ल्यूकेमिया (Leukemia) क्या है – लक्षण, कारण, प्रकार एवं इलाज

ल्यूकेमिया / Leukemia Detail in Hindi

(कृपया शान्ति से पूरा लेख पढ़ें – आप ल्यूकेमिया को अच्छी तरह से समझ सकते है) रक्त का कैंसर (ब्लड कैंसर) से आप सभी परिचित होंगे | ल्यूकेमिया को भी रक्त कैंसर का एक प्रकार या इसकी  शुरूआती अवस्था मान सकते है | प्रारंभिक अवस्था में इस रोग का इलाज आसानी से किया जा सकता है, लेकिन रोग का देर से पता चलना एक प्रकार का डेथ वारंट मान सकते है | शरीर में इस रोग का असर बॉन मेर्रो एवं लिम्फटिक सिस्टम पर अधिक पड़ता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण एवं प्रतिरोधी क्षमता को बनाये रखने में सहायक होते है |

ल्यूकेमिया क्या है ?
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स्वदेशी उपचार के इस आर्टिकल में आपको ल्यूकेमिया के लक्षण, कारण, प्रकार एवं संभावित उपचार के बारे में जानकारी मिलेगी |

ल्यूकेमिया की परिभाषा 

Leukemia / ल्यूकेमिया एक प्रकार का रक्त कैंसर (Blood Cancer) होता है | इस रोग में शरीर में सफ़ेद रक्ताणु पूर्ण रूप से नहीं बन पाते एवं इनकी संख्या बेतरतीब ढंग से बढ़कर बॉन मेर्रो में इक्कठा हो जाती है | जिससे शरीर के लाल रक्ताणु एवं प्लेटलेट्स के निर्माण में बाधा उत्पन्न हो जाती है, जो एनीमिया और रक्तस्राव का कारण बनते है | इस रोग को ब्लड कैंसर का ही प्रारंभिक प्रकार माना जाता है |

ल्यूकेमिया के लक्षण / Leukemia Symptoms in Hindi 

अब इस बात से तो आप परिचित ही होंगे की ल्यूकेमिया भी एक प्रकार का ब्लड कैंसर ही होता है | अत: इसके लक्षण भी रक्त कैंसर के जैसे ही होते है | वैसे इस रोग के लक्षणों को निदान के द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है लेकिन फिर भी सभी रोगों की तरह इस रोग के भी सामान्य लक्षण होते है जो ल्यूकेमिया होने के संकेत देते है जैसे –

  • शुरूआती लक्षणों में बार बार होने वाले संक्रमण जैसे – बार – बार बुखार होना , खांसी आना |
  • शुरूआती अवस्था में रोगी को तीव्र बुखार आता है , जो बार – बार हो सकता है |
  • नाक एवं दांतों के मसूड़ों से खून आना |
  • रोगी को बहुत अधिक थकान होना |
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाना |
  • प्लेटलेट्स में बेतरतीब ढंग से कमी होना |
  • एनीमिया हो जाना |
  • सिरदर्द होना, जिसकी पुनरावर्ती होती हो |
  • शरीर के अंगो में सुजन |
  • बार बार गिल्टियाँ होना |
  • रोगी का अचानक से या तीव्र गति से वजन कम हो जाना |
  • इन सभी लक्षणों के साथ – साथ लीवर सम्बन्धी समस्याएँ होना |

वैसे रोग के पूर्ण निदान के लिए चिकित्सकीय जांचो एवं निदान के तरीकों से आसानी से ल्यूकेमिया का पता लगाया जा सकता है |

ल्यूकेमिया के कारण 

इस रोग के मुख्य कारण अभी भी अज्ञात है लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए की यह रोग वास्तविक रूप से कोशिकाओं की एक असाध्य बिमारी है जिसमे सफ़ेद रक्ताणुओं की संख्या अत्यधिक रूप से बढ़ने लगती है | यह तो आप सभी को पता होगा ही कि जब शरीर में कोई संक्रमण होता है तो शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति सफ़ेद रक्ताणुओं की व्रद्धी करके इनसे लड़ने का कार्य करती है, जो किसी रोग से लड़ने की शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है |

लेकिन इस रोग में बिना किसी कारण से ही ये सफ़ेद रक्ताणुओं की संख्या बेतरतीब ढंग से बढ़ने लगती है | ल्यूकेमिया के संभावित कारण निम्न हो सकते है –

