वर्तमान समय में खान – पान एवं विचारों की अशुद्धि के कारण पुरुषों में शीघ्रपतन, स्वप्नदोष एवं धातु रोग की समस्या आमरूप से पाई जाती है | नवविवाहित पुरुष हो या 40 की उम्र का कोई प्रोढ़, अधिकतर पुरुषों में ये समस्याएँ सामान्यत: देखि जाती है | आयुर्वेद में इन रोगों का उपचार आसानी से किया जा सकता है |
आज हम आपको ऐसे ही एक आयुर्वेदिक योग के बारे में बताएँगे जो शीघ्रपतन, नपुंसकता, स्वप्नदोष एवं धातु विकार में चमत्कारिक कार्य करता है | इस आयुर्वेदिक योग का निर्माण सेमलकंद से किया जाता है | सेमलकंद के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथो में वर्णित है कि यह – पुष्टिकारक, नपुंसकता नाशक, बल वीर्य दायक एवं स्तम्भन शक्ति को बढ़ाने वाली होती है | तो चलिए जानते है सेमलकंद से स्वप्नदोष की दवा बनाने की विधि एवं इसके गुण और फायदों के बारे में
स्वप्नदोष, शीघ्रपतन एवं धातु रोग की आयुर्वेदिक दवा
सेमलकंद सेमल पेड़ की जड़ को कहते है | बाजार में यह किसी भी पंसारी के पास आसानी से मिल जाती है | अगर आपके आस – पास सेमल का पेड़ है तो यह और भी अच्छा है | क्योंकि बाजार में मिलने वाली सेमल की गुणवता में भिन्नता हो सकती है | अत: अगर आपके आस – पास सेमल का पेड़ है तो इसकी ताजा जड़ को निकाल ले और इसके छिलके उतार ले |
सेमल की जड़ के छिलके हाथों से ही आसानी से निकल जाते है | अब इसे छोटे – छोटे टुकड़ों में काट कर छायाँ में अच्छी तरह सुखा ले | जब सेमलकंद अच्छी तरह सुख जाए तो इमाम दस्ते में कूटकर इसका कपडछान चूर्ण बना ले | अब जितना चूर्ण है उससे दुगुनी मात्रा में मिश्री मिलाकर एयरटाइट डब्बे में रखलें | यह शीघ्रपतन, स्वप्नदोष एवं धातु विकार का चमत्कारिक आयुर्वेदिक योग तैयार है |
गुण एवं फायदे (उपयोग)
इस आयुर्वेदिक दवा के सेवन से शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, पेशाब के साथ धातु गिरना एवं नपुंसकता जैसे रोग मिटने लगते है | साथ ही यह शरीर को बल और पुष्ट करने में कामयाब औषधि है | इस दवा का सेवन गाय के एक गिलास दूध के साथ 1 से 2 ग्राम की मात्रा में चालीस दिनों तक करना चाहिए | चालीस दिनों तक सेवन करने पर शीघ्रपतन, स्वप्नदोष एवं धातु विकार ठीक होने लगते है | अपने आहार – विहार को बदलें एवं स्वस्थ रहें | आज कल व्यक्ति धन के पीछे भागते – भागते अपने स्वास्थ्य को भूल जाता है |
ध्यान रखें
स्वास्थ्य ही आपकी संचित पूंजी है, अत: स्वस्थ बने रहें एवं लोगों को भी स्वस्थ रहने की प्रेरणा दें ||
धन्यवाद |
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