वातकुलान्तक रस के फायदे: ऐसा रस जो वात व्याधियों के कुल को ही खत्म कर दे अर्थात वात से होने वाली सभी प्रकार की भीषण बीमारियों को जड़ से ही मिटा देने के कारण ही इसे वात कुलान्तक रस कहते है | यह रस महाघोर अपस्मार (Epilepsy), हिस्टीरिया (Hysteria), मूर्च्छा (बहोशी), आक्षेपकयुक्त विविध वातरोग (मिर्गी के झटके), निद्रानाश (Insomnia), प्रबल हिक्का (Hiccups), धनुर्वात (Tetanus), सूतिका रोगों में आक्षेप आदि को दूर करता है और मन को प्रसन बनता है | वात व्याधियों में यह रामबाण ओषधि है |
इस दवा का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सा में कठिन वातरोगों के चिकित्सार्थ किया जाता है | इसके सेवन से शरिर में उपस्थित सभी प्रकार के वात रोग नष्ट होते है | इसका प्रयोग मुख्यत: मिर्गी एवं लकवे के उपचार में किया जाता है |
दवा का नाम (Name) | वातकुलान्तक रस |
निर्माता (Company) | पतंजलि, बैद्यनाथ, डाबर, धूतपापेश्वर आदि |
मूल्य (Price) | रु. 475 |
मात्रा (Dose) | 25 टेबलेट |
उपयोग (Uses) | मिर्गी, हिस्टीरिया, एवं वात व्याधि आदि |
यहाँ इस लेख में हम आपको वातकुलान्तक रस के फायदे, इसके निर्माण में काम आने वाले घटक द्रव्य एवं इसकी खुराक के बारे में बताएँगे | चलिए सबसे पहले जानते है इसके घटक द्रव्यों के बारे में
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वातकुलान्तक रस के घटक द्रव्य | Ingredients of VatKulantak Ras in Hindi
निर्माण विधि कस्तुरी, शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक, नागकेसर, शुद्ध मैनशिल, बहेड़ा, जायफल, छोटी इलायची के बीज और लोंग प्रत्येक को 1 -1 तोला ले | सबसे पहले पारा और गन्धक की कज्जली बना ले, उसमे कस्तुरी डालकर ब्राह्मी के रस में 3 घंटे तक मर्दन करे, फिर शेष दवाओं का कपड़छन किया हुआ चूर्ण मिला कर, ब्राही के रस में एक दिन मर्दन करके 1 -1 रती की गोली बना सुखाकर रख ले |
यह गोलियां वात कुलान्तक रस कहलाती है |यहाँ निचे आप वात कुलान्तक रस के फायदे और चिकित्सकीय उपयोग के बारे में जानेगे |
वातकुलान्तक रस के चिकित्सकीय उपयोग | Clinical Uses of Vatkulantak Ras in Hindi
- अपस्मार(मिर्गी )
- मूर्च्छा (बहोशी )
- हिस्टीरिया
- आक्षेपक
- धनुर्वात
- पक्षाधात
- सूतिका रोग में आक्षेप
- निद्रानाश
- मानसिक रोग
वातकुलान्तक रस के फायदे | Benefits of Vatkulantak Ras in Hindi
अपस्मार: अपस्मार अर्थात मिर्गी इस रोग में रोगी को बार -बार दोरे पड़ते है | लोगो में भ्रम है की यह एक प्रकार का अनुवांशिक रोग है परन्तु ऐसा नहीं है | यह एक प्रकार का वात विकृति का रोग है | इस रोग में वातकुलान्तक रस के साथ अन्य औषध योगों का सेवन अत्यंत लाभ देता है |
मूर्च्छा: बेहोसी की समस्या मानसिक विकारों में आती है | यह दवा सबसे अधिक प्रभावी मस्तिष्क और वातवाहिनी नाड़ियों पर होती है | अत: मूर्च्छा एवं मिर्गी जैसे रोगों में इस औषधि के प्रयोग से फायदा मिलता है |
धनुर्वात: वातवाहिनी नाड़ियों की विकृति से रक्त का संचार ठीक ढंग से नहीं होता अत: शिराओं में खिंचावट पैदा होती है | तब धनुर्वात जैसा रोग पनपता है | इस रोग में भी वातकुलान्तक रस के सेवन से फायदा मिलता है |
पक्षाघात: इसे सामान्य भाषा में लकवा भी बोला जाता है | लकवा होने पर वातकुलान्तक रस के फायदे अनेक है | यह वातव्याधि एवं विकृत वात के कारण होता है | एसे में इस औषधि का सेवन वैद्य सलाह से करना चाहिए |
अनिद्रा: नींद न आने की समस्या भी मानसिक विकारों में ही आती है | इस रोग में आयुर्वेदिक चिकित्सक वातकुलान्तक रस को प्रभावी मानते है | मानसिक तनाव को कम करके शांति प्रदान करती है |
मानसिक रोग: इस रसायन औषधि का सबसे अधिक प्रभाव मस्तिष्क एवं वातवाहिनी नाड़ियों पर होता है अत: समस्त मानसिक विकारों में वातकुलान्तक रस के फायदे होते है | वैद्य इसका अन्य औषधियों के साथ योग स्वरुप प्रयोग में लेते है |
वातकुलान्तक रस की खुराक एवं अनुपान | Doses and Anupana of Vatkulantak Ras
इस औषधि का उपयोग 1 – 1 गोली की मात्रा में दिन में 3 से 4 बार वैद्य निर्देशित करते है | यह खुराक आपके रोग एवं प्रकृति पर आधारित होती है | खुराक कम एवं ज्यादा रोगी की प्रकृति के हिस्साब से की जा सकती है | अनुपान के रूप में इसके साथ ब्राह्मी, शंखपुष्पी, लौंग एवं जटामांसी क्वाथ का उपयोग होता है |
सावधानियां
यह रस रसायन प्रकरण की औषधि है अत: इसका सेवन वैद्य सलाह अनुसार ही करना चाहिए | निर्देशित खुराक एवं अनुपान के साथ औषधि का उपयोग किया जाना चाहिए | अगर वातकुलान्तक रस के फायदे अधिक लेना चाहते है तो निश्चित करें की वैद्य निर्देशित मात्रा में ही औषधि ग्रहण की जा रही है |
बुजुर्ग, बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को इस औषधि का उपयोग चिकित्सक सलाह से ही करना चाहिए | निर्देशित मात्रा से अधिक डोज लेने से नुकसान संभावित है |
धन्यवाद |