मधु मालिनी वसंत रस क्या है ? – इसके फायदे, घटक एवं सेवन की विधि

मधु मालिनी वसंत रस आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसन है जो आयुर्वेद रसशाला द्वारा निर्मित की जाती है। यह सभी प्रकार के ज्वर के लिए आयुर्वेद की एक उत्तम मेडिसन है। ज्वर के साथ-साथ ज्वर के कारण शरीर में होने वाली दुर्बलता और खून की कमी को भी यह रसायन दूर करता है।

आज इस लेख में हम आपको मधु मालिनी वसंत रस क्या है, इसके फायदे, घटक द्रव्य और सेवन विधि के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार से देंगे तो चलिए जानते हैं मधु मालिनी वसंत रस क्या है

मधु मालिनी वसंत रस क्या है यह रस पुराने से पुराने ज्वर या अधिक दिनों तक रहने वाले ज्वर को नष्ट कर देता है l

मधु मालिनी वसंत रस

यदि मलेरिया ज्वर को दूर करने के लिए ज्यादा कुनैन की गोलियाँ खा ली हो, जिससे शरीर पीला या दुर्बल हो गया हो, पेट, आंखें, सिर आदि में जलन होती हो, प्यास ज्यादा लगती हो, पसीना अधिक आता हो , रात में कुछ हरारत भी हो जाती हो, भूख कम लगती हो और शरीर में शरीर में खून की कमी आ गई हो आदि लक्षण होने पर इस रसायन का उपयोग करने पर बहुत लाभ होता है।

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मधु मालिनी वसंत रस के घटक द्रव्य

  • शुद्ध हिंगुल
  • Khhrpr भस्म
  • बड़हर रस
  • मुर्गी के अंडे
  • Kchur का चूर्ण
  • सफेद मिर्च

आदि घटक द्रव्यों को मिलाकर मधु मालिनी वसंत रस तैयार किया जाता है। अब हम यहां आपको मधु मालिनी वसंत रस बनाने की विधि के बारे में जानकारी देंगे तो चलिए जानते हैं मधु मालिनी वसंत रस बनाने की विधि

निर्माण विधि – शुद्ध हिंगुल 8 तोला और खर पर भस्म 8 तोला लेकर दोनों को खरल में डालकर बड़हर रस की 7 भावना देकर छोटे-छोटे गोले बनाकर छाया में सुखा लें। सूखने के पश्चात बेरी की लकड़ी के कोयला की अग्नि पर लोहे की साफ कढ़ाई में गोले रखकर उनके साथ शुद्ध हिंगुल के बराबर अर्थात 8 तोला मुर्गी के अंडे भी कड़ाही में रखकर लोहे की चम्मच से बराबर चलाते रहे। जब मुर्गी के अंडे का द्रव गोले में सुख जावे एवं गोले फूट कर सारा द्रव एक होकर शुष्क हो जावे और अंडे के छिलके भी जलकर मुलायम हो जाए तब कड़ाही को नीचे उतारकर सम्पूर्ण दवा को निकालकर, खरल में डालकर, पीस कर, दवा से आधे परिमाण में क का चूर्ण और कchur के समान भाग ही सफेद मिर्च का चूर्ण मिलाकर पुनः बड़हर के रस की सात बार भावना देकर 1_1 रति के परिमाण की टिकिया बनाकर सुखाकर रख ले। मधु मालिनी वसंत रस तैयार है।

मधु मालिनी वसंत रस की मात्रा और सेवन विधि

एक एक गोली शहद ,सफेद जीरा के चूर्ण या दूध से दे ।

घटक द्रव्य, निर्माण विधि और सेवन विधि के बारे मे जानने के बाद अब हम मधु मालिनी वसंत रस के फायदों के बारे में जानेंगे कि यह कौन-कौन से रोगों में और किस प्रकार कार्य करता है तो चलिए जानते हैं

मधु मालिनी रस के फायदे | Benefits of Madhu Malini Vasant Ras

मधु मालिनी रस सभी प्रकार के ज्वर के लिए गुणकारी औषधि है। इसके साथ-साथ यह रस रक्त प्रदर, रक्तपित्त, अर्श, श्वास रोगों पुराना अतिसार तथा राजयक्ष्मा के विषैले कीटाणुओं का नाश करने वाला एवं बल वीर्य वर्धक भी है।

इसके अतिरिक्त गर्भिणी की कमजोरी और बच्चों के सूखा रोग के लिए भी यह बहुत श्रेष्ठ दवा है। राजयक्ष्मा की सभी अवस्था में यह रस अमृत के समान लाभकारी होता है और ज्वर के कारण शरीर में आने वाली कमजोरी को दूर करता है।

मधु मालिनी बसंत रस के गुण व उपयोग निचे देखें

पुराने ज्वर में

अधिक दिन तक लगातार ज्वर रहने से दोष (वात, पित्त, कफ) धातु में मिलकर उसे निर्बल करते हुए ज्वर उत्पन्न कर देते हैं। ऐसी दशा में रोगी कमजोर हो जाता है और कान्तिहीन हो जाता है, भूख नहीं लगती, अग्नि मन्द हो जाती है और धातु कमजोर हो जाती है। इन लक्षणों के दिखने पर मधु मालिनी वसंत के साथ छोटी पीपली चूर्ण तथा गुडुची सत्व या सितोपलादि चूर्ण के साथ मधु मिलाकर देने से फायदा होता है। इसका प्रधान कार्य रस वाहिनी नाड़ियों तथा लसिका ग्रंथियों पर होता है। रक्त कणों की वृद्धि में यदि कुछ बाधा देखने में आवे तो इस रसायन में मंडूर भस्म मिलाकर देना अच्छा है साथ-साथ अमृतारिष्ट या लोहासव भी देते रहें।

