उतानपादासन – विधि, फायदे और सावधानियां

योग चिकित्सा में बहुत से आसन है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण है और जिन्हे हर प्रकार के लोग कर सकते हैं एवं सावधानियां भी कम रखनी पड़ती हैं। इन्ही आसनों में उतानपादासन भी एक महत्वपूर्ण आसन है। कमर दर्द, मोटापा और नितंब मजबूत बनाने के लिए इस आसन के अपने अलग महत्व हैं। यह आसन ध्रव के पिता उतानपाद को समर्पित है।

उतानपादासन करने की विधि

उतानपादासन करने के लिए निम्न क्रियाएँ अपनायें

  • सबसे पहले एक समतल जगह पर पीठ के बल लेट जाएँ।
  • अब दोनों हाथों को कमर के अगल-बगल में रखें और हथेलियां जमीन पर स्थिर रखें।
  • श्वास लें और हाथों पर हल्का दबाव देते हुए दोनों पैरों को एक साथ ज़मीन से लगभग 60 डिग्री के कोण पर उठाएँ।
  • ध्यान दें दोनों पैर एक साथ मिले हुए हों और पंजे सामने की तरफ तने हुए हों।
  • इस अवस्था में 1 से 2 मिनट रूकें , अब मूल अवस्था में आयें।
  • पैरों को ऊपर उठाते समय श्वास रोकें एवं मूल अवस्था में आते समय श्वास छोड़े। ऐसा 3 से 5 बार करें।
  • उतानपादासन करते समय श्वास-प्रश्वास सामान्य रखें।

सावधानियां – अधिक कमर दर्द और रीढ़ की हड्डी में समस्या वाले योग्य योग गुरू की देख-रेख में करें।

यह विधि मूल उतानपादासन करने की विधि है लेकिन हम इसे गतिमय बनाते हैं ताकि उतानपादासन से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसे हम दो विधियों से गतिमय बना रहें हैं जिनका वर्णन निम्न है

♦ गतिमय उतानपादासन

उतानपादासन को गतिमय बनाने के लिए सबसे पहले जमीन पर पीठ के बल लेट जाएँ। हथेलियां अगल-बगल रखें। अब श्वास लेते हुए बाएँ पैर को इतना ऊँचा उठायें कि समकोण बन जाये। इस स्थिती मे कुछ देर रूके और मूल अवस्था में श्वास छोड़ते हुए वापिस आ जायें। बाएँ पैर से यह क्रिया 4 से 5 बार करें। अब यही पोजिशन दाएँ पैर से करें। 4 से 5 बार दाएँ पैर से करने के बाद मूल अवस्था में वापिस आ जायें। अब यही समकोण दोनों पैरों को एक साथ उठाते हूए बनाऐ और श्वास-प्रश्वास सामान्य चलने दें। इस प्रकार गतिमय उतानपादासन पूर्ण होता है।

गतिमय उतानपादासन के लाभ

  • चर्बी दूर कर जंघाएँ एवं नितम्ब सुडोल बनाता है।
  • उदर प्रदेश, पाचन तंत्र, मेरूदण्ड, पीठ के निचले हिस्से की पेशियों को मजबूत बनाता है। लोच व लचक पैदा करता है।

♦ दूसरी विधि

पीठ के बल जमीन पर लेट जाएँ। पहले दायाँ पैर सीधा उठाएँ और उसे दाएँ तरफ से बाएँ लाते हुए वृत बनाएँ। यह क्रिया 10 से 15 बार दोहराएं। अब उसी पैर से बाएँ से दाएँ तरफ घुमाएँ। एक चक्र पूरा करने के बाद यही क्रिया बाएँ पैर से पूर्ण करे। पहले वृत बनाकर घुमायें और उसके पश्चात मूल अवस्था में वापिस आ जायें। इस दौरान अपने श्वास-प्रश्वास को सामान्य चलने दें।

उतानपदासन के स्वास्थ्य लाभ

  • उतानपादासन पेट की चर्बी को कम करता है।
  • इस आसन को करने से पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
  • यह आसन कब्ज को दूर करता है।
  • पाचन क्रिया को दूरस्त करता है।
  • यह महिलाओं के मासिक चक्र की समस्या को भी ठिक करता है।
  • अगर नाभि अपनी जगह से हट गई है तो उतानपादासन से अच्छा कोई आसन नहीं है।
  • अपनी जगह से हटी हुई नाभि को ठिक करने के लिए आप उतानपादासन करें।
  • यह आसन मेरूदण्ड और उसकी कोशिकाओं के लिए भी फायदेमंद है।
  • पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए उतानपादासन लाभदायक है।
  • नितंब और जंघाओं की मांसपेशियां मजबूत बनती है।
  • इसके निरंतर अभ्यास करने से गर्दन और कंधे की मांसपेशियां मजबूत बनती है और तनाव भी दूर होता है।
  • निरंतर अभ्यास से चिंता और तनाव से मूक्ति मिलती है।

उतानपादासन करते समय सावधानियाँ

  • अधिक कमर दर्द वाले भी योग शिक्षक का परामर्श लें।
  • साइटिका रोग से पीड़ित व्यक्ति न करें।
  • पेट या कमर की कोई सर्जरी हुई हो तो इसे न करें।
  • गर्भवती महिलाएं इस आसन को योग्य योग शिक्षक की देख-रेख में करें, अन्यथा न करें।

धन्यवाद |

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *