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ब्रेन ट्यूमर / Cerebral Tumour in Hindi
(Updated 03-06-2018)
ब्रेन ट्यूमर की सम्पूर्ण विवरण – मष्तिष्क को मानव का सबसे नाजुक या सेंसेटिव अंग कहा जा सकता है | ब्रेन में होने वाली थोड़ी सी गड़बड़ी हमारे पुरे शरीर को प्रभावित करती है | अगर आपको मष्तिष्क से जुडी समस्या का आभास होता है तो निश्चित ही आपको चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए | क्योंकि नाजुक हिस्सों की समस्याएँ उतनी ही जटिल भी बन जाती है |
वैसे ब्रेन ट्यूमर सामान्य है जो शरीर में होने वाले अन्य प्रकार के कैंसरों की तरह आसानी से हो सकता है | लेकिन अभी तक ब्रेन ट्यूमर के कारणों का सही तरीके से पता नहीं लगाया जा सका है | ब्रेन ट्यूमर के अभी तक के मामलों से पता चलता है की यह कम उम्र के व्यक्तियों में अधिक देखने को मिलता है , परन्तु बहुधा होने वाले अन्य कैंसरों में अधिक उम्र के रोगी ज्यादा प्रभावित दिखाई देते है |
जाने ब्रेन ट्यूमर होने के संभावित कारण
ये हमने ऊपर भी बताया की अभी तक ब्रेन ट्यूमर के सही कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है | लेकिन बहुत से रिस्क फैक्टर है जो आपको इस रोग की और बढ़ा सकते है | एक साधारण से कारण में यह रोग तब होता है जब मष्तिष्क की सामान्य कोशिकाओं के डीएनए में कुच्छ परिवर्तन होता है | इस परिवर्तन के कारण कोशिकाएं तेजी से बनने लगती है और एक पिंड के रूप में इक्कट्ठा होती रहती है |
मष्तिष्क की सामान्य कोशिकाओं के डीएनए में परिवर्तन निम्न कारणों से हो सकता है | यहाँ हमने कुच्छ संभावित फैक्टर्स के बारे में बताया है जो मष्तिष्क के कैंसर के लिए कारक बनते है –
रेडिएशन से बढ़ता है ब्रेन ट्यूमर का खतरा
जो व्यक्ति आयोनाइजिंग प्रकार के रेडिएशन के अधिक सम्पर्क में रहते है उनको ब्रेन ट्यूमर का खतरा अधिक रहता है | आयोनाइजिंग रेडिएशन एक्सरे की किरणों, कैंसर के उपचार के लिए प्रयुक्त होने वाले रेडिएशन थरेपी एवं एटोमिक बम आदि के कारण हुए रेडिएशन एक्सपोजर में अधिक होता है | इन जगहों पर जाने से पहले पूर्णत: दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए |
मोबाइल का अधिक इस्तेमाल भी ब्रेन ट्यूमर का कारण बन सकता है !