बच्चों की शारीरिक वृद्धि में

छोटे-छोटे बच्चों की शारीरिक शक्ति बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है । कफ वृद्धि के कारण, अग्नि मंद हो जाती है जिसके कारण रूचि पूर्वक दूध नहीं पीना, मंद – मंद ज्वर भी बना रहना, धीरे-धीरे कमजोरी बढ़ते जाना, शरीर में खून की कमी होना और हड्डियों की कमजोरी की वजह से चलने में असमर्थ होना आदि लक्षणों में मधु मालिनी वसंत का प्रयोग करने से लाभ होता है क्योंकि यह कफ और ज्वर को दूर करता है किंतु सबसे बड़ा काम यह करता है कि कैल्शियम की वृद्धि कर हड्डियों को मजबूत बनाता है और स्नायु की दुर्बलता को नष्ट कर देता है जिससे बच्चे पुष्ट हो जाते हैं और चलने फिरने लग जाते हैl

पाचन तंत्र की विकृति मे

वात और कफ की विकृति से जठराग्नि मंद हो जाती है। फल स्वरुप भोजन आदि का अच्छी तरह से पाचन नहीं हो पाता। फिर वायु का कोप विशेष हो जाने से पतले दस्त लगने शुरू हो जाते हैं। इसमें थोड़ा ज्वर होना, शरीर में दर्द, कुछ रोज के लिए दस्त कम हो जाते हैं परंतु थोड़ा भी भोजन करने पर नहीं पचता, खट्टी डकार आना आदि लक्षण होने पर बसंत रसायन का प्रयोग करना चाहिए। इससे प्रकुपित वात और कफ शांत हो जाते हैं और जठराग्नि की वृद्धि होकर पाचन क्रिया भी ठीक होने लगती है फिर धीरे-धीरे पतले दस्त भी आने बंद हो जाते हैं।

कमजोरी को दूर करने के लिए

मधु मालिनी बसंत रस में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। यह ज्वर के कारण आने वाली कमजोरी या कैल्शियम की वजह से शरीर में कमजोरी और विकृति को को जल्द ही दूर कर देता है क्योंकि यह हड्डियों को मजबूत करता है और स्नायु की दुर्बलता को भी नष्ट कर देता है। इस कारण शरीर में आने वाले हर प्रकार की कमजोरी को दूर करने के लिए मधु मालिनी वसंत रस का उपयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग वृद्ध, बच्चा, गर्भिणी और जवान सभी आयु वर्ग में हितकर होता है

गर्भपात रोकने के लिए उपयोग

यह रसायन गर्भिणी के ज्वर को दूर करता है तथा गर्भाशय एवं गर्भस्थ शिशु की भी रक्षा करता है। अधिक मासिक स्त्राव के कारण या प्रदर आदि रोगों के कारण गर्भाशय कमजोर हो जाता है जिससे वह अपना काम अच्छी तरह से नहीं कर पाता परिणाम स्वरूप गर्भाशय में बीज नहीं रुकता । यदि कभी संयोग से ठहर भी गया हो तो मुश्किल से दो-तीन महीने तक किसी तरह रहता है बाद में गर्भ गिर जाता है। किन्ही – किन्ही स्त्रियों को तो इसकी आदत सी पड़ जाती है । यदि गर्भ अधिक दिन तक रहता है तो गर्भिणी को बुखार आने लगता है ऐसी अवस्था में बच्चा पैदा हुआ तो वह कमजोर, दुर्बल, अल्पायु और रक्त हीन पैदा होता है। इन रोगों से रक्षा के लिए मधु मालिनी वसंत रस का उपयोग अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह रसायन गर्भाशय के सभी दोष मिटा देता है तथा गर्भिणी के ज्वर को दूर करता है जिससे हष्ट- पुष्ट बच्चा पैदा होता है।

पांडु तथा कामला रोग में

कई बार मलेरिया या अन्य बुखार को दूर करने के लिए उपयोग में ली गई गोलियों के कारण शरीर में अत्यधिक गर्मी उत्पन्न हो जाती है और शरीर मे पीलापन दिखाई देने लगता है। इसके साथ ही पेट ,आंखें ,सिर आदि में जलन होने लगती है और प्यास अधिक लगती है जिसके कारण शरीर दुर्बल हो जाता है और कई बार शरीर में खून की कमी भी हो जाती हैं। ऐसी अवस्था में मधु मालिनी बसंत रस का उपयोग बहुत लाभ देता है।

धातुगत ज्वर को दूर करने के लिए

आयुर्वेद का ऐसा सिद्धांत है, कि जैसे ज्वर वात, पित्त, कफ दोषों में मिलकर वात ज्वर, पित्त ज्वर और कफ ज्वर आदि लक्षण प्रकट होते हैं वैसे ही धातुओं में मिलकर धातुगत ज्वर के लक्षण उत्पन्न होते हैं। आयुर्वेद में धातुगत ज्वर को असाध्य माना गया है अर्थात ठीक नहीं होने वाला माना गया है परंतु फिर भी प्रारंभिक अवस्था में मधु मालिनी वसंत रस का उपयोग हितकर रहता है ।

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