द, साइटिका और पैरों के दर्द को दूर करता है। इस आसन को करने से शरीर के सभी स्नायु तंत्र खुल जाते हैं। जिससे शरीर की सभी क्रियाएं सही तरह से सुचारू हो जाती है और रोग दूर होते हैं।

पद्मासन करने की विधि | Method of doing Padmasana

  • सर्वप्रथम जमीन पर योगा मैट बिछाकर बैठ जाएं ।
  • अब सामने की तरफ पैर फैलाकर सुखासन में बैठ जाएं।
  • अब बाएं पैर के पंजे को उठाकर दाहिने पैर की जांघ पर रखें।
  • तथा दाहिने पैर के पंजे को उठाकर बाएं पैर की जांघ पर रखें।
  • इस दौरान मेरुदंड सीधा रखें अर्थात कमर सीधी रखनी चाहिए।
  • घुटने जमीन को स्पर्श करते रहें।
  • अब बाएं हाथ को दोनों पैरों के तलवों के ऊपर और दाहिने हाथ के पंजे को बाएं हाथ के पंजों के ऊपर रखें।
  • अब इस मुद्रा में बैठे हुए धीरे-धीरे श्वास लेते और छोड़ते रहे।
  • यह पद्मासन योग मुद्रा कहलाती है।
  • यथासंभव जितनी देर इस स्थिति या पोजीशन में रुक सकते हैं उतनी देर रुके।
  • साथ ही में सांस लेते और छोड़ते रहे।
  • समस्त चक्रों का ध्यान करें।
  • साथ ही में मन में यह भावना रखें कि आपके सभी चक्र जागृत हो रहे हैं।
  • आत्मा शुद्ध होती जा रही है ऐसी भावना रखें।
  • इस आसन को करने के दौरान समस्त चक्रों का ध्यान करते हुए आप अपने गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।

पद्मासन के फायदे | Benefits of Padmasana in Hindi

  • इस आसन से प्राण वायु अपान वायु से मिलती है।
  • यह आसन शरीर की सभी स्नायु तंत्र को खोलता है।
  • प्राण सुषुम्णा से प्रवाहित होने लगते हैं। जिससे जीवनदायिनी शक्ति प्राप्त होती है।
  • काम विकारों का नाश करके काम शक्ति यथावत करता है।
  • चेतना ऊर्ध्वमुखी बनाता है।
  • चेहरे को कांतिमय बनाता है।
  • शरीर के सभी रोगों का धीरे धीरे नाश करता हुआ, साधक को निरोगी बनाता है।
  • मानसिक शांति प्रदान कर मन की चंचलता को दूर करता है।
  • इस आसन को नियमित करते रहने से पापकर्मों का भी नाश होता है।
  • कुंडलियों को जागृत करने में विशेष सहायक होता है यह पद्मासन।
  • पद्मासन मैं बैठकर लगातार 15 मिनट ध्यान करने से अपने स्थान से हटी हुई नाभि भी अपने स्थान पर आ जाती है।
  • नियमित पद्मासन का अभ्यास करने से साधक की 72000 नाडिय़ा शुद्ध होती है।
  • इस आसन को करने पर पैरों में रक्त संचार कम हो जाता है। जिस कारण उदर (पेट) एवं कटि(कमर) प्रदेश में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है। इस प्रकार इन दोनों अंगों से संबंधित सभी रोगों में लाभ मिलने लगता है।

सावधानियां | Precautions

पद्मासन करते समय कुछ विशेष सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए जिससे पद्मासन का पूर्ण फायदा हमें मिल सके तो चलिए जानते हैं इन सावधानियों के बारे में-

  • क्षमता से अधिक देर तक जबरदस्ती पद्मासन की अवस्था में न बैठे रहे।
  • घुटनों में दर्द हो तो पहले पवनमुक्तासन संबंधी क्रियाओं को करें। उसके बाद में पद्मासन करें।
  • जब भी आसन लगाएं मेरुदंड ,गर्दन, सिर सीधे रखकर ही अभ्यास करना चाहिए।
  • पद्मासन करते समय पैरों की स्थिति बदल कर अवश्य करें ताकि शरीर के अंगों का विकास समान रूप से हो।
  • साइटिका और घुटनों के तेज दर्द से पीड़ित व्यक्ति अपने डॉक्टर से परामर्श के बाद ही पद्मासन करें।

धन्यवाद |

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *