विषतिन्दुक वटी (Vishtinduk Vati) के फायदे, घटक, निर्माण विधि एवं उपयोग हिंदी में जानें

विषतिन्दुक वटी: आयुर्वेद की शास्त्रोक्त औषधि है | शास्त्रोक्त का मतलब होता है कि वे औषधियाँ या दवाएं जिनकी निर्माण विधि एवं घटक द्रव्यों के बारे में पुरातन समय से ही आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है वे शास्त्रोक्त औषधियाँ कहलाती है | विषतिन्दुक वटी का वर्णन भी आयुर्वेदिक ग्रन्थ जैसे रसेन्द्र सार संग्रह आदि में मिलता है |

इस औषधि के निर्माण में कुचला का उपयोग होता है | कुचला को आयुर्वेद में भी विष वर्ग के द्रव्यों में गिना जाता है, लेकिन इस औषधि के निर्माण में सबसे पहले कुचला का शोद्धन किया जाता है ताकि इसके विष प्रभाव कम हो सकें | विषतिन्दुक वटी का उपयोग नर्वस सिस्टम के रोग, सर्वाइकल, कमर दर्द, जोड़ों के दर्द एवं समस्त वातशुलों में उपयोग किया जाता है |

इसका उपयोग बैगर वैद्य परामर्श नहीं करना | यह कमर दर्द, पेटदर्द, लकवा एवं स्वसन विकारों में उपयोगी है | अगर आप इसके फायदे, चिकित्सकीय उपयोग एवं निर्माण विधि जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा पढ़ें |

तो चलिए अब आप जान गएँ होंगे की विषतिन्दुक वटी क्या है एवं कौनसे रोगों में काम आती है | अब इसके घटक द्रव्यों एवं निर्माण विधि के बारे में जानते है |

यहाँ हमने इसके घटक एवं निर्माण विधि का वर्णन महज आपके ज्ञान वृद्धि के लिए किया है ताकि आम जन तक आयुर्वेद की दवाओं के बारे में फैली गलत अवधारणा दूर हो सके | किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के उपयोग से पहले वैद्य सलाह जरुर लेनी चाहिए |

विषतिन्दुक वटी के फायदे

बाजार में यह औषधि पतंजलि विषतिन्दुक वटी, बैद्यनाथ विषतिन्दुक वटी, झंडू विषतिन्दुक वटी आदि नामों से आसानी से उपलब्ध हो जाती है |

विषतिन्दुक वटी के घटक एवं निर्माण विधि

  1. शुद्ध कुचला
  2. एरंड तेल (पकाने के लिए)
  3. कालीमिर्च
  4. इन्द्रायण स्वरस

निर्माण विधि: इसका निर्माण शोद्धित किये हुए कुचला से होता है | सर्वप्रथम शुद्ध कुचला को एरंड तेल में भुना जाता है | अब भुने हुए कुचला के बराबर कालीमिर्च लेकर दोनों का चूर्ण बना लिया जाता है | इस चूर्ण को इन्द्रायण स्वरस के साथ लगभग 12 घंटे तक भावना देकर इसकी गोलियां बना ली जाती है | इस प्रकार से विषतिन्दुक वटी का निर्माण होता है |

विषतिन्दुक वटी एवं विषतिन्दुकादी वटी दोनों भिन्न है एवं इनका उपयोग भी भिन्न है अत: इन्हें अलग – अलग समझना चाहिए |

विषतिन्दुक वटी के फायदे इन हिंदी

इस औषधि का मुख्यत: प्रयोग सर्वाइकल दर्द, कमरदर्द, घुटनों का दर्द, पेटदर्द आदि में किया जाता है | आयुर्वेदिक चिकित्सक बड़ी ही सजगता से इस औषधि का प्रयोग बताते है | दर्द में यह तुरंत राहत देने वाली आयुर्वेदिक दवा है | नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) की कमजोरी में भी इस औषधि का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है |

