आज के परिपेक्ष्य में आयुर्वेद की उपयोगिता

आधुनिकता हर जगह चरम पर पहुँच चुकी है | भारत जैसे देश जहाँ आयुर्वेद का जन्म हुआ, यहाँ भी लोगों ने पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित होकर आधुनिकता जैसी समस्या को खड़ा कर लिया है |

आज आप जहाँ भी देखें चाहे वह छोटा शहर हो या कोई छोटा सा गाँव | हर जगह आधुनिकता से लबरेज आधुनिक मनुष्य दिखाई पड़ते है | इनकी सोच आधुनिक है , इनका पहनावा आधुनिक है; ये आधुनिक बोलते है; आधुनिक धार्मिक अनुष्ठान करते है एवं आधुनिक खान – पान करते है |

अब इतनी आधुनिकता में जो मनुष्य को समस्याएँ होती है वो भी आधुनिक ही है | ये आधुनिक रोगों से ग्रस्त है | इन आधुनिक रोगों का इलाज भी आधुनिक चिकित्सा पद्धति से करवाते है |

ayurveda

क्योंकि आयुर्वेद पुरातन चिकित्सा विज्ञानं है जिसे लोग सिर्फ उसी समय याद करते है जब आधुनिक चिकित्सा पद्धति से इलाज में नाकाम हो जाते है |

वर्तमान समय में जिस प्रभाव से रोग एवं रोगी बढ़ रहें है, उसके हिसाब से वो दिन दूर नहीं जब स्वस्थ व्यक्ति ढूँढना मुश्किल हो जायेगा | आयुर्वेद एवं इसकी सहयोगी चिकित्सा पद्धतियाँ वर्तमान समय में रोगों से बचने के लिए पूर्ण रूप से प्रभावी साबित हो सकती है | इन सब को समझने के लिए पहले आयुर्वेद को समझना आवश्यक है |

आयुर्वेद क्या है / आयुर्वेद की परिभाषा

आयुर्वेद को आयु का विज्ञानं कहा जाता है | यह दो शब्दों से मिलकर बना है – आयु: + वेद | अर्थात जो वेद (विज्ञानं) आयु से सम्बंधित सभी पहलुओं (अच्छे एवं बुरे) का ज्ञान करवाए वह आयुर्वेद कहलाता है |

इस विज्ञानं का प्रादुर्भाव भी मनुष्य की उत्पत्ति के साथ ही हुआ था | अत: इतने पुराने विज्ञानं जिसका मुख्य उद्देश्य स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को बनाये रखना एवं रोगी के रोग का अंत करना है | उसे वर्तमान में अपनाकर व्यक्ति भयानक प्रकार के रोगों से अपने को सुरक्षित कर सकता है |

वर्तमान परिपेक्ष्य में आयुर्वेद कैसे उपयोगी है ?

आधुनिकता के कारण व्यक्ति इस समय विभिन्न रोगों से ग्रसित है | आधुनिक उपकरण, आधुनिक रहन – सहन एवं खान – पान, आधुनिक सोच – विचार आदि व्यक्ति को मानसिक तनाव एवं शारीरिक व्याधियों से पीड़ित रखते है |

आयुर्वेदिक जीवन शैली अपनाकर व्यक्ति आधुनिकता में रहते हुए भी रोगों से कोशों दूर रह सकता है | आयुर्वेदिक जीवन शैली से तात्पर्य योग क्रियाएं, उचित आहार – विहार एवं दिनचर्या आदि से है |

आयुर्वेद आज से हजारों साल पुराना चिकित्सा विज्ञानं है | उस समय जीवन जीने के आयुर्वेद ने जो नियम एवं कायदे बताये थे वो वर्तमान में भी उतने ही फलित होते है, अगर कोई उन्हें अपनाये |

आयुर्वेदानुसार व्यक्ति योग क्रियाओं, ऋतू चर्या, दिनचर्या एवं रात्रिचर्या आदि का पालन करके पूर्णत: रोगों से मुक्त रह सकता है | जैसे व्यक्ति नित्य ब्रह्म मुर्हत में उठे, फिर अपने नित्य कर्म से निवर्त हो एवं कुछ समय योगाभ्यास करे | ऋतू के अनुसार आहार ग्रहण करे एवं रात्रिचर्या का पालन करे |

अगर साधारण शब्दों में कहा जाए तो आज के परिपेक्ष्य में स्वस्थ रहने के लिए निम्न बिदुओं का पालन आयुर्वेदानुसार अवश्य किया जाना चाहिए ताकि रोगों से आधुनिकता में रहते हुए भी बचा जा सके |

१ आयुर्वेदिक आहार ज्ञान

आहार अर्थात हम जो जीवन जीने के लिए ग्रहण करते है | आयुर्वेद में आहार को सबसे उपरी स्तम्भ माना गया है | क्योंकि आहार से शरीर बढ़ता है एवं आहार से ही रोग पैदा होते है | यदि सात्म्य, संतुलित, ऋतू एवं काल के अनुसार भोजन ग्रहण किया जाए तो शरीर का पोषण होता है एवं रोगों की सम्भावना नगण्य रहती है |

२. निद्रा सम्बन्धी ज्ञान

निद्रा भी स्वास्थ्य का अहम् पहलु है | आयुर्वेद के अनुसार जब व्यक्ति काम करते -करते थक जाता है तब उसकी इन्द्रियों को विश्राम की आवश्यकता होती है | इन्द्रियों की थकावट ही निद्रा का रूप लेती है | अगर व्यक्ति रात्रि में समय पर सोकर अच्छी नींद लेता है तो मानसिक विकारों से दूर रह सकता है |

३. दिनचर्या सम्बन्धी ज्ञान

प्रात: उठाकर जो दिन भर कार्य किये जाते है वह दिनचर्या कहलाते है | आयुर्वेद अनुसार व्यक्ति को ब्रह्म मुर्हत में उठना चाहिए एवं नित्य कर्म (शौच आदि) से निवर्त होकर कम से कम 45 मिनट तक योग एवं प्राणायाम आदि करने चाहिए | ताकि शरीर स्वस्थ एवं निरोगी रहे |

४. ऋतूचर्या का पालन

भारतीय ग्रंथो अनुसार ऋतुएँ ६ होती है – ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर एवं बसंत | आयुर्वेद अनुसार इन ऋतुओं का मिलन काल होता है | इन्ही के अनुसार व्यक्ति का पाचनतंत्र कार्य करता है एवं शरीर में दोषों का संचय होता है | अत: इनके अनुसार भोजन ग्रहण करना चाहिए |

वर्तमान परिपेक्ष्य में अगर आयुर्वेद की उपयोगिता देखि जाये तो यह निश्चिंत ही रोगों से बचाने एवं रोग होने की स्थिति में विभिन्न औषधिय योगों एवं विधियों के माध्यम से आप को स्वस्थ रखने में उपयोगी है |

धन्यवाद |

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