इस लेख में हमने आयुर्वेद की सुप्रशिद्ध दवा कसीस भस्म के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाई है | यह दवा आयुर्वेद की सौम्य औषधि है अर्थात इसे कोमल प्रकृति वाले व्यक्ति भी सेवन कर सकते है | मुख्यत: यह एनीमिया, लीवर एवं पित्तज विकारों में उपयोग होती है |
यह दवा कसीस खनिज द्रव्य से बनाई जाती है | इसलिए सबसे पहले कसीस के बारे में जान लेते है –
कसीस क्या है ? | What is Kasis
कसीस को अंग्रेजी में Ferrous Sulphate (FeSO4.7H2O) कहते हैं | आयुर्वेदमतानुसार कसीस दो तरह का होता है। एक पुष्प कसीस और दूसरा बालू कसीस । बालू कसीस को धातु कसीस भी कहते हैं। यह खनिज तथा कृत्रिम दोनों प्रकार का होता है। यह कृत्रिम लोहा और गंधक के तेजाब से बनता है। प्राय :बाजार में यही मिलता है औषध प्रयोग के लिए यह उत्तम है।
जी हां, भस्म बनाने के लिए यही कसीस उपयुक्त होता है। पहले उत्तम किस्म का कसीस लेने के बाद इसको भांग के रस में दोलायंत्र विधि से स्वेदन करके शुद्ध किया जाता है। कसीस पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाए तब उससे भस्म तैयार की जाती है। तो चलिए जानते हैं भस्म बनाने की विधि के बारे में
कसीस भस्म बनाने की विधि | Manufacturing Process of Kasis Bhasma
घटक: कसीस Ferrous Sulphate (FeSO4.7H2O)
अच्छे हरे रंग का कसीस लेकर लोहे के तवे पर रखकर अग्नि पर गर्म कर उसका जल सुखा ले। उसके बाद में ताजे हरे आंवले, भांगरा अथवा कंधारी अनार के रस में मर्दन कर लघु पुट अर्थात गाय के गोबर से बने हुए थोङे कण्डो की आंच में फूंक दें। ऐसे ही दो पुट देने से ही लाल रंग की कसीस भस्म तैयार हो जाएगी।
इस प्रकार हमारी कसीस भस्म तैयार हो जाती है। यह भस्म पांडू रोग, शरीर मे रक्त की कमी, टीबी, कुष्ठ रोग, यकृत वृद्धि, प्लीहा वृद्धि, उदर रोग तथा शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द आदि में बहुत ही उपयोगी होती है ।
कसीस भस्म के फायदे एवं गुण | Kasis Bhasma Benefits in Hindi
- यह भस्म पांडू रोग, शरीर मे रक्त की कमी, टीबी, उदर रोग अर्थात पेट में दर्द और शरीर में किसी भी प्रकार के दर्द में बहुत उपयोगी होती है।
- रोग खत्म होने के बाद भी शरीर में होने वाली कमजोरी को दूर करने तथा शरीर में नया खून बनाने में और शरीर को पुष्ट बनाने के लिए यह एक उत्तम भस्म है।
- यह पाचक पित्त के विकार को दूर करके अग्नि को बढ़ाती है। रक्त का वर्धक करके व पित्त का नाश करने वाले गुण विशेष होने से यह कोमल प्रकृति वालों अर्थात मंदाग्नि वालों के लिए भी विशेष अनुकूल होती है।
- कसीस की भस्म मण्डूर भस्म से भी ज्यादा सोम्य भस्म होती है। यह कषाय गुण युक्त होने से नेत्र रोगों में भी बहुत लाभदायक होती है। नेत्र रोगों में कसीस भस्म को त्रिफला घृत के साथ देने से जल्द लाभ मिलता है।
- कई बार उम्र के साथ शरीर के अंग ढीले होने लग जाते हैं, उस स्थिति में इस भस्म का उपयोग कुछ समय लगातार करने से अंगों में मजबूती और कड़ापन आ जाता है।
- जब शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट लग जाए तो उस समय कसीस भस्म को उस स्थान पर लगाने से जल्द ही खरोटे आने शुरू हो जाते हैं अर्थात घाव भरना शुरू हो जाता है। कसीस भस्म को घी के साथ मिलाकर घाव पर लगाना चाहिए।
- कई बार शरीर के कई हिस्सों पर फोड़े हो जाते हैं। साथ ही में इन से मवाद निकलना शुरू हो जाता है और खुजली भी बहुत होती है। ऐसी स्थिति में कसीस भस्म को लगाने से जल्द ही फोङे से मवाद सूख जाती है और साथ ही में खुजली भी आना भी बंद हो जाती है। आधुनिक डॉक्टरों के अनुसार कासीस भस्म करकंबल नामक फोड़े के अंदर बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है।
- कसीस भस्म को दंत मंजन में मिलाकर उपयोग में लेने से मसूड़ों के सभी प्रकार के विकार दूर हो जाते हैं तथा दांत मजबूत होते हैं और मुख की दुर्गंध भी दूर हो जाती है।
- जब शरीर में रक्त कणों की कमी हो जाती है_ इसका कारण यह होता है कि पाचक पित्त दूषित होकर अपना कार्य बंद कर देता है जिससे खाई हुई वस्तु का ठीक से पाचन नहीं होता और अच्छा रस नहीं बनता अच्छा रस नहीं बनने से रक्त भी साफ नहीं बनता अतः रक्त कण बनना बंद हो जाते हैं ऐसी स्थिति में कसीस भस्म को शहद के साथ कुछ दिन तक खाने से बहुत लाभ होता है। इससे अग्नि प्रदीप्त होती है और पाचक पित्त ठीक से काम करना शुरू हो जाता है और रक्त भी शुद्ध बनना शुरू हो जाता है।
इस प्रकार अलग-अलग रोगों में अलग-अलग अनुपान के साथ कसीस भस्म का उपयोग करने से आशाकारी लाभ मिलता है।
मात्रा और सेवन विधि
1-3 ग्राम, सुबह- शाम शहद के साथ सेवन का विधान है | इसका प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेनी आवश्यक है | रोग एवं प्रकृति के आधार पर चिकित्सक ही इसकी मात्रा का निर्धारण करते है | अत: कसीस भस्म सेवन से पहले चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें |
कसीस भस्म से सम्बंधित सावधानियां | Precautions
- निर्धारित मात्रा में ही सेवन करें |
- हालाँकि औषधि नुकसान रहित है लेकिन अगर अशुद्ध कसीस से बनी भस्म का प्रयोग करेंगे तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक हो सकता है | ध्यान दें विश्वसनीय दवा निर्माता कंपनी की ही कसीस भस्म का प्रयोग करना चाहिए |
- हमने इस लेख में कसीस भस्म बनाने की विधि के बारे में उल्लेख किया है, वह मात्र ज्ञान वर्द्धन एवं आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण कैसे होता ये बताने के लिए किया है | इसका निर्माण निपुण फार्मासिस्ट एवं वैद्य द्वारा ही किया जाना चाहिए |
- वैद्य द्वारा उल्लेखित अनुपान का पालन करें |
धन्यवाद |