आप सभी तो जानते ही हैं कि जैसे-जैसे आधुनिकता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, वैसे वैसे नई-नई समस्याएं भी उत्पन्न होती जा रही हैं, जिनका सीधा असर हमारी सेहत पर देखने को मिलता है। आज के इस प्रदूषण भरे जमाने में स्वस्थ रहना एक बहुत ही मुश्किल काम बन गया है।
ऐसे में आज के समय में स्वस्थ रहने में महर्षि वाग्भट्ट जी के ग्रंथ, सूत्र, नियम और नुस्खे हमारे लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं। आप में से अधिकतर लोग महर्षि वाग्भट्ट जी के बारे में तो जानते ही होंगे, जो कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा-विज्ञान अथवा आयुर्वेद चिकित्सा-जगत के एक महान आचार्य है। वाग्भट जी ने आयुर्वेद के दो महत्वपूर्ण ग्रंथ अष्टांग संग्रह और अष्टांग ह्रदय की रचना थी, इन ग्रंथो का आयुर्वेद के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण स्थान है।
महर्षि वाग्भट्ट जी द्वारा रचित ग्रंथ आज के समय में स्वस्थ रहने में काफी ज्यादा उपयोगी साबित होता है। यदि आप भी अपनी सेहत को बनाए रखना चाहते हैं, तो महर्षि वाग्भट्ट जी के नियम, सूत्र और नुस्खे को अपने जीवन में जरूर अपनाएं। यदि आप महर्षि वाग्भट्ट जी के नियम सूत्रों के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें। तो आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
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महर्षि वाग्भट सूत्र | Health Sutras by Maharishi Vagbhatt
महर्षि वाग्भट्ट जी द्वारा सेहत से जुड़े हुए कुछ सूत्र दिए गए हैं, जो कि हमें स्वस्थ बनाए रखने में मददगार साबित होता है और वह सूत्र निम्नलिखित है-
1.पहला सूत्र (First Sutras)-
महर्षि वाग्भट्ट जी के पहले सूत्र के अनुसार जिस भोजन पर सूर्य का प्रकाश और पवन का स्पर्श ना पड़े, ऐसे भोजन को कभी नहीं खाना चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो आज के समय में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रेशर कुकर, माइक्रोवेव ओवन, रेफ्रिजरेटर, इत्यादि में रखे हुए भोजन का सेवन ना करें।
2.दूसरा सूत्र (Second Sutras)-
महर्षि वाग्भट्ट जी के दूसरे सूत्र के अनुसार लंबे समय तक रखे गए भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। कहने का मतलब यह है कि भोजन पकाने के 48 मिनट के अंदर भोजन का सेवन कर लेना चाहिए, क्योंकि 48 मिनट के बाद रखे गए भोजन में से लगातार न्यूट्रिएंट्स कम होने लगते हैं और 24 घंटे में भोजन में से सारे न्यूट्री खत्म हो जाते हैं। इसीलिए लंबे समय तक रखे गए भोजन का सेवन ना करें।
3.तीसरा सूत्र (Third Sutras)-
महर्षि वाग्भट्ट जी के तीसरे सूत्र के अनुसार 15 दिन से अधिक समय का पीसा हुआ गेहूं का आटा नहीं खाना चाहिए, क्योंकि 15 दिन के बाद आटे का न्यूट्रिएंट्स खत्म होना शुरू हो जाता है। इसके साथ ही साथ 7 दिन से अधिक समय का पीसा हुआ बाजरा, मक्का और जई के आटे का भी उपयोग नहीं करना चाहिए।
4.चौथा सूत्र (Fourth Sutras)-
महर्षि वाग्भट्ट जी के चौथे सूत्र के अनुसार हर एक व्यक्ति को 60 साल की उम्र तक शारीरिक क्षमता के अनुसार काम करते रहना चाहिए। अलग-अलग उम्र के लोगों को अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार खेलकूद, शारीरिक श्रम और अपने अनुसार कोई ना कोई काम करते रहना चाहिए, जिससे शरीर के सारे अंग स्वस्थ रहें। और 60 साल की उम्र के बाद अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार धीरे-धीरे शारीरिक श्रम कम करना चाहिए।
5.पांचवा सूत्र (Fifth Sutras)-
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक अनुकूल वातावरण भी बहुत जरूरी होता है। इसीलिए महर्षि वाग्भट्ट जी के पांचवे सूत्र के अनुसार हमें अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए वातावरण का भी ध्यान रखना होता है। महर्षि वाग्भट्ट जी के अनुसार भारत एक गर्म देश है, इसीलिए ऐसा कोई भी काम न करें जिससे वात की समस्या बढे इसके साथ ही साथ तासीर का ध्यान रखें।
महर्षि वाग्भट के नियम | Niyama by Rishi Bagbhatt
ऋषि भागवत जी ने अपने ग्रंथों में स्वस्थ रहने के कुछ नियम भी बताएं हैं जिसे अपने जीवन में अपनाने से हम अपने आपको स्वास्थ्य रख सकते हैं। और वह नियम निम्नलिखित है-
1.सुबह उठते ही 1 लीटर पानी पिए-
