अकीक पिष्टी के फायदे: आयुर्वेद की शास्त्रोक्त औषधि है | यह रक्तपित्त, शरिर की गर्मी, बुखार की गर्मी एवं हृदय की दुर्बलता में लाभदायक आयुर्वेदिक दवा है |
वैसे पिष्टी शब्द से जीतनी भी आयुर्वेदिक दवाएं है वे सभी शीतल प्रकृति की होती है | इनका उपयोग अधिकतर शरिर में शीतलता देने के लिए किया जाता है भले ही चिकित्सकीय गुण उपयोग अलग हों |
अकीक एक प्रकार का पत्थर होता है जो सफ़ेद, लाल, नीला या पीले रंग का होता है | इन्ही रंगों के आधार पर इनका वर्गीकरण किया जाता है | सफ़ेद अकीक को औषधीय उपयोग के लिए सर्वाधिक उपयोगी एवं गुणकारी माना गया है | इस पत्थर को शोद्धित करके औषधीय उपयोग में लिया जाता है |
यहाँ इस आर्टिकल में हम आपको अकीक पिष्टी के फायदे, गुण, उपयोग एवं निर्माण विधि के बारे में बताएँगे | चलिए सबसे पहले जानते है कि अकीक पत्थर को औषधीय उपयोग के लिए कैसे तैयार किया जाता है | अर्थात इसका शोद्धन कैसे होता है |
इसके शोद्धन की दो विधि है
प्रथम विधि: अकीक खनिज पत्थर को आग में तपा – तपा कर गुलाब जल में लगातार 21 बार बुझाया जाता है | इससे यह पत्थर खिल जाता एवं साथ ही मुलायम भी हो जाता है | यह इसके शोद्धन की प्रथम विधि | 21 बार बुझाने से यह शुद्ध हो जाता है |
दूसरी विधि: इस पत्थर के टुकड़ों को आग में तपा कर 7 बार त्रिफला क्वाथ में बुझाने से यह शुद्ध हो जाता है |
Post Contents
अकीक पिष्टी के चिकित्सकीय उपयोग | Clinical uses of Akik Pishti in Hindi
निम्न रोगों में चिकित्सक इसका उपयोग करते है |
- हृदय की दुर्बलता
- रक्तपित्त
- आँखों की कमजोरी
- ज्वर
- रक्तप्रदर
- श्वेतप्रदर
- नकसीर
- तिल्ली बढ़ना
- घाव
- सुजन
- पत्थरी
- वीर्य वृद्धि
अकीक पिष्टी बनाने की विधि | Manufacturing process of Akik Pishti
इसे बनाने की विधि जानने से पहले यह जानना चाहिए कि पिष्टी एवं भस्म में क्या अंतर होता है | जैसे अकिक भस्म एवं पिष्टी में मुख्य अंतर इनकी निर्माण विधि के आधार पर होता है | भस्म में शोद्धित अकिक को गुलाब जल में पीसकर इसकी टिकिया बना ली जाती है एवं इन्हें गजपुट में अग्नि देकर भस्म बना ली जाती है |
वहीं पिष्टी बनाने के लिए पहले अकिक को खरल में महीन पीसकर इसमें गुलाब जल की भावना दी जाती है जिससे यह बिलकुल महीन चूर्ण रूप में बनती है | इस प्रकार से पिष्टी का निर्माण होता है |
अकिक पिष्टी का निर्माण करने के लिए सबसे पहले इसके शोद्धित टुकड़ों को खरल में पीसकर इसमें गुलाब जल मिलाकर लगातार 5 से 7 दिन घोंटा जाता है | जिससे इसकी बहुत ही महीन पिष्टी बन जाती है | इस प्रकार से अकिक पिष्टी का निर्माण होता है |
अकीक पिष्टी के फायदे | Benefits of Akik Pishti in Hindi
इस आयुर्वेदिक औषधि के निम्न फायदे है | आप इस लिस्ट के माध्यम से इसके फायदों को अच्छी तरह से समझ सकते है |
- हृदय दुर्बलता: कमजोर हृदय वाले रोगियों को वैद्य द्वारा अकीक पिष्टी का सेवन बताया जाता है | यह गुणों में शीतल एवं हृदय को बल देने वाली होती है अत: हृदय की कमजोरी में अकीक पिष्टी फायदेमंद है |
