अभयादि मोदक हरड, पीपलामूल, सोंठ, कालीमिर्च, पिप्पली, दालचीनी, तेजपता एवं नागरमोथा जैसी जड़ी बूटियों से तैयार होने आयुर्वेदिक दवा है | इसका उपयोग कब्ज, पाचन विकार, वात विकार एवं मष्तिष्क से सम्बंधित रोगों में किया जाता है |
मलबद्धता में यह उत्तम औषधि है | पीलिया, खांसी, विषविकार, बुखार, मन्दाग्नि एवं पेट दर्द में इसके सेवन से मलबद्धता दूर होती है एवं रोग में आराम मिलता है | इसे आप एसे समझ सकते है कि अगर आपको इन उपरोक्त रोगों में लम्बे समय से कब्ज की समस्या रही है तो यह औषधि लाभकारी साबित होगी |
अभयादि मोदक का प्रमुख कार्य कोलन की शुद्धि करना एवं पाचन विकृति को ठीक करना है | चलिए सबसे पहले इसके घटक द्रव्यों के बारे में जानते है |
Medicine Name | Abhayadi Modak (अभयादि मोदक) |
Type | Tablets (वटी) |
Manufacturer | Patanjali, Baidyanath, Dabur, Nagarjuna |
Uses | Laxative, Digestion |
Reference | Sharangdhar Samhita (शार्गंधर संहिता) |
अभयादि मोदक के घटक | Composition of Abhayadi Modak in Hindi
- हरीतकी – 1 भाग
- पीपलीमूल – 1 भाग
- पीपल – 1 भाग
- सोंठ – 1 भाग
- कालीमिर्च – 1 भाग
- दालचीनी – 1 भाग
- तेजपता – 1 भाग
- नागरमोथा – 1 भाग
- वायविडंग – 1 भाग
- आंवला – 1 भाग
- दंतीमूल – 3 भाग
- निशोथ – 8 भाग
- मिश्री – 6 भाग
- शहद – गोलियां बनाने के लिए
बनाने की विधि : उपरोक्त सभी जड़ी – बूटियों को वर्णित अनुपात में ले कर इनका महीन चूर्ण बना लिया जाता है | अब सभी चूर्ण को एक साथ मिलाकर एकसार कर लिया जाता है | अंत में इस चूर्ण में आवश्यकता अनुसार गोलियां बन जाएँ इतना शहद मिलाकर 3 से 6 माशे की गोलियां बना ली जाती है |
तैयार गोलिया अभयादि मोदक कहलाती है |
अभयादि मोदक के फायदे | Abhayadi Modak Uses in Hindi
यह निम्न रोगों में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा है | यहाँ निचे हमने लिस्ट के माध्यम से इसके विभिन्न रोगों में उपयोग को वर्णित किया है |
- कोष्ठबद्धता
- पाचन की विकृति
- कमजोर भूख
- अजीर्ण
- पेटदर्द मलबद्धता के कारण
- ज्वर (दीर्घकालिक कब्ज होने पर उपयोगी)
- पीलिया (दीर्घकालिक कब्ज होने पर उपयोगी)
- विषविकार
- मन्दाग्नि
- दाह / जलन (दीर्घकालिक कब्ज होने पर उपयोगी)
- प्लीहा वृद्धि
- वातरोग (कोष्ठबद्धता के कारण के कारण अन्य औषध योगों के साथ उपयोगी)
- आफरा
- कुष्ठ एवं प्रमेह आदि रोगों में मलविकार को दूर कर सत्वर लाभ पहुंचती है |
सेवन की विधि (खुराक) | Dose
कब्ज को दूर करने एवं जुलाब लगाने के लिए इस औषधि का प्रयोग 1 से 2 गोली ठन्डे जल के साथ दी जाती है | यह मात्रा आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा निर्धारित की जाती है | अभयादि मोदक का प्रयोग शीतल जल के साथ ही किया जाता है | उपयोग करने के बाद जब जुलाब को रोकना हो तो गरम जल का सेवन करवाया जाता है | गरम जल पीते ही दस्त रुक जाते है |
नुकसान | Side Effects
वैसे यह औषधि निर्धारित मात्रा में सेवन करने पर पूर्णत: सुरक्षित है | हालाँकि यह दस्तावर औषधि है अत: चिकित्सकीय सलाह आवश्यक है | अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में मरोड़ आकर दस्त लगते है | अगर दस्त रुक न रहें हो तो रोगी को गरम जल पीने की सलाह दी जाती है |