ये तो आज सभी को पता है की मोबाइल एवं मोबाइल के टावर्स से एक खतरनाक प्रकार के रेडिएशन निकलते है , जो सम्पूर्ण मानव सभ्यता के लिए एक खतरा साबित हो रहे है | जो व्यक्ति लम्बे समय तक मोबाइल पर बात करते है उन्हें इसका खतरा बढ़ जाता है | अत: सेल फ़ोन का सिमित उपयोग करना चाहिए , अगर मोबाइल पर लम्बी बात करनी हो तो ईरफ़ोन आदि का इस्तेमाल करना उचित रहता है |
आनुवंशिकता भी हो सकता है एक कारण
जिन लोगों के परिवार में ब्रेन ट्यूमर का इतिहास हो तो उनकी संतानों को भी इस रोग के होने की सम्भावना अधिक होती है | जिनेटिक सिंड्रोम का पारिवारिक इतिहास भी इस रोग का एक कारण बन सकता है |
आईये अब जानते है यह कितने प्रकार का होता है |
ब्रेन ट्यूमर के प्रकार
मष्तिष्क में होने प्रारंभिक ट्यूमरस कई प्रकार के होते है , जिनके अन्तरगत निम्नलिखित कैंसर आते है –
1. ग्लिओमा (Glioma) – इस प्रकार के कैंसर बहुत ही असाध्य और खतरनाक होते है |
2. मेनिन्गिओम (Meningioma) – यह इस प्रकार का ट्यूमर असाध्य नहीं होता , इनका ट्रीटमेंट आसानी से किया जा सकता है | ये मष्तिष्क की सतह पर मिनिन्जिस से पैदा होते है |
3. पिट्यूटरी ट्यूमर (Pituitary Tumour) – ये पिट्यूटरी ग्रंथि से पैदा होते है | और अधिकतर मामलों में इनको सफलतापूर्वक निकाला जा सकता है | ये मष्तिष्क में अंत:स्रावी गड़बड़ियाँ और साथ ही दबाव भी पैदा करते है |
4. ऑडिटरी स्नायु ट्यूमर – इस प्रकार के ट्यूमर धीरे – धीरे बढ़ने वाले होते है , जो अधिकतर बुजर्गों में देखने को मिलते है |
द्वितीयक (Secondary) – ये ट्यूमर शरीर के किसी भी भाग के प्रारंभिक ट्यूमर के फैलाव के कारण बनते है | अधिकतर ब्रोंकई और अमाशय के कैंसर के फैलाव इनका मुख्य कारण होता है | प्रारंभिक ट्यूमर की अपेक्षा ये अधिक सामान्य होते है अर्थात इनका उपचार आसन होता है |
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण / Symptoms of Brain Tumour in Hindi
ब्रेन ट्यूमर होने पर व्यक्ति के शरीर में बहुत से लक्षण पैदा होते है | हमने यहाँ इसके लक्षणों को विस्तार से समझाने के लिए इन्हें अलग – अलग भागों में बाँटा है | वैसे ब्रेन ट्यूमर के मुख्यत: दो तरीके से लक्षण पैदा होते है –
सामान्य लक्षण
- मामूली सिरदर्द का धीरे – धीरे गंभीर हो जाना |
- जी मचलाना एवं उल्टी होना |
- शरीर का संतुलन बनाने में परेशानी होना एवं लडखडाना |
- आँखों से धुंधला दिखाई पड़ना एवं द्रष्टि कमजोर होना |
- अचानक से चक्कर आना , विशेषकर चाहे कभी चक्कर न आयें हो |
- सुनने की क्षमता में परिवर्तन होना अर्थात कम सुनाई देना |
लक्षणों का प्रारंभ दो तरीके से होता है
- बढे हुए अंतर्मष्तिष्किय दबाव के कारण पैदा होने वाले लक्ष्ण |
- ट्यूमर की अधिक वर्द्धि से मष्तिष्क को नुकसान (स्थानिक) होने के कारण |
1. बढे हुए अंतर्मष्तिष्कीय दबाव के कारण पैदा होने वाले लक्षण
ट्यूमर के कारण पैदा हुए फोड़े या मेनिनजाइटिस के कारण मष्तिष्क में दबाव पैदा होता है जिसके कारण निम्नलिखित लक्ष्ण प्रकट होते है –
- सिरदर्द – दबाव के कारण सिरदर्द प्राय: निरंतर और अधिक गंभीर होता है | लम्बे समय तक सिरदर्द रहता है एवं सिरदर्द की तीव्रता भी असहनीय होती है |
