राजस्थान के वैद्य की प्रमुख दवा और 80 प्रकार के वात रोगों को समूल नष्ट करने की प्रसिद्ध ओषधि है अमरसुन्दरी वटी | सभी प्रकार के कठिन वात रोग, वातज उन्माद, दुस्तर श्वास, कास (खांसी ), अपस्मार(मिर्गी), मोतीझरा (टाइफायड), बवासीर ,सनिपात (तीनो प्रकार के ज्वर), पक्षाघात, अर्दित (लकवा), अपतनत्रक, पेट में वायु भर जाना, क्षय (टीबी), गुल्म (गैस का गुब्बारा), प्रमेह (मधुमेह), सुतिकारोग, गृहणी, मन्दाग्नि, शूल (दर्द), पांडु (पीलिया), प्लीहावृद्धि, यक्रत वृद्धि, नूतन अजीर्ण ज्वर , अतिसार, अरुचि और वात से होने वाले हाथ -पैर के दर्द में यह अचूक दवा है | इस कारण ही यह सबसे ज्यादा बिकने वाली दवा है |
इस वटी को विजय भैरव रस के नाम से भी जानते है | यहाँ इस आर्टिकल में हम आज आपको अमरसुंदरी वटी के घटक, इसकी निर्माण विधि, चिकित्सकीय उपयोग एवं फायदों के बारे में बताएँगे |
दवा का नाम | अमरसुंदरी वटी |
निर्माता | पतंजलि, बैद्यनाथ, डाबर, श्री मोहता आदि |
मूल्य | रूपए 60 से 100 |
मात्रा | 60 Tablets |
उपयोग | 80 प्रकार के वात रोगों में उपयोगी |
चलिए सबसे पहले जानते है इसके घटक द्रव्यों के बारे में अर्थात यह औषधि कौन – कौन सी जड़ी – बूटियों के सहयोग से निर्मित होती है |
Post Contents
अमर सुन्दरी वटी के घटक द्रव्य | Ingredeints of Amarsundari Vati in Hindi
- सोंठ
- कालीमिर्च
- पीपल
- बहेड़ा
- हरड
- आंवला
- सम्भालू के बीज
- पिप्लामुल
- चित्रक मूल (छाल )
- लोह भस्म
- दालचीनी
- छोटी इलायची
- तेजपता
- नागकेशर
- शुद्ध पारद
- शुद्ध गन्धक
- शुद्ध विष (वत्सनाभ)
- वायविडंग
- अकरकरा
- नागरमोथा
- कस्तुरी
अमर सुन्दरी वटी बनाने की विधि
सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, हरड, बहेड़ा, आंवला, सम्भालू के बीज, पीपलामूल, चित्रक मूल, लौह भस्म, दालचीनी, छोटी इलायची , तेजपता, नागकेशर, शुद्ध पारद, शुद्ध गन्धक, शुद्ध विष, वायविडंग, अकरकरा, नागरमोथा प्रत्येक 1 -1 तोला और कस्तुरी 3 माशा ले | सबसे पहले पारा -गन्धक की कज्जली बना ले, उसके पश्चात कस्तुरी को छोड़ शेष द्रव्यों का सूक्ष्म चूर्ण बना कपड़छान कर मिला ले, उसके बाद जल के साथ मर्दन करे | अच्छी तरह घोटने के बाद अन्त में कस्तुरी मिलाकर खूब मर्दन करे | गोली बनने योग्य होने पर 1 -1 रति की गोली बना छाया में सुखाकर सुरक्षित रख ले |
अमरसुन्दरी वटी के चिकित्सकीय उपयोग | Clinical uses of Amarsundari Vati in Hindi
- वात रोग
- पक्षाघात
- बवासीर
- अर्दित (लकवा)
- उन्माद (मानसिक असंतुलन)
- मिर्गी
- श्वास रोग
- जुकाम
- खांसी
- प्रसूता रोग ज्वर आदि
अमरसुंदरी वटी के फायदे | Benefits of Amarsundari vati
मिर्गी रोग: इस औषधि का प्रयोग अपस्मार अर्थात मिर्गी रोग में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा करवाया जाता है | यह औषधि वात विकृति के कारण हुई मानसिक विकारों को दूर करती है अत: मिर्गी रोग में इसके सेवन से लाभ मिलता है |
लकवा: अमरसुंदरी वटी के बारे में बताया गया है कि यह दवा सभी प्रकार के वात जनित विकारों में लाभदायक है | पक्षाघात अर्थात लकवा एक दुखदाई स्थति है इस रोग में अमरसुंदरी वटी के सेवन से लाभ मिलता है |
बवासीर: बवासीर की समस्या ख़राब पाचन एवं कब्ज आदि के कारण अधिक दुखदाई होती है | इस रोग में अमरसुंदरी वटी का उपयोग पाचन को सुधारकर बवासीर में आराम दिलाता है साथ ही बवासीर में होने वाले दर्द में भी राहत देती है |
मानसिक विकार: उन्माद या पागलपन की स्थिति मानसिक विकारों में आती है | इस औषधि में एसी जड़ी – बूटियां उपस्थित है जो मष्तिष्क को शांत करके उन्माद में आराम दिलाती है |
वातविकृति: अमरसुंदरी वटी को वात व्याधियों की उत्तम औषधि माना गया है | यह 80 प्रकार के वात रोगों को ठीक करने का सामर्थ्य रखती है | वात व्याधियों में वैद्य इस औषदी का उपयोग करवाते है |
श्वास रोग: अमरसुंदरी वटी में पिप्पली, कालीमिर्च एवं शुद्ध वत्सनाभ जैसी जड़ी – बूटियां है जो अस्थमा रोग में आराम दिलाती है | अमरसुंदरी वटी के फायदे में श्वास रोग भी आता है | वैद्य इसका उपयोग करवाते है |
जुकाम एवं खांसी: जुकाम हो या खांसी की समस्या दोनों में इस औषधि के सेवन से लाभ मिलता है | आयुर्वेदिक चिकित्सक सर्दी जुकाम में भी इस दवा का प्रयोग बताते है | अत: यह जुकाम एवं खांसी में फायदेमंद है |
प्रसूता के रोग: नवजात बच्चों की माँ को प्रसव पश्चात ज्वर की स्थिति बन आती है एसे में अमरसुंदरी वटी का सेवन प्रसूता ज्वर में लाभ देता है | वैद्य इसका प्रयोग विभिन्न परीक्षाओं के पश्चात बताते है |
खुराक एवं सावधानियां
अमरसुंदरी वटी की खुराक शास्त्रोक्त 1 से 2 गोली दिन में दो बार वैद्य सलाह अनुसार लेनी चाहियी | वैद्य द्वारा निर्देशित मात्रा एवं अनुपान में ही इस औषधि का उपयोग करना चाहिए | इस आयुर्वेदिक दवा में वत्सनाभ एवं भस्म आदि घटक है जो इसे रस प्रकरण की औषधि बनाते है |
अत: इसका सेवन निर्देशित मात्रा से अधिक नहीं करना चाहिए | बैगर वैद्य सलाह अमरसुंदरी वटी का प्रयोग करना नुकसानदायक हो सकता है |
धन्यवाद |