आयुर्वेद चिकित्सा में वात, पित्त एवं कफ को त्रिदोष नाम से जाना जाता है | वात को आप वायु एवं आकाश महाभूत से मिलकर तैयार होने वाली प्रकृति कह सकते है | प्रकृति से अभिप्राय किसी भी व्यक्ति विशेष में इन तीनों दोषों के अनुपात से लगाया जा सकता है |
मनुष्य की प्रकृति गर्भाधान के समय ही निर्धारित हो जाती है | शुक्र एवं आर्तव के मिलन के समय जिस भी त्रिदोष का बला-बल रहता है उसी के अनुसार ही गर्भ की प्रकृति निर्धारित होती है एवं जन्म से लेकर मृत्यु तक यही प्रकृति मनुष्य की बनी रहती है |
यथा सुश्रुत संहिता में लिखा गया है कि
शुक्रशोणितसंयोगे यो भवेददोषोत्कट: |
सु. शा. 4/63
प्रकृतिर्जायेत तेन तस्या में लक्षण शृणु ||
इसी प्रकृति के आधार पर किसी व्यक्ति विशेष का पूरा शारीरिक या मानसिक स्वरुप निर्धारित होता है | अर्थात किसी भी व्यक्ति के त्वचा का रंग, स्वर, स्वाभाव, शारीरिक आयाम यथा लम्बाई, चौड़ाई अथवा मोटाई आदि प्रत्येक छोटी से छोटी व बड़ी से बड़ी बात का निर्धारण प्रकृति के माध्यम से ही होता है |
इसी प्रकृति के आधार पर व्यक्ति का व्यवहार, खान-पान, पसंद-नापसंद, रोग एवं स्वास्थ्य निर्धारित होता है | आज के इस लेख में हम आपको वात प्रकृति के बारे में बताएँगे कि वात प्रकृति के लक्षण क्या है एवं किसी कहते है |
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वात प्रकृति क्या है ? | What is Vata Prakruti ?
आयुर्वेद अनुसार जिस मनुष्य में वात दोष की प्रधानता होती है वह वातज प्रकृति कहलाती है | वात दोष गति के लिए जाना जाता है | यह दोष बायोलॉजिकल क्रियायों को संपादन करने में मदद करता है | वात को प्राण के रूप में भी जाना जा सकता है | यह अन्य दोषों के गति करने के लिए जिम्मेदार है |
पित्त एवं कफ दोष को गति करवाने में वात दोष की ही प्रधानता होती है | आयुर्वेद में कहा भी गया है कि वात दोष के बैगर दोनों दोष पंगु हो जाते है | वे शरीर में गति नहीं कर सकते |
वात प्रकृति वात दोष की प्रधानता लिए हुए रहती है | इसमें अधिकतर लक्षण वात दोष के कारण ही निर्धारित होते है | अत: वातज प्रकृति वाले मनुष्य में भी वात दोष के समतुल्य लक्षण दिखाई देते है |
चलिए जानते है वात प्रकृति के क्या लक्षण है |
वात प्रकृति के लक्षण | Identification of Vata Prakruti in the body
वात प्रकृति वाले मनुष्य में बहुत से लक्षण सामान्य रूप से दिखाई देते है | यहाँ हमने इसके संभावित एवं अधिकतर दिखाई देने वाले लक्षणों के बारे में बताया है | आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों में इन लक्षणों के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है कि कौनसे वो लक्षण है जो वातज प्रकृति वाले मनुष्य में दिखाई देते है |
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अगर आपकी प्रकृति वात है तो आपके शरीर में ये लक्षण दिखाई देंगे
- वात प्रकृति वाला मनुष्य दुबला – पतला एवं लम्बा होता है |
- इनका शरीर रुक्ष अर्थात रुखा होता है |
- व्यक्ति का स्वाभाव चंचल होता है इनका मन एक जगह नहीं लगता |
- वात प्रकृति वाले मनुष्य में अल्पबल होता है |
- आयुर्वेद अनुसार इस प्रकृति वाले व्यक्ति का स्वभाव कुत्ते एवं कौवे के समान होता है |
- वात प्रकृति वाले मनुष्य में चोरी का स्वभाव रहता है |
- इनकी आवाज धीमी होती है |
- ये अनर्गल बाते करते है |
- उतावलापन इनके कार्यों में देखने को मिल सकता है |
- इनको ठण्ड से अधिक समस्या होती है |
- इनके संतान भी कम ही होती है अर्थात ये कम संतान वाले होते है |
- वात प्रकृति वाले मनुष्य क्रिएटिव होते है एवं फ्लेक्सिबिलिटी इनका गुण होता है |
- ये जल्दी ही डर जाते है |
- इनके स्वभाव में संवेदनशीलता एवं शर्मीलापन होता है |
- बाल एवं त्वचा रुखी होती है एवं नाख़ून भी जल्दी टूटने वाले होते है |
ये उपरोक्त लक्षण है जो वात प्रकृति वाले मनुष्यों में देखने को मिलते है | अगले लेख में हम पित्तज प्रकृति एवं कफज प्रकृति के बारे में अवगत करवाएंगे |
धन्यवाद |