अपराजिता का पौधा – यह समस्त भारत में पाई जाने वाली औषधीय वनस्पति है | इसे कोयल, कालिजिरी, विष्णुक्रान्ता एवं गोकर्णिका आदि नामों से भी पुकारा जाता है | यह सफ़ेद एवं नीले रंग के फूलों से शौभित रहती है | अपराजिता के फुल बहुत ही सुन्दर एवं आकर्षक होते है ये जहाँ भी लगते है वहाँ की शोभा बढाते है |
नीले रंग के फूलों की अपराजिता को विष्णुक्रान्ता पुकारा जाता है | पौधे के फुल 2 इंच लम्बे एवं डेढ़ इंच चौड़े होते है | इसके ऊपर मटर के समान चपटी फलियाँ लगती है , जिनमे से उड़द के समान काले बीज निकलते है |
अपराजिता के औषधीय गुण धर्म
सफ़ेद अपराजिता चरपरी, तासीर में ठंडी, स्वाद में कडवी, बुद्धिदायक, आँखों के लिए लाभदायक, कसैली, दस्तावर (दस्त लगाने वाली), विषनाशक तथा त्रिदोष नाशक होती है | यह मस्तकशूल, दाह (जलन), कोढ़, शूल (दर्द), आम, पितरोग, सुजन, कृमि (कीड़ो की समस्या), घाव, गृहपीड़ा (टोने टोटके) एवं सांप के विष को दूर करने वाली होती है |
नीली अपराजिता स्वाद में कड़वी, स्निग्ध, त्रिदोषनाशक, शीतवीर्य तथा वात – पित नाशक होती है | यह ज्वर (बुखार), दाह (जलन), भ्रम, रक्तातिसार, उन्माद, मद, अत्यंत खांसी, श्वाँस, कफ, कोढ़, जंतु और क्षयरोग को दूर करती है |
सफ़ेद फुल वाली गोकर्णिका की जड़ स्वाद में कड़वी, ठंडी, विरेचक (दस्त लगाने वाली), मूत्रनिस्सारक (पेशाब लगाने वाली), कृमिनाशक और विषनिवारक होती है | यह दिमाग को पुष्ट करती है , नेत्र रोग में लाभ पहुंचाती है | आँखों की पलकों के फोड़ो को नष्ट करती है | टीबी रोग के कारण जनित ग्रंथियों, सिरदर्द आदि में फायदेमंद है |
अपराजिता के फायदे एवं घरेलु प्रयोग
1 . सांप का जहर – इसकी जड़ का चूर्ण के तौला लेकर घी के साथ मिलाकर पीलाने से चमड़ी के अन्दर पहुंचा हुआ सांप का विष दूर होता है | दूध के साथ मिलाकर पिलाने से खून में पहुंचा हुआ जहर उतरता है |
- अपराजिता को कुठ के साथ सांप के काटे हुए को पिलाने से मांस में व्याप्त सर्प विष दूर होता है |
- हल्दी के चूर्ण के साथ मिलाकर खिलाने से हड्डी तक पहुंचा सर्प विष दूर होता है |
- अस्वगंधा के चूर्ण के साथ मिलाकर खिलाने से चर्बी में पहुंचा सांप का जहर उतरता है |
- यह गुण सफ़ेद फुल वाली अपराजिता में ही विशेषकर बताया गया है |
2. जलोदर रोग में – अपराजिता की जड़, शंखपुष्पी की जड़, दंतिमुल और नील की जड़ – इन चारों औषधियों को 6 माशे लेकर पानी के साथ पीसकर इनका रस निचोड़ ले | इस रस को 4 तोला गोमूत्र के साथ पिलाने से जलरेचक का असर होकर जलोदर में आराम मिलता है |
- इसके बीजों को भुनकर उसका चूर्ण 1 माशे से 3 माशे तक देने से भी जलोदर , प्लीहा एवं यकृत की वृद्धि में आराम मिलता है |
3. उन्माद – मानसिक विकारों में सफ़ेद फूलों वाली अपराजिता की जड़ की छाल का स्वरस निकाल कर इसको चावलों के धोवन और गाय के घी के पिलाने से उन्माद (मानसिक विकार) में लाभ होता है |
4. सुजन – इसकी जड़ को कूटकर यवकूट करलें | अब इसे आधा लीटर जल में अच्छी तरह उबाल कर जब चौथाई हिस्सा बचे तब इस निर्मित क्वाथ का सेवन करवाएं | शरीर की सभी प्रकार की सुजन से मुक्ति मिलती है |
5. दर्द – नीली अपराजिता की जड़ की छाल को 1 से 3 माशे तक शहद और गाय के घी के साथ एक सप्ताह तक सेवन करवाने से दर्द से छुटकारा मिलता है |
6. पुरानी खांसी – अपराजिता की जड़ का स्वरस 2 तोला ठन्डे दूध के साथ पिलान्ने से पुरानी खांसी में लाभ होता है |
7. आधाशीशी / अर्धावभेदक – इसके बीजों का रस निकाल कर नाक में टपकाने से आधाशीशी में तुरंत आराम मिलता है |
8. गर्भ – अगर गर्भ न ठहर रहा हो तो सफ़ेद अपराजिता की छाल को दूध में पीसकर शहद मिलाकर पीने से गर्भ ठहर जाता है |
9. पीलिया – पीलिया रोग में इसकी जड़ के चूर्ण को छाछ के साथ पीने से आराम मिलता है |
10. हिचकी की समस्या में इसके बीजों को पीसकर चिलम में भरकर एक दो बार पीने से ही बार बार आने वाली हिचकी से छुटकारा मिलता है |
11. अंडकोष की सुजन में इसके बीजों को पीसकर गर्म कर लेप करने से बढे हुए एवं सुजन आये अंडकोष ठीक हो जाते है |
12. गलगंड – सफ़ेद अपराजिता की छाल को पीसकर घी के साथ सेवन करने से गलगंड रोग में लाभ मिलता है |
धन्यवाद |