विसर्प रोग / Visarpa in Hindi – यह एक त्वचा का संक्रामक रोग है जिसमे त्वचा पर संक्रमण होकर लाल चकते हो जाते है | इनमे भंयकर पीड़ा होती है |
रोगी व्यक्ति को तीव्र बुखार आता है, शरीर में दर्द एवं सिरदर्द आदि की समस्या भी रहती है |
यह रोग विशेषकर संक्रामक है अर्थात रोगी व्यक्ति के सम्पर्क में आने से फ़ैल सकता है |
दूसरा अगर शरीर पर कंही को चोट या त्वचा छिली हुई हो एवं स्ट्रेप्टोकोकस पुयजेनस बैक्टीरिया उस स्थान से शरीर में प्रवेश कर जाता है जो आगे चलकर विसर्प रोग पैदा करता है |
ज्वर के साथ अनेक तरह की फुंसियां होती है जिसमे पीड़ा, दाह और खुजली होती है तथा चेप निकलता है और वे सारे शरीर में शीघ्र ही फ़ैल जाती है | इसलिए इसे ‘विसर्प’ (Erysipelas) कहते है |
विसर्प नाशक शास्त्रीय दवाईयां
सभी प्रकार के विसर्प में आयुर्वेद चिकित्सा में वमन, विरेचन, लंघन एवं लेप आदि का इस्तेमाल करके चिकित्सा की जाती है |
यहाँ कुछ शास्त्रीय औषधीय योग अर्थात दवाएं है जिनका प्रयोग विसर्प की चिकित्सा में किया जाता है |
अमृतादिक्वाथ – इस शास्त्रीय क्वाथ में 6 माशे की मात्रा में शुद्ध गुग्गुल मिलाकर सेवन करने से विष, विसर्प एवं 18 प्रकार के कोढ़ नष्ट हो जाते है | इस शास्त्रीय योग को नवकाषाय गुग्गुल भी कहते है |
भनिम्बादी क्वाथ – इस काढ़े के सेवन से विसर्प, दाह (जलन), बुखार, सूजन, खुजली, विस्फोटक, प्यास एवं वमन (उल्टी) आदि ठीक होते है |
करंज तेल – इस तेल की मालिश से भी विसर्प फायदा मिलता है | यह विस्फोट, विचर्चिका आदि रोगों को भी नष्ट करता है |
पंचतिक्त घृत – इसे 6 माशे की मात्रा में सेवन करने से इस रोग में आराम मिलता है | यह खुजली एवं फोड़े – फुंसियों में भी लाभ देता है |
विसर्पन्तिक तेल – इस तेल का प्रयोग विसर्प का इलाज और कुष्ठ का उपचार करने के लिए किया जाता है |
कुछ घरेलु नुस्खे
- सिरस की छाल को पानी में घीसकर लगाने से इस रोग में लाभ मिलता है |
- गाय के मक्खन को 108 बार धोकर उसमें शुद्ध आमलासार गंधक, फिटकरी 10 – 10 ग्राम और रसकपूर 6 माशे मिलाकर लगाने से विसर्प में आराम मिलता है |
- हितकारी आहार – विहार को अपनाना चाहिए | वमन, विरेचन, लेपन एवं लंघन आदि का प्रयोग करके शरीर को शुद्ध करने का कार्य करना चाहिए |
धन्यवाद ||