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आयुर्वेद एक विस्तृत विज्ञानं है | यहाँ हम इसका संक्षिप्त परिचय जिसमे इसकी शाखाएं, सिद्धांत एवं औषध व्यवस्था आदि की सामान्य जानकारी देंगे |
तो चलिए सबसे पहले जानते है आयुर्वेद का परिचय
आयुर्वेद परिचय | Introduction of Ayurveda in Hindi
आयुर्वेद विश्व का सबसे पुराना चिकित्सा विज्ञानं है | यह वृहत एवं गूढ़ चिकित्सा विज्ञानं भारत देश की ही देन है | हमारे ऋषि – मुनियों ने भारतीय चिकित्सा पद्धति को आयुर्वेद के नाम से सम्बंधित किया है | यह दो शब्दों से मिलकर बना है – (1) आयु + (2) वेद | हालाँकि इसे 4 वेदों में स्थान नहीं है लेकिन फिर भी यह वेद ही पुकारा जाता है |
क्योंकि अगर आयुर्वेद का शाब्दिक अर्थ देखें तो आयु मतलब स्वास्थ्य एवं हितकारी आयु एवं वेद का अर्थ होता है शास्त्र अर्थात “जो शास्त्र आयु का ज्ञान करवाए या यूँ कहें कि स्वास्थ्य का ज्ञान करवाए उसे आयुर्वेद कहते है |
प्राचीन विद्वानों के अनुसार शरीर, इन्द्रिय, मन और आत्मा के संयोगकाल को आयु कहा जाता है और जो शास्त्र इस आयु से सम्बंधित ज्ञान का रहस्य बताता है वह आयुर्वेद कहलाता है |
आयुर्वेद की उत्पति: आज से हजारों साल पहले आयुर्वेद की उत्पति मानी जाती है | इसका उद्भव भारतीय संस्कृति की जड़ी-बूटियों के उपयोग के साथ शुरू हुआ है | कहा जाता है कि आयुर्वेद की उत्पति स्वयं ब्रह्म के वरदान रूप में हुई | ब्रह्मा ने दक्ष प्रजापति को आयुर्वेद की शिक्षा दी, फिर दक्ष प्रजापति ने दोनों अश्वनी कुमारों को इसकी शिक्षा दी |
अश्वनी कुमार इन्दर के दरबार के देवता थे इंद्र ने जब इस विद्या की चमत्कारिक उपलब्धियां देखी, तो उन्होंने अश्वनी कुमार से इसे सिखा और उन्होंने इसका ज्ञान मह्रिषी आत्रेय को दिया |
इस प्रकार यह ज्ञान आगे बढ़ता गया एवं चरक, सुश्रुत एवं वाग्भट से होते हुए अनेकों ऋषियों ने इसे आगे बढाया | आयुर्वेद के विभिन्न ऋषियों ने अनुसन्धान एवं प्रयोगों से इसे एक नया रूप दिया |
आयुर्वेद के सिद्धांत:
आयुर्वेद में चिकित्सा के कुछ मूलभुत सिद्धांतों का पालन किया जाता है, जो इसे पूर्णत: वैज्ञानिक बनाते है | हालाँकि ये सिद्धांत आधुनिक चिकित्सा से बिलकुल भिन्न है लेकिन फिर भी अकाट्य है | इन्हें सामान्य व्यक्ति समझ नहीं सकता
- आयुर्वेद त्रिदोष (वात, पित्त एवं कफ) सिद्धांत पर कार्य करता है |
- आयुर्वेद अनुसार प्रत्येक प्राणी में कोई एक दोष की प्रबलता होती है | संसार के प्रत्येक व्यक्ति वातज, पित्तज या कफज प्रप्रकृति में से किसी एक प्रकृति के होते है |
- मनुष्यों की तरह ही वनस्पतियाँ में भी ये प्रकृतियाँ होती है |
- आयुर्वेद में सप्त धातु का सिद्धांत है |
- आयुर्वेद चिकित्सा करने से पहले अवस्था, लिंग, देशकाल, ऋतू एवं जन्म स्थान का भी सिद्धांत है | इन्ही के आधार पर रोगी की चिकित्सा की जाती है |
स्वस्थवृत्त क्या है ? | What is Swasthvirta in Hindi?
आयुर्वेद अनुसार स्वस्थवृत्त को स्वास्थ्य का आधार माना जाता है | स्वस्थवृत्त का तात्पर्य है कि मनुष्य के लिए क्या उपयुक्त है और क्या उसे अपनाना चाहिए | अर्थात स्वस्थवृत्त के नियमों का पालन करके मनुष्य आजीवन निरोगी रह सकता है | इन नियमों में मनुष्य के लिए देश, काल, ऋतू एवं प्रकृति के अनुसार आहार एवं विहार के नियमों का उल्लेख किया गया है |
अगर स्वस्थवृत्त की शाब्दिक परिभाषा देखी जाये तो “मनुष्य द्वारा नित्य सोकर उठने के पश्चात जो हितकारी कर्म करने चाहिए उसे स्वस्थवृत्त कहते है |”
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