- उल्टियाँ – अगर सिरदर्द के साथ उल्टियाँ भी हो रही है तो निश्चित ही मष्तिष्क में किसी क्षति की आशंका बढ़ जाती है |
- एंठन या दौरे अधिक उठते है |
- मष्तिष्क में दबाव के कारण नाडी की गति धीमी हो जाती है |
- कार्य करने की गति में भी धीमापन आ जाता है |
- रोगी अधिकतर थक्का हुआ महसूस करता है |
- एका-एक याददास्त कमजोर हो जाती है |
- व्यक्ति की पर्सनालिटी में परिवर्तन देखा जा सकता है |
2. ब्रेन ट्यूमर के स्थानिक लक्षण
स्थानिक लक्षण हमेशां ट्यूमर के द्वारा मष्तिष्क के प्रभावित क्षेत्र एवं उसके कार्यो पर निर्भर करते है | जैसे मष्तिष्क के बहुत से हिस्से है जो अलग – अलग कार्य करते है | जब ब्रेन ट्यूमर के कारण इन हिस्सों पर कोई प्रभाव पड़ता है तो लक्षण भी इनके हिसाब से दिखाई पड़ते है | जैसे अगर प्रेरक कोर्टेक्स के प्रभावित होने से हाथ या पैरों में एंठनयुक्त दौरे शुरू हो जाते है |
- प्रेरक कोर्टेक्स के प्रभावित होने से दौरे पड़ना शुरू हो जाते है |
- ओक्सिपिटल कोर्टेक्स में ट्यूमर होने या ट्यूमर के कारण इस हिस्से के प्रभावित होने से आँखे कमजोर हो जाती है | व्यक्ति को धुंधलापन या कभी – कभार अधिक समस्या में अंधेपन की परेशानी भी देखने को मिलती है |
- ऑडिटरी नर्व के प्रभावित होने पर बहरेपन की समस्या पैदा हो जाती है |
- अगर ब्रेन ट्यूमर से पिट्यूटरी ग्रंथी प्रभावित हुई है तो अंत:स्रावी ग्रंथि के कार्यों में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण साइमंड रोग या वर्द्धि रोग पैदा हो जाता है |
कैसे डायग्नोस किया जाता है ब्रेन ट्यूमर ?
लक्षणों और चिन्हों के आधार पर पहले ब्रेन ट्यूमर की आशंका ही जाहिर की जा सकती है | अगर ट्यूमर की उपस्थिति या स्थान का पता करना हो तो चिकित्सक पहले जांच – परिक्षण की सलाह देते है | इस मामलों में न्यूरोसर्जन कई विधियों से ब्रेन ट्यूमर का पता लगा सकते है | ये विधियाँ निम्न है –
1. मष्तिष्क का एक्सरे
कभी – कभी ट्यूमर के कारण होने वाला अस्थि का कटाव या प्रभावित क्षेत्र देखने के लिए खोपड़ी का एक्सरे किया जाता है |
2. EEG / इलेक्ट्रोएनसिफैलोग्राम
EEG मष्तिष्क की विद्युतीय सक्रियता का एक प्रकार का रिकॉर्ड होता है | इसमें तरंगो के अनुक्रम के हिस्साब से रोग का पता चलता है | अगर रिकॉर्ड में नियमित अनुक्रम नहीं है अर्थात इसमें कोई अस्तव्यस्तता है तो ट्यूमर की उपस्थिति का आसानी से पता चल जाता है |
3. ब्रेन का स्कैन
मष्तिष्क की सूक्षम तरीके से जांच करने पर ब्रेन स्कैन का पता लगाया जा सकता है | जब मष्तिष्क के ट्यूमर द्वारा रेडियो सक्रिय पदार्थ (टेकनेटीअम 99M, ९९ Tc) को बेहतर तरीके से ग्रहण कर लिया जाता है | तब इसकी उपस्थिति स्कैनिंग तकनीक द्वारा आसानी से रिकॉर्ड की जा सकती है |
4. सेरिब्रल एंजियोग्राफी
इस विधि में कैरोटिड धमनी में रेडियो पिगमेंट का इंजेक्शन देकर इसका एक्सरे लेने पर ट्यूमर द्वारा इस धमनी का विस्थापन या फिर ट्यूमर के आसपास रक्त का असामान्य सर्कुलेशन दिखाई देता है |
5. वेंत्रिक्यूलोग्राफी (Ventriculography)
इस विधि में दिमाग के वेंट्रिकल्स (निलयों) में वायु को इंजेक्ट किया जाता है | इसके पश्चात एक्सरे के माध्यम से उनके आकर या आकृति की असमान्यताएं ज्ञात की जाती है | अगर इनमे कुछ असामान्य मिलता है तो वह रोग का निर्धारण करने में सहायक होता है |