- रक्तपित: यह एक प्रकार का रोग है (आप यहाँ से रक्तपित्त के बारे में अधिक पढ़ सकते है) | यह शरिर में अधिक उष्णता के कारण होता है | इसमें अकीक पिष्टी के सेवन अत्यंत लाभदायक होता है |
- आँखों की कमजोरी में आंवले के मुर्र्बे के साथ अकीक पिष्टी का सेवन फायदेमंद होता है | साथ ही नेत्र रोगों में इसे लगाने से रोशनी तेज होती है एवं रोग में आराम मिलता है |
- बढ़ी हुई तिल्ली: अकीक पिष्टी का उपयोग बढ़ी हुई तिल्ली एवं यकृत विकारों में चिकित्सक द्वारा करवाया जाता है | यह तिल्ली को सामान्य करने एवं यकृत विकार को दूर करने में फायदेमंद है |
- रक्तप्रदर: रक्तप्रदर महिलाओं में होने वाला एक सामान्य रोग है जो अधिक एवं अनियमित माहवारी का कारण बनता है | अकिक पिष्टी वात व्याधियों में लाभदायक होती है अत: अपने शीतल गुणों के कारण यह रक्तप्रदर में अपनी सहऔषधियों के साथ फायदेमंद साबित होती है |
- प्लीहा विकार: अकीक पिष्टी के फायदे में प्लीहा एवं वात विकारों में इसका खास उपयोग किया जाता है | यह वात वृद्धि को दूर करने में उत्तम औषधि है |
- वीर्य विकार: अकीक पिष्टी में कामौत्पादक गुण विद्यमान होते है | इसके सेवन से वीर्य गाढ़ा होता है एवं गाढे वीर्य के कारण सहवास में समय भी बढ़ता है | यह वीर्य में उत्पन्न उष्णता को दूर करने में फायदेमंद है |
- पित्त बढ़ने के कारण अगर थूक के साथ रक्त आता है तो उसे बंद करने के लिए अकीक पिष्टी का उपयोग करना चाहिए | यह अकीक पिष्टी के फायदे में गिना जाता है |
- बाह्य प्रयोग: आभ्यांतर प्रयोग के अलावा इस औषधि का उपयोग बाहरी रूप से भी किया जाता है | हृदय रोगी इसका लोकेट बना कर पहनते है | घाव आदि पर छिड़कने से रक्त स्राव बंद हो जाता है एवं घाव जल्दी भरता है |
- पत्थरी: यह पत्थरी में भी फायदेमंद है | इसके उपयोग से पत्थरी कट – कट कर बाहर आ जाती है |
- ज्वर की गर्मी: अपने शीतल गुणों के कारण यह ज्वर के कारण आई शारीरिक गर्मी को दूर करने में अकीक पिष्टी फायदेमंद साबित होती है |
- मष्तिष्क विकार: उन्माद या पागलपन में अकीक पिष्टी काफी फायदेमंद है | यह अपने गुणों के कारण मष्तिष्क को बल देने का कार्य करती है |
अकीक पिष्टी की खुराक एवं अनुपान
इसका उपयोग 1 से 3 रति की मात्रा में किया जाता है | 1 रति लगभग 125mg के बराबर होती है | अधिकतर इस औषधि के अनुपान के रूप में शहद का ही अधिक प्रयोग बताया गया है लेकिन वैद्य विभिन्न रोगों में रोग अनुसार अन्य अनुपान भी दिये जाते है | मक्खन के साथ भी इसका प्रयोग किया जाता है |
अकीक पिष्टी का मूल्य एवं उपलब्धता
यह दवा विभिन्न फार्मेसी द्वारा निर्माण की जाती है | पतंजलि अकीक पिष्टी लगभग 5 ग्राम की मात्रा में मात्र 19 रूपए में उपलब्ध हो जाती है | वहीँ अन्य फार्मसी जैसे बैद्यनाथ, डाबर, धूतपापेश्वर आदि की अकीक पिष्टी अलग – अलग मूल्य पर उपलब्ध है |
इस औषधि को आप किसी भी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन स्टोर से प्राप्त कर सकते है |
धन्यवाद |