लवंगासव लौंग, पिप्पली, अगर एवं इलायची जैसे घटक द्रव्यों को संधान करके तैयार की जाने वाली आयुर्वेद की शास्त्रोक्त औषधि है | शास्त्रोक्त औषधियाँ वे दवाएं होती है जो आयुर्वेद के आर्ष ग्रंथो में वर्णित होती है | इस लेख में हम आपको लवंगासव आयुर्वेदिक दवा की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाने वाले है |
चलिए सबसे पहले जानते है कि लवंगासव के घटक क्या है एवं अन्य सामान्य जानकारियां |
दवा का नाम | लवंगासव |
दवा निर्माता कंपनी | राजवैद्य |
घटक | लौंग, पीपल, अगर, कालीमिर्च एवं इलायची, गुड़ |
उपयोग | पाइल्स, संग्रहणी (IBS), खून की कमी, प्लीहा एवं पेट के रोग |
सन्दर्भ ग्रन्थ | गद निग्रह |
लवंगासव के घटक | Ingredients of Lavangasav in Hindi
- लौंग
- पीपल
- अगर
- कालीमिर्च
- इलायची
- जल (क्वाथ निर्माण के लिए)
- गुड़ (संधान)
- धायफुल
लवंगासव के फायदे | Benefits of Lavangasav
अर्श: लवंगासव का प्रयोग अर्श अर्थात पाइल्स की समस्या में किया जाता है | यह पाचन को सुधारने का कार्य करती है साथ ही शरीर में कब्ज नहीं बनने देती | अत: अर्श में कठोर मल की समस्या को दूर करती है |
संग्रहणी: अर्थात इरेक्टाइल बाउल सिंड्रोम की समस्या में भी लवंगासव अत्यंत लाभदायक है | पाचन शोधन एवं आंत्र शोधन के गुणों से युक्त होने के कारण संग्रहणी रोग में लवंगासव फायदेमंद है |
एनीमिया: शरीर में रक्त की कमी होना एनीमिया कहलाता है | इसमें हिमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से निचे आ जाता है | एसी स्थिति में लवंगासव दवा का प्रयोग वैद्य सलाह अनुसार अन्य औषध योग जैसे लोहासव एवं लीवर को ठीक करने वाली औषधियों के साथ प्रयोग करवाया जाता है |
हृदयविकार: हृदय विकार में भी यह दवा अच्छा कार्य करती है | वैद्य सलाह से हृदय विकार जैसे तीव्र धड़कन एवं हृदय पीड़ा में सेवन की जा सकती है |
उदरविकार: पेट से सम्बंधित रोगों में लवंगासव बेहतर कार्य करती है | पेट दर्द, आफरा, गुल्म आदि रोगों में भी इसका प्रयोग अन्य औषधीय योगों के साथ किया जाता है |
कब्ज: कब्ज एवं गैस में लवंगासव का सेवन करने से लाभ मिलता है | यह पाचनतंत्र को सपोर्ट करती है पाचन को सुधार कर कब्ज नहीं बनने देती |
लवंगासव की सेवन विधि
इसका सेवन 10 से 15 मिली की मात्रा में सुबह – शाम बराबर जल मिलाकर किया जाना चाहिए | सेवन से पहले चिकित्सकीय सलाह लेना सर्वोपरि है |
हालाँकि इस दवा के कोई भी ज्ञात साइड इफेक्ट्स नहीं है | फिर भी निर्धारित मात्रा में ही सेवन करें अर्थात चिकित्सक द्वारा निर्देशित मात्रा में ही प्रयोग में लें | गर्भिणी स्त्रियाँ एवं बच्चे बिना चिकित्सक सलाह के सेवन न करें |
धन्यवाद |