  • धुम्रपान का अधिक सेवन करना इसका एक कारण हो सकता है | धुम्रपान करने वाले व्यक्तियों की स्वस्थ कोशिकाएं निकोटिन के कारण प्रभावित होती है , जो बहुत से रोगों का कारण बनती है |
  • केमिकल एवं प्रेस्टीसाइड्स के अधिक सम्पर्क में रहने वाले व्यक्तियों को ब्लड कैंसर का खतरा भी अधिक होता है |
  • रेडियो एक्टिव तरंगो के सम्पर्क में रहने वाले व्यक्ति भी ल्यूकेमिया से पीड़ित हो सकते है | तीव्र तरह के रेडिएशन के सम्पर्क में रहना ब्लड कैंसर का एक प्रमुख कारण माना जा सकता है |
  • यह रोग अनुवांशिकता के आधार पर भी व्यक्तियों को परेशान कर सकता है | जिन लोगों के परिवार में ल्यूकेमिया का इतिहास रहा हो उन्हें इस रोग से पीड़ित होने का खतरा अधिक हो जाता है |
  • अस्वस्थ जीवन शैली वाले व्यक्तियों को भी ल्यूकेमिया से पीड़ित होने का खतरा रहता है |

ल्यूकेमिया के प्रकार 

वैसे तो इस रोग के बहुत से प्रकार होते है लेकिन हम यहाँ प्रमुख दो प्रकारों के बारे में बात करेंगे | ये प्रकार अधिक सामान्य होते है |

  1. तीव्र ल्यूकेमिया / Acute Leukemia 
  2. दीर्घ ल्यूकेमिया / Chronic Leukemia 

तीव्र ल्यूकेमिया / Acute Leukemia 

ल्यूकेमिया का यह प्रकार छोटे बच्चों को अधिक होता है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है की बड़ों एवं बुजर्गों में नहीं हो सकता | बड़ों एवं बुजर्गो में भी इस प्रकार का ल्यूकेमिया हो सकता है लेकिन इसके मामले कम ही देखे जाते है | इस प्रकार का ल्यूकेमिया बुखार, सफेद्पन एवं प्रप्युरा के साथ प्राय: अचानक आरंभ होता है | इसमें नाक या मुंह से रक्तस्राव होना, थकान एवं शारीरिक शक्ति में कमी के साथ गंभीर एनीमिया के सभी सामान्य लक्षण देखे जा सकते है | जब रोगी के रक्त का माइक्रोस्कोप से परिक्षण किया जाता है तब रक्त में सफ़ेद रक्तकणों की अत्यधिक व्रद्धी एवं कोशिकोओं का अपरिपक्व देखा जा सकता है |

दीर्घ ल्यूकेमिया / Chronic Leukemia 

इस प्रकार का ल्यूकेमिया प्रोढ़ व्यक्तियों में अधिक देखने को मिलता है | यह दीर्घ माईलाइड ल्यूकीमिया धीरे – धीरे बढ़ते हुए एनीमिया एवं थकान के साथ होता है | इस रोग में स्पलिन इतनी बढ़ जाती है की इससे खिंचाव जैसा उदरीय दर्द (पेट दर्द) और अपच पैदा हो जाती है |

रोग की पुष्टि रक्त परिक्षण द्वारा की जाती है | सफ़ेद रक्ताणुओं की गणना अगर 200000 से भी अधिक बढ़ जाती है तो अधिकांश रक्ताणु असामान्य पोलीमारफोन्युक्लीअरस होते है |

ल्यूकेमिया का इलाज या उपचार के तरीके 

कैंसर के प्रकारों के उपचार में सबसे जटिल ब्लड कैंसर का इलाज ही होता है, क्योंकि रक्त कैंसर के उपचार के लिए कई प्रकार की जटिल प्रक्रियाएं अपनानी पड़ती है | वैसे इस रोग के उपचार के कई विकल्प उपलब्ध है | जैसे कीमोथेरपी, टार्गेटेड थेरेपी,  सर्जरी एवं बॉन मेर्रो ट्रांसप्लांट आदि |

इन सभी उपचारों में बॉन मेर्रो ट्रांसप्लांट सबसे अधिक विश्वनीय उपचार माना जाता है | इसके अलावा उपचार के तरीके इस बात पर निर्भर करते है कि रोग किस अवस्था का है एवं रोगी की उम्र एवं स्थिति कैसी है |

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