6. CAT स्कैनर
ब्रेन कैंसर का पता लगाने में सबसे सटीक तरीका कैट स्कैनर ही है | हालाँकि यह थोडा मंहगा उपकरण है इसलिए इसका उपयोग भी मंहगा पड़ता है | लेकिन एक्सरे के द्वारा ज्ञात किये जाने वाले ट्यूमर में यह बिलकुल सटीक और ट्यूमर की वास्तविक स्थिति, स्थान और उसके आकार का आसानी से पता लगाने में कारगर तकनीक है |
ब्रेन ट्यूमर का इलाज / उपचार / Brain Tumour Treatment in Hindi
ट्यूमर का निर्धारण होने के पश्चात डॉ ब्रेन ट्यूमर के ट्रीटमेंट का निर्धारण करते है | अधिकतर इसका इलाज सर्जरी द्वारा ही संभव हो पाता है | शल्य क्रिया द्वारा ट्यूमर को दिमाग से बाहर निकालने पर रोग का निवारण हो जाता है | लेकिन यह तरीका साध्य (ठीक हो सकने वाले) ट्यूमर जैसे मेनिन्जिओमा में ही संभव हो सकता है | असाध्य ट्यूमर में सर्जरी के बाद भी अर्थात ट्यूमर को पूर्णत: निकालने के बाद भी रोग का पूरी तरीके से निवारण नही हो पाता | ब्रेन ट्यूमर का ट्रीटमेंट इन तरीको से होता है
- सर्जरी – ब्रेन ट्यूमर से प्रभावित कोशिकाओं को निकलने के लिए सर्जरी का सहारा लिया जाता है | अगर रोगी का ट्यूमर निकालने योग्य है तो सर्जरी के द्वारा उसे मष्तिष्क से बहार निकाल दिया जाता है | साध्य ट्यूमर या फर्स्ट स्टेज के ट्यूमर को सर्जरी के माध्यम से मष्तिष्क से निकाल दिया जाता है |
- रेडिएशन थेरेपी – असाध्य या जो ट्यूमर निकाले नहीं जा सकते उनके लिए रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है | कभी – कभार सर्जरी के द्वारा निकालने के बाद भी बढ़ने या उनकी कुच्छ कोशिकाएं बच जाती है तो उनको नष्ट करने एक लिए भी ब्रेन ट्यूमर का इलाज रेडिएशन थेरेपी द्वारा किया जाता है | brain tumor treatment in hindi
- कीमोथेरेपी – कीमोथेरेपी का इस्तेमाल कैंसर सेल्स का खात्मा करने के लिए प्रयोग में ली जाती है | इसका प्रयोग प्रथम और द्वितीयक दोनों प्रकार के ब्रेन कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है |
ब्रेन ट्यूमर से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां
- शुरूआती अवस्था में ब्रेन कैंसर को आसानी से ट्रीट किया जा सकता है |
- ब्रेन कैंसर का घातकपन इस बात पर निर्भर करता है की आपको मस्तिष्क के किस हिस्से में ट्यूमर है |
- मष्तिष्क में कुछ एसे हिस्से भी है जो सुप्त अवस्था में रहते है , अत: इनमे अगर ट्यूमर होता है तो इसके लक्षण भी देर से जाहिर होते है |
- मष्तिष्क कैंसर में मष्तिष्क में किस भाग में ट्यूमर है और किस अवस्था में है उसी के आधार पर डॉ इसका इलाज करते है | ब्रेन ट्यूमर में ट्यूमर कहाँ है और वह मष्तिष्क के किस हिस्से को प्रभावित कर रहा है या यूँ कहे की मष्तिष्क की किस नस को दबा रहा है , इलाज भी इसके आधार पर ही संभव हो पाता है |
- सर्जरी , रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी अलग – अलग पद्धति है लेकिन कभी – कभार रोग की अवस्था के आधार पर चिकित्सक एक से अधिक तरीकों को फॉलो करते है |
- ब्रेन ट्यूमर के रोगी की घरेलु देखभाल बहुत जरुरी है | इसके लिए होम केयर , नर्सिंग केयर आदि का चयन किया जा सकता है | ताकि रोगी की सर्जरी या थेरेपी के बाद उसे घर पर भी हॉस्पिटल जैसी सुविधा दी जा सके |
धन्यवाद |