महाविषगर्भ तेल :- सभी प्रकार के वात रोगों अर्थात वातशूल का काल है यह तेल | यह आयुर्वेद का शास्त्रोक्त तेल है जिसका उपयोग मुख्यत: जोड़ो के दर्द, गठिया, साइटिका, सुजन, संधिवात, एकांगवात एवं सभी प्रकार के दर्द में किया जाता है |
इस आयुर्वेदिक तेल का निर्माण लगभग 70 से अधिक आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियों के सहयोग से किया जाता है | यह तेल बाह्य रूप से मालिश के लिए उपयोग में लिया जाता है | दर्द वाले स्थान पर निरंतर मालिश से दर्द से आराम मिलता है |
चलिए अब जानते है इस तेल के निर्माण में आने वाले घटक द्रव्यों अर्थात जड़ी – बूटियों के बारे में | यहाँ हमने महाविषगर्भ तेल के निर्माण में काम आने वाली जड़ी – बूटियों की सूचि उपलब्ध करवाई है |
महाविषगर्भ के घटक द्रव्य / Mahavishgarbha Oil Ingredients
इसमें लगभग 72 आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियों का समावेश रहता है | इसका निर्माण तिल तेल में इन सभी द्रव्यों को पकाकर किया जाता है | तिल का तेल इसका बेस तेल होता है |
- धतुरा 48 ग्राम
- चित्रक – 48 ग्राम
- चक्रमर्द – 48 ग्राम
- काकमाची – 48 ग्राम
- निम्ब – 48 ग्राम
- महानिम्ब – 48 ग्राम
- कंटकारी – 48 ग्राम
- बिल – 48 ग्राम
- गोखरू – 48 ग्राम
- शालपर्णी – 48 ग्राम
- सफ़ेद कनेर – 48 ग्राम
- लाल कनेर – 48 ग्राम
- अग्निमंथ – 48 ग्राम
- पाटला – 48 ग्राम
- शोभांजन – 48 ग्राम
- शरवनी – 48 ग्राम
- नागबला – 48 ग्राम
- अतिबला – 48 ग्राम
- वचा – 48 ग्राम
- बला – 48 ग्राम
- आक – 48 ग्राम
- प्रसारनी – 48 ग्राम
- वृहती – 48 ग्राम
- काकजंघा – 48 ग्राम
- सारिवा – 48 ग्राम
- मेषश्रंगी – 48 ग्राम
- इश्वरी – 48 ग्राम
- अश्वगंधा – 48 ग्राम
- एरंड – 48 ग्राम
- निर्गुन्डी – 48 ग्राम
- महाबला – 48 ग्राम
- विदारी – 48 ग्राम
- गंभारी – 48 ग्राम
- करावल्ली – 48 ग्राम
- वज्र – 48 ग्राम
- प्रिशंप्रनी – 48 ग्राम
- कलिहारी – 48 ग्राम
- तुम्बिनी – 48 ग्राम
- निर्गुन्डी – 48 ग्राम
- कटेरी मूल – 48 ग्राम
इसके अलावा लगभग 12 लीटर जल जो क्वाथ पश्चात चौथा भाग 3 लीटर बचे | इन सभी द्रव्यों को 192 ग्राम की मात्रा सौंठ, मारीच, पिप्पली, रासना , विषतिन्दु, मुस्ता, देवदारू, वत्सनाभ, यवक्षार, सज्जिक्षर, कुठ, विष, सैन्धव लवण, समुद्र, औद्भिध, विड, सर्व्च्ल, तुत्थ, भारंगी, ग्वारपाठा, कटफल, नौसादर, जीरा एवं इन्द्रायण |
महाविषगर्भ तेल बनाने की विधि
इस तेल के निर्माण में सबसे पहले प्रथम द्रव्यों को जल में डालकर क्वाथ का निर्माण किया जाता है जब क्वाथ तैयार हो जाता है तो बाकी बचे द्रव्यों से कल्क का निर्माण कर लिया जाता है |
अब आंच पर तिल तेल को चढ़ा कर कल्क को इसमें डालकर पकाया जाता है | इसके पश्चात क्वाथ को भी तेल में मिलाकर अच्छी तरह पाक करके महाविषगर्भ तेल का निर्माण किया जाता है | इस प्रकार से महाविषगर्भ तेल का निर्माण होता है |
महाविषगर्भ तेल के फायदे / Mahavishgarbha Oil benefits in Hindi
- सभी प्रकार की वातव्याधियों में विशेष लाभ दाई है |
- संधिवात, एकांगवात एवं अर्धांगवात में इसकी मालिश से लाभ मिलता है |
- जोड़ो के दर्द में फायदेमंद है |
- आयुर्वेद चिकित्सा में विभिन्न प्रकार की वातशूल को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा प्रयोग करवाया जाता है |
- मांसपेशियों के दर्द को ठीक करता है एवं रक्तपरिसंचरण को सुधरता है |
- गठिया, साइटिका, कमर दर्द में विशेष फायदेमंद आयल है |
- शारीरिक अंगो की जकड़न एवं दर्द में उपयोगी |
- टिटनेस में फायदेमंद |
धन्यवाद |
कमरे के निचे का ददे होना
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