शीर्षासन / Shirshasana – विधि , फायदे एवं सावधानियां |

शीर्षासन / Shirshasana

योगासनों में सबसे अधिक उपयोगी और फायदेमंद आसन है शीर्षासन | इसीलिए इस आसन को आसनों का राजा भी कहा जाता है | भले ही यह करने में थोडा कठिन हो लेकिन दो – चार बार के अभ्यास के बाद इस आसन को आसानी से किया जा सकता है एवं बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है | इस आसन में साधक को सिर के बल एवं हाथों के संतुलन के बल खड़ा होना पड़ता है , इसीलिए इसे शीर्षासन कहा जाता है |

शीर्षासन
शीर्षासन

यह आसन कई प्रकार के शारीरिक व्याधियों में लाभदायक है | मानसिक रोग , पाचन तंत्र के रोग , बालों की समस्या , चेहरे की त्वचा की समस्याएँ आदि स्वास्थ्य समस्याओं में लाभदायक है |

शीर्षासन की विधि / Method of Shirshasana

शीर्षासन करने से पहले आपको समतल जगह पर गद्दा या कोई तकिया बिछा लेना चाहिए , क्योकि इस आसन में सिर के बल पर खड़ा होना पड़ता है | अत: अपनी सुविधा एवं सुरक्षा के लिए सिर के निचे कोई तकिया या मुलायम गद्दा रखले |

  • सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाए |
  • अब सिर को सामने की और झुकाते हुए बिछाए हुए गद्दे या तकिये पर सिर के उपरी भाग को टिकाएं |
  • अपने दोनों हाथों की अंगुलियों से घेरा बनाते हुए सिर के पास रखे |
  • अब क्रमश: सिर की तरफ वजन देते हुए कमर को ऊपर उठायें |
  • धीरे – धीरे अपने सिर पर पूरा वजन सहते हुए पैरो को ऊपर सीधा करने का प्रयास करे |
  • ऊपर जाते हुए श्वास ले |
  • इस अवस्था में कुछ देर रुके | यह अवस्था शीर्षासन कहलाती है |
  • अब धीरे – धीरे पैरों को वापिस मोड़ते हुए मूल अवस्था में आ जाये |
  • वापिस आते समय श्वास – प्रश्वास को सामान्य चलने दे |
  • शीर्षासन की अवस्था में 2 – 3 मिनट या अपने सामर्थ्य अनुसार रुके |
  • इस प्रकार शीर्षासन का यह एक चक्र पूर्ण होता है |

शीर्षासन करते समय बरते ये सावधानियां / Precautions while doing Shirshasana

  • शीर्षासन में शरीर का पूरा वजन सिर पर पड़ता है , अत: अपने सिर के निचे कोई मोटा एवं मुलायम कपडा लगा लेना चाहिए |
  • अगर आप इस आसन को पहली बार कर रहे है तो किसी की सहायता जरुर ले |
  • आसन को करते समय जल्दबाजी बिलकुल न करे |
  • शरीर को बिल्कुल सीधा रखे ताकि शरीर में स्थिरता और द्रिद्द्ता आये |
  • पहली बार करने वालों को 1 – 2 मिनट से अधिक देर तक नहीं करना चाहिए |
  • गर्भवती महिलाऐं इसे न करे |
  • हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर के रोगी भी इसे न करे |
  • हृदय रोग , अल्सर , चक्कर आने वाले इस आसन से परहेज करे |
  • इस आसन को करने से पहले सर्वांगासन का अभ्यास जरुर करना चाहिए |
  • इस आसन के बाद ताड़ासन या शवासन को जरुर करना चाहिए |

शीर्षासन के फायदे – लाभ / Benefits of Shirshasana

  • इस आसन को आसनों का राजा भी कहा जाता है , क्योंकि यह पुरे शरीर का कायाकल्प करता है |
  • मानसिक दुर्बलता एवं मष्तिष्क से सम्बंधित सभी प्रकार के रोगों में लाभ मिलता है |
  • इस आसन को करने वालों के चहरे की चमक और ओज बढ़ता है |
  • युवावस्था को लम्बे समय तक बनाये रखता है |
  • आँखों के सभी रोग दूर होते है |
  • इस आसन को प्रतिदिन करने से उर्ध्वजत्रुगत सभी रोगों में लाभ मिलता है | क्योंकि रक्त का संचार मष्तिष्क एवं ऊपर के अंगो में होने से यंहा नित्य नया एवं शुद्ध रक्त पंहुचता रहता है |
  • बालों के झड़ने व सफ़ेद होने की समस्या से छुटकारा मिलता है |
  • शरीर में स्फूर्ति एवं उतसाह का संचार होता है |
  • उन्माद एवं मिर्गी जैसे रोग इस आसन का नियमित अभ्यास करने से दूर हो जाते है |
  • लकवा के रोगियों को यह आसन योग्य योग गुरु की देख रेख में नित्य करना चाहिए , ताकि लकवा रोग में लाभ मिले |
  • इसका नियमित अभ्यास करते रहने से दमा व् टीबी रोग  से छुटकारा मिलता है |
  • कब्ज दूर होती है |
  • पेट के रोग व प्रजनन अंगो के सभी रोगों में यह आसन लाभकारी माना गया है | नियमित अभ्यास से काम शक्ति का संचार होता है |
  • इसके अलावा सभी प्रकार के मानसिक रोग , चेहरे की त्वचा को कांतिमय बनाने में भी यह योगासन महत्वपूर्ण है |

धन्यवाद |

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