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सिंहासन योग
इस आसन को सिंह के सामान आकृति वाला होने के कारण सिंहासन या अंग्रेजी में “Lion Pose” कहा जाता है | सिंहासन का शाब्दिक अर्थ निकालने पर यह दो शब्दों से मिलकर बना होता है | सिंह + आसन, यहाँ सिंह से अर्थ है शेर क्योंकि सिंह शब्द शेर का प्रयायवाची शब्द है और आसन से योगासन | शाब्दिक अर्थ और आकृति में भी सिंह के सामान होने के कारण इसे सिंहासन योग कहा जाता है | इस आसन को अपनाने से वज्रासन से होने वाले सभी लाभ प्राप्त हो जातें है साथ ही स्वर को मधुर करने एवं आँखों की रौशनी बढाने में भी यह आसन लाभदायक होता है |
सिंहासन योग करने की विधि
Lion Pose / सिंहासन योग करने की दो विधियाँ है या यूँ कहे की सिंहासन योग के दो प्रकार होते है तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी | और पढ़ें – योग क्या है ?
सिंहासन योग की प्रथम विधि
- सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएँ |
- अब अपने नितम्बो को ऊपर उठायें |
- अब अपने दायें पैर की एडी को बाएं नितम्ब के निचे और बाएं पैर की एडी को दायें पैर के निचे जमाले |
- दोनों हाथों की हथेलियों को जमीन पर टिका दें |
- सिने को बाहर निकालते हुए , मुंह को ऊपर की तरफ करके जीभ को सामर्थ्य अनुसार बाहर निकालें |
- आँखों से बोहों के बिच देखने की कोशिश करे |
- अब श्वास अन्दर ले और सिंह के सामान गुर्राने की आवाज निकाले |
- पश्चात मुहं और नाक दोनों से एक साथ श्वास बाहर निकाले |
- इस अवस्था में 10 सेकंड रुकें |
- इस प्रकार एक चक्र पूरा होता है |
- अपने पैरों को बदल कर 3 से 4 बार दोहराएँ |
सिंहासन योग की दूसरी विधि
- इस विधि में घेरंड संहिता के अनुसार अपने पैरों की एडियों को व्युत्क्रमपूर्वक मूलाधार चक्र के निचे रखे |
- जालंधर बंद लगाये |
- ध्यान को आज्ञा चक्र पर रखे |
- अब श्वास को छोड़ें |
- इस विधि में सिवनी नाडी को अपनी दोनों एडियों से दबाकर रखना है |
- 3 से 4 बार दोहराना है |
सिंहासन योग के फायदे / लाभ
- स्वर विकार या वाणी को मधुर बनाने में इस आसन को अपनाना चाहिए | इसे अपनाने से आपकी आवाज मधुर बनती है एवं वाणी के विकार भी दूर होते है |
- आँखों की ज्योति बढती है |
- चेहरे पर निखार आता है एवं चेहरे की त्वचा चमकदार बनती है |
- वज्रासन से होने वाले सभी लाभ इस आसन को करने से मिल जाते है |
- व्यक्ति निर्भीक बनता है | जिन्हें अकारण भय लगता हो , उन्हें इस आसन को अपनाना चाहिए |
- वक्ष मजबूत बनता है |
- पेट के रोग भी दूर होते है |
- आज्ञा चक्र जागरूक होता है |
- अस्थमा जैसे रोग में भी सिंहासन योग फायदेमंद होता है |
सावधानी
- गले के गंभीर विकारों में योग्य योग गुरु की देख – रेख में ही करे |
- गठिया रोग एवं जोड़ों के दर्द में योग गुरु का परामर्श आवश्यक है |
धन्यवाद |
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