लोध्र (लोध) क्या है – यह एक आयुर्वेदिक औषध द्रव्य है जिसका उपयोग अनेक आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है | उत्तरी एवं पूर्वी भारत के राज्य जैसे आसाम, बंगाल एवं बिहार आदि में विशेषतया: पाया जाता है | दक्षिणी भारत में छोटा नागपुर एवं मालाबार तक इसके पेड़ देखने को मिलते है |
लोध्र सदा हरित रहने वाला मध्यम प्रमाण का वृक्ष होता है | इसके पत्र लम्बे और गोलाकार 3 से 5 इंच तक लम्बे होते है | पौधे पर सुगंधित पुष्प पीताभ रंग के मंजरियों में लगते है जो धूसर एवं रक्त वर्ण के फलों को जन्म देते है |
आयुर्वेद चिकित्सा में इसके कांड और छाल को औषधीय प्रयोग के लिए उपयोग में लिया जाता है | लोध कषाय एवं शीत गुणों का होता है अत: यह कफ एवं पित्त शमन में उपयोगी साबित होता है |
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लोध्र के गुण धर्म
रस = कषाय
गुण = रुक्ष एवं लघु
तासीर / वीर्य = शीत
विपाक = कटू
कषाय एवं शीत होने के कारण कफ एवं पित्त का शमन करने में सक्षम होता है | आयुर्वेद चिकित्सा में रोग प्रभाव स्वरुप बाह्य नेत्राभिषयंद, शोथ, रक्त वर्ण एवं रक्त स्राव में प्रयोग किया जाता है |
आयुर्वेद चिकित्सा में लोध्र के उपयोग से लोध्रासव, पुष्यानुग चूर्ण, वृहत गंगाधर चूर्ण एवं लोध्रादी क्वाथ आदि का निर्माण किया जाता है |
सेवन की मात्रा – लोध्र के चूर्ण को 1 से 2 ग्राम की मात्रा एवं इसके क्वाथ को 50 से 100 ग्राम तक सेवन किया जाता है |
लोध्र के विभिन्न भाषाओँ में पर्याय
संस्कृत – लोध्र, स्थूलवल्कल |
हिंदी – लोध्र
बंगाली – लोध्र
मराठी – लोध्र
गुजराती – लोधर
तमिल – बेल्ली लेठी |
तेलगु – लोधूग |
कन्नड़ – पचेटू |
मलयालम – पचोटी |
लेटिन – Symplocos racemosa Roxb.
लोध्र / लोध के स्वास्थ्य उपयोग या फायदे
यह ग्राही, हल्का, शीतल, नेत्रों के लिए हितकारी, कषैला और कफ, पित्त, रक्त विकार, ज्वर, ज्वरातिसर एवं शोथ को हरनेवाला है | यह रक्त स्तम्भन करनेवाला, घाव भरनेवाला, संकोचक और त्वचा विकार नाशक है |
लोध्र का विशेष उपयोग महिलाओं के रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर तथा गर्भाशय के शोथ और रक्तस्राव की चिकित्सा करने में किया जाता है | त्वचा विकार दूर करने, विशेषत: मुख की त्वचा के लिए लेप बनानेवाले नुस्खे में इसका प्रयोग किया जाता है | यह कान का बहना बंद करता है मसूड़ों का पीलापन भी दूर करता है |
महिलाओं के गर्भपात में
यदि सातवें और आठवें महिने में गर्भपात की सम्भावना हो या इसके लक्षण प्रकट होते हो तो लोध्र के चूर्ण के साथ पिप्पली का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर शहद के साथ मिलाकर सुबह एवं शाम सेवन करवाने से गर्भपात की सम्भावना कम हो जाती है |
सौन्दर्य फेस पैक
चेहरे की रौनक बनाये रखने , चमकदार एवं साफ़ सुथरी त्वचा के लिए लोध्र का फेस पैक बनाकर प्रयोग करना लाभदायक होता है | इसका फसपैक बनाने के लिए लोध्र, धनिया एवं वचा – इन तीनो को बराबर मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना ले | अब इस चूर्ण में गुलाब जल मिलाकर इसका लेप तैयार करलें | इस लेप को चेहरे पर लगा ले और सूखने दें | अच्छी तरह सूखने के बाद इसे मसलकर मुंह को धो ले | लगातार कुच्छ दिनों के प्रयोग से चेहरे पर तेज एवं रौनक आ जाती है | कील-मुंहासे और दाग – धब्बों से भी छुटकारा मिलता है |
सौन्दर्य उबटन का निर्माण
लोध के उपयोग से सौन्दर्य उबटन का निर्माण भी किया जाता है | पठानीलोध, चन्दन, बुरादा, केसर, अगर, खस और सुगंध बाला – इन सभी को मिलाकर थोड़ी देर पानी में भिगोदें | अच्छी तरह भीगने के बाद इन्हें पत्थर की सिला पर महीन पिसलें | उबटन तैयार होने के बाद इसका उपयोग शरीर पर लेप करें एवं थोड़ी देर बाद स्नान करलें | इसके प्रयोग से त्वचा उज्जली, सुगन्धित और कान्तिपूर्ण बनती है |
रक्त प्रदर
जिन महिलाओं को मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्राव की समस्या रहती है एवं जो गर्भाशय की स्थिलता एवं ढीलापन दूर करना चाहती है , वे पठानीलोध्र का महीन चूर्ण करके इसमें समान मात्रा में मिश्री मिलाकर नियमित सेवन करें | इस चूर्ण को दिन में तीन बार तक सेवन किया जा सकता है |
मसूड़ों की समस्या
अगर मसूड़े ढीले हों या रक्त निकलता हो तो लोध्र के 6 ग्राम चूर्ण को एक गिलास पानी में डालकर अच्छी तरह उबालें | जब पानी आधा बचे तब इसे आंच से उतार कर ठंडा करले एवं छान कर कुल्ला करें | जल्द ही मसूड़ों की समस्या जाती रहेगी |
कान बहने – कान बहता हो तो लोध्र का महीन चूर्ण कपडछान करके कान में बुरकने से कान बहना बंद हो जाता है |
स्तनों का ढीलापन
स्तनों की स्थिलता एवं ढीलापन से आज बहुत सी विवाहित एवं अविवाहित महिलाऐं परेशान रहती है | पठानी लोध या लोध्र इसके लिए एक अचूक औषधि साबित होती है | लोध्र को पानी में पीसकर इसका लेप तैयार करलें | इस लेप को स्तनों पर लगाने से स्तनों की पीड़ा , स्थिलता एवं ढीलापन दूर होता है | इस लेप का प्रयोग लगातार कुच्छ दिनों तक करने से जल्द ही इन समस्याओं से छुटकारा मिलता है |
धन्यवाद |
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