सप्तामृत लौह के फायदे, नुकसान, घटक एवं सेवन विधि (Saptamrit Lauh in Hindi)

सप्तामृत लोह आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसन है । जो सब प्रकार के नेत्र रोगों की एक खास दवा है। इसके सेवन से दृष्टि – शक्ति की कमी, आंखों की लाली, आंखों में खुजली होना, आंखों के आगे अंधेरा छाना आदि सभी प्रकार के विकार संपूर्ण रूप से नष्ट हो जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति को आंखों का चश्मा लगा हुआ है तो सप्तामृत लौह का कुछ समय लगातार सेवन करने से चश्मा भी उतर जाता है। सप्तामृत लौह के बारे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यह आंखों के लिए रामबाण मेडिसन है।

आज हम इस लेख में आयुर्वेद की क्लासिकल मेडिसन सप्तामृत लौह के फायदे, नुकसान, घटक द्रव्य एवं सेवन विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे तो चलिए जानते हैं

सप्तामृत लौह

सप्तामृत लौह के घटक द्रव्य | Saptamrit Lauh Ingredients

  • हरड़
  • बहेड़ा
  • आंवला
  • मुलेठी
  • लोह भस्म

हरड़, बहेड़ा, आंवला और मुलेठी को कूटकर, कपङछान करके चूर्ण बना लें तथा लोहा भस्म सबको 1-1 भाग लेकर एकत्रित करके खरल में कूटकर सुरक्षित रख लें। इसे आप घर पर भी अपनी आवश्यकता अनुसार बना सकते हैं।

सप्तामृत लौह के घटक द्रव्य और बनाने की विधि के बारे में जानने के बाद अब हम इस के गुण व उपयोग के बारे में जानेंगे। तो चलिए जानते हैं-

सप्तामृत लौह के उपयोग | Uses of Saptamrit Lauh

  • सप्तामृत लौह मे त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) होने के कारण यह आंखों के लिए एक उत्तम दवा है। क्योंकि यह तीनों ही औषध द्रव्य नेत्र विकारों को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं।
  • सप्तामृत लौह के सेवन से जिन लोगों को नजदीक या दूर देखने में परेशानी हो या आंखें लाल रहती हो, आंखों में खुजली होती है, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना आदि विकार नष्ट हो जाते हैं।
  • मुलेठी के अंदर एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो इंफेक्शन को बढ़ने से रोकते हैं । सप्तामृत लौह में मुलेठी होने के कारण यह नेत्र रोगों को तो दूर करती ही है साथ ही में ऊर्ध्व जत्रुगत अर्थात गले से ऊपर उत्पन्न होने वाले रोगों में भी लाभदायक है। जैसे दांत, कान, गला और कंठ आदि में किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन और दर्द होने से रोकती है।
  • इसमें लौहे का प्रधान मिश्रण होने के कारण यह औषधि हमारे शरीर में रक्त को भी बढ़ाती हैं। जिससे एनिमिया से भी छुटकारा मिलता है।
  • इसको महात्रिफला घृत अथवा मधु में मिलाकर नियमित रूप से साल भर सेवन करने से नेत्रों की ज्योति बहुत अच्छी बढ़ जाती है। चश्मा लगाने की आवश्यकता भी मिट जाती है। कई रोगियों की जिनकी नेत्र दृष्टि कमजोर होने से चश्मा लगाना पड़ता था इसके सेवन से नेत्र की ज्योति बढ़कर चश्मा हटा देने के कई उदाहरण भी हमने देखे हैं।
  • सप्तामृत लौह में आंवला है जो बालों को झङने से तथा सफेद होने से रोकता है। इसके साथ – साथ यह हमारी जठराग्नि को भी प्रदीप करता है।
  • इसके सेवन से शरीर में काम शक्ति की वृद्धि होती है, मुख कांतिमय हो जाता है तथा बाल अत्यंत काले हो जाते हैं तथा साथ ही में यह रसायन शरीर में ताकत भी बढ़ाता है।

सप्तामृत लोहे की सेवन विधि

250 mg-500 mg की मात्रा में सुबह – शाम घी और शहद में मिलाकर चाटे तथा ऊपर से गाय या बकरी का दूध पीना बहुत लाभदायक होता है।

सप्तामृत लौह के नुकसान | Saptamrit Lauh Side Effects

इस आयुर्वेदिक दवा के कोई ज्ञात साइड इफेक्ट्स नहीं है | इसे अगर निर्धारित मात्रा में लिया जाये तो यह निश्चित रूप से लाभ ही देती है | हालाँकि अधिक मात्रा में सेवन करने पर सम्भावना है की कुछ सामान्य दिक्कते हो सकती है | जैसे सिरदर्द, सीने में जलन या जी मचलाना आदि |

सप्तामृत लौह से सम्बंधित सामान्य सवाल – जवाब | FAQ

सप्तामृत लौह क्या काम आती है?

यह नेत्र रोगों, आँखों की कमजोरी, बालों के झड़ने एवं एनीमिया रोगों में काम आती है |

सप्तामृत लौह के घटक क्या है?

हरड, बहेड़ा, आंवला, मुलेठी एवं लौह भस्म इसके घटक द्रव्य है |

सप्तामृत लौह कहाँ से खरीदें?

इसे आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन फार्मेसी वेबसाइट से खरीद सकते है |

सप्तामृत लौह की खुराक क्या है?

इसे 250 mg से 500 mg तक सुबह – शाम सेवन किया जाता है | अनुपान स्वरुप घी एवं शहद का इस्तेमाल किया जाता है |

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