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अर्जुन छाल का परिचय, औषधीय गुण एवं इसके सेवन से होने वाले फायदे
परिचय – आयुर्वेद चिकित्सा में अर्जुन वृक्ष का उपयोग हृदय सम्बन्धी विकारों में किया जाता है | यह शीत वीर्य औषध द्रव्य होता है जो स्वाद में कैसैला होता है | अर्जुन के वृक्ष प्राय: सम्पूर्ण भारत में पाए जाते है | इसका पेड़ 50 से 60 फीट ऊँचा होता है | पेड़ की छाल अन्दर से चिकनी होती है एवं बाहर से सफ़ेद रंग की होती है | यह पित एवं कफ शामक होती है | इसके पत्र अमरुद के पेड़ के पतों के समान 5 – 6 इंच तक लम्बे होते है | पेड़ पर वसंत ऋतू में नए पत्र खिलते है | अर्जुन की छाल वर्ष में एक बार अपने आप उतर जाती है | इस छाल के प्रयोग से हृदय में आवश्यक रक्त की पूर्ति होने लगती है | यह रक्त वाहिनियों के शैथिल्य, इनकी सूजन एवं नाड़ी मंदता में यह विश्वनीय दवा साबित होती है | Buy at Amazonअर्जुन छाल के औषधीय गुण धर्म
इसका रस कैशैला होता है | अर्जुन की तासीर ठंडी होती है अर्थात यह शीत वीर्य होती है | गुणों में लघू होती है | यह हृदय विकारों में फायदेमंद एवं पित एवं कफ का शमन करने वाली होती है | रक्तविकार एवं प्रमेह में भी इसके औषधीय गुण लाभदायी होते है | अर्जुन को सिर्फ हृदय के विकारों में ही लाभदायक नहीं माना जाता बल्कि अलग – अलग औषध योगों के साथ इसका उपयोग करने से बहुत से विकारों में फायदेमंद साबित होता है |जाने विभिन्न रोगों में अर्जुन छाल के फायदे
निम्न रोगों में अर्जुन का उपयोग किया जाता है | यहाँ हमने विभिन्न रोगों में अर्जुन छाल के उपयोग बताएं है |पितशमन एवं रक्तपित में अर्जुन छाल का उपयोग
अर्जुन कफ एवं पितशामक होता है एवं अम्लपित में भी लाभप्रद होता है | रक्तपित की समस्या में अर्जुन की छाल का काढ़ा बना कर सुबह के कप पिने से रक्तपित की समस्या में फायदा मिलता है | अम्लपित एवं पितशमन के लिए 1 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण में समान मात्रा में लाल चन्दन का चूर्ण मिलाकर इसमें शहद मिलालें | इस मिश्रण को चावल के मांड के साथ प्रयोग करने से जल्द ही बढे हुए पित का शमन हो जाता है एवं अम्लपित की समस्या भी जाती रहती है |हृदय रोगों में अर्जुन छाल का प्रयोग
- हृदय विकारों में 30 ग्राम अर्जुन चूर्ण ले एवं इसके साथ 3 ग्राम जहरमोहरा और 30 ग्राम मिश्री मिलाकर इमामदस्ते में अच्छे से खरल करले | इस तैयार चूर्ण में से 1 ग्राम सुबह एवं शाम गुनगुने दूध के साथ सेवन करें | जल्द ही हृदय से सम्बंधित सभी विकार दूर हो जायेंगे |
- नित्य एक ग्राम की मात्रा में अर्जुन चूर्ण का इस्तेमाल दूध के साथ सुबह एवं शाम करने से हृदय विकार ठीक होने लगते है |
- अगर हृदय की धड़कन तेज हो और साथ में पीड़ा या घबराहट होतो – अर्जुन छाल की खीर बना कर सेवन करें | इसकी खीर बनाने के लिए एक भाग अर्जुन छाल (10 ग्राम) , 8 गुना दूध (80 ग्राम) एवं 32 गुना जल (320 ग्राम) लेकर इनको मिलाकर उबालें | जब सारा पानी उड़ जाये एवं सिर्फ दूध बचे तब इसे छान कर रोगी को दिन में दो बार सेवन करवाएं | ये सभी विकार जल्द ही दूर हो जायेंगे |
- हृदय की कमजोरी में अर्जुन छाल के चूर्ण के साथ गाय का घी एवं मिश्री मिलाकर सेवन करवाएं | हृदय को बल मिलेगा |
अन्य रोगों में अर्जुन छाल के स्वास्थ्य उपयोग या फायदे
- थूक के साथ अगर खून आता हो तो अर्जुन चूर्ण को अडूसे के पतों के रस में सात बार अच्छे से घोट कर, इस चूर्ण के साथ शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है |
- दस्त के साथ खून आता हो तो छाल को बकरी के दूध में पीसकर थोडा शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है |
- रक्त अशुद्धि के कारण त्वचा विकारों में मंजिष्ठ के चूर्ण के साथ अर्जुन का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से रक्त की अशुद्धि मिटती है एवं त्वचा कांतिमय बनती है |
- पेट के विकारों में अर्जुन छाल के चूर्ण के साथ बंगेरनमूल की छाल का चूर्ण मिलाकर सेवन करवाने से उदर विकार में लाभ मिलता है |
- श्वेत प्रदर एवं रक्त प्रदर की समस्याओं में नित्य 2 ग्राम चूर्ण का गरम पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है |
- मुंह में छाले हो गए हो तो 5 ग्राम चूर्ण को तिल के तेल में मिलाकर मुख में रखने से मुंह के छालों में आराम मिलता है |
- अर्जुन के पतों का रस निकाल कर कान में डालने से कर्णशूल (कान दर्द) में आराम मिलता है |
अर्जुन के पेड़ की जानकारी देने के लिए धन्यवाद