सुबह उठते साथ ही बासी मुंह यानी कि बिना मुंह धोए कम से कम 1 लीटर पानी पीना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से पेट साफ हो जाता है, और बीमारियां नहीं होती है। सुबह सुबह उठकर बासी मुंह पानी पीना एक औषधि की तरह काम करता है। और इसे वैज्ञानिक भाषा में पानी चिकित्सा यानी कि वाटर थेरेपी भी कहा जाता है।
2.भोजन करने के डेढ़ घंटे बाद पानी पिए-
महर्षि वाग्भट के नियम के अनुसार भोजन करने के डेढ़ घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि खाना खाने के बाद हमारे पेट में जठराग्नि (आग) जलती है, जोकि भोजन को पचाने का काम करती है। ऐसे में यदि हम खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीते हैं, तो वह आग बुझ जाती है और फिर भोजन हमारे पेट में ही सड़ने लगता है, जिसके कारण बहुत सी बीमारियां होने की संभावना होती है। इसीलिए खाना खाने से करीब डेढ़ घंटे बाद भी पानी पीना चाहिए।
3. हमेशा घूंट-घूंट पानी पिए-
महर्षि वाग्भट के नियम के अनुसार कभी भी एक सांस में पानी नहीं पीना चाहिए, हमेशा घूंट-घूंट में और बैठकर पानी पीना हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहतर साबित होता है। महर्षि वाग्भट्ट जी का यह नियम 30 से भी ज्यादा बीमारियों से बचने में मदद करता है।
4. ठंडा पानी कभी नहीं पीना चाहिए-
महर्षि वाग्भट्ट जी के नियम के अनुसार चाहे कितना भी गर्मी क्यों ना हो कभी भी फ्रिज का ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए, क्योंकि लगातार ठंडा पानी पीने से लकवा और दिल की बीमारी जैसे कई सारी बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए या तो आप साधारण पानी पिए या तो मटके का पानी जो कि स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
ऋषि वाग्भट के आयुर्वेदिक नुस्खे | Rishi Vagbhatt Ayurvedic Nuskhe
महर्षि वाग्भट जी ने स्वस्थ रहने के कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे भी बताए हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित है-
1.सुबह-सुबह शुद्ध सरसों के तेल से पूरे शरीर में मालिश करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और शरीर के सारे अंग भी तंदुरुस्त रहते हैं।
2. त्रिफला चूर्ण हमारे शरीर के लिए एक औषधि की तरह काम करता है, जिसका नियमित रूप से सेवन करने से वात, पित्त और कफ तीनो संतुलित रहते हैं।
3. पूर्व या दक्षिण दिशा की तरफ सिर रखकर सोने से कभी भी मानसिक रोग नहीं होंगे और आयु भी बढ़ती है।
4. भोजन हमेशा जमीन पर और पालथी मारकर ही खाना चाहिए।
5.हल्दी, जीरा, राई, धनिया, इत्यादि यह सब एक औषधि की तरह काम करती हैं, इसीलिए इन्हें अपने आहार में शामिल करें।
6. 18 से 60 साल की उम्र तक अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार शारीरिक श्रम जरूर करें।
7. अपने छींक और हंसी को कभी ना रोके।
ऋषि वाग्भट के घरेलु नुस्खे | Home Remedies by Rishi Bagbhatt Ji
महर्षि वाग्भट्ट जी द्वारा स्वस्थ रहने के कुछ घरेलू नुस्खे भी दिए गए हैं, जिन्हें अपनाने से हम बहुत सारी बीमारियों से बच सकते हैं। और वह घरेलू नुस्खे निम्नलिखित है-
1. प्यास और भूख को कभी भी नजरअंदाज ना करें।
2. हमेशा भोजन अच्छी तरह से चबा चबा कर खाएं, ऐसा करने से शरीर को काफी सारे लाभ मिलते हैं।
3. भोजन करने से पहले, बीच में, और बाद में पानी पीना सेहत के लिए सही नहीं माना जाता है, क्योंकि ऐसा करने से 50 से 100 तरह की बीमारियां होने की संभावना होती है।
4. भोजन करने से करीब 40 मिनट पहले पानी पीना चाहिए और भोजन करने के करीब डेढ़ घंटे बाद पानी पीना चाहिए।
5. मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने और खानपान की चीजों में मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल करने से बहुत सारी बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
6. रात को बिना तकिये के सोने से मस्तिष्क और दिल कि स्वास्थ्य पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।
7. प्रतिदिन गाय के दूध का सेवन जरूर करें।
8. रात को बायी ओर करवट लेके सोने से भोजन पचाने में सहायक साबित होता हैं।
निष्कर्ष:-
आज के समय में स्वस्थ रहने का एकमात्र उपाय आयुर्वेद बन गया है, इसलिए आज हमने आप सभी को अपने इस आर्टिकल के माध्यम से महर्षि वाग्भट जी के नियम, सूत्र, घरेलू नुस्खे और कुछ आयुर्वेदिक नुस्खों के बारे में बताने का प्रयास किया है। आशा करते हैं कि आप सभी को हमारा यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा और आप सभी को हमारे इस आर्टिकल के माध्यम से काफी अच्छी जानकारी प्राप्त हुई होगी।
thanks alot for urs swadeshi upchar