इस दवा में शुद्ध किये हुए कुचले का ही प्रयोग होता है | अशुद्ध कुचला जानलेवा होता है | कुचला के बीजों में 13 प्रकार के एल्केलोइड मिलते है | ये एल्केलोइड मष्तिष्क को प्रभावित करते है एवं मांशपेशियों के संकुचन का कार्य करते है | हृदय को उत्तेजित करने वाली औषधि है अत: सिमित मात्रा में ही उपयोग करवाया जाता है |

विषतिन्दुक वटी के सेवन से फेफड़ों की कार्यशीलता भी बढती है | अत: श्वसन विकारों में भी इस औषधि के सेवन से फायदे मिलते है |

अम्ल के आदि व्यक्तियों को भी अम्ल छुड़ाने के लिए इस दवा का प्रयोग वैद्य करवाते है | क्योंकि यह समान मात्रा में लेने से अम्ल के समान ही नशा करती है एवं शरिर को नुकसान भी नहीं पहुंचाती |

पाचन को सुधारने में भी विषतिन्दुक वटी के फायदे इन हिंदी है | यह कब्ज को खत्म करती है एवं अग्निमंध्य अर्थात भूख की कमी को भी दूर करने का कार्य करती है |

हृदय को उत्तेजित करने एवं रक्तसंचार बढ़ाने के कारण इस दवा का प्रयोग वैद्य लोग low BP की समस्या में भी पूरी सजगता से करवाते है | क्योंकि अधिक मात्रा में सेवन से हाईबीपी की समस्या आ सकती है |

शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द हो तो यह तुरंत असर दिखने वाली औषधि है | साथ ही पक्षाघात अर्थात लकवे की समस्या में विषतिन्दुक वटी के प्रयोग करवाने से फायदा मिलता है |

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अगर आप कुचला के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानना चाहते है तो इस लेख को पढ़िए – कुचला औषधि की जानकारी

विषतिन्दुक वटी के चिकित्सकीय उपयोग | Clinical Uses of Vishatinduk Vati in Hindi

निम्न रोगों में इस दवा का चिकित्सकीय उपयोग किया जाता है |

  • पेट दर्द (Abdominal Pain)
  • कमर दर्द (Backache)
  • जोड़ों का दर्द (Joints Pain)
  • तंत्रिका तंत्र के विकार (Nervous System)
  • पक्षाघात चेहरा (Facial Paralysis)
  • पाचन विकार (Digestion Problem)
  • भूख न लगना (Loss of Appetite)
  • निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure)
  • हृदय की कमजोरी (weak heart)
  • बिस्तर में पेशाब करना (Urinating in Bed)
  • श्वसन तंत्र की कमजोरी (Respiratory Weakness)
  • अनिद्रा रोग (Insomania)

सावधानियां | Precaution

इस आयुर्वेदिक दवा का प्रयोग बिना वैद्य सलाह नहीं करना चाहिए | गर्भवती महिलाऐं एवं छोटे बच्चों को इस दवा का प्रयोग करना वर्जित है | जिन्हें बहुत तेज बुखार है एसे रोगी को भी विषतिन्दुक वटी का सेवन वर्जित बताया गया है | यह दवा कफ एवं वात को शमन करती है लेकिन पित्त को शरीर में बढाती है |

अत: जिन्हें पित्त की अधिक समस्या रहती है उन्हें वैद्य इसका सेवन करने की सलाह नहीं देते | विषतिन्दुक वटी का प्रयोग हमेंशा अनुभवी वैद्य की देख रेख में ही किया जाना चाहिए | क्योंकि औषधि की अधिक मात्रा शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकती है |

हालाँकि इसमें कोई भी मारक गुण शोद्धन के पश्चात नहीं बचते लेकिन निर्देशित मात्रा से अधिक लेना नुकसान दायक साबित हो सकता है |

धन्यवाद |

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