गुड़मार (Gymnema Sylvestris) – परिचय, पहचान, औषधीय गुण एवं उपयोग

गुड़मार (Gymnema Sylvestris) क्या है ?

इस औषधि को मधुनासिनी अर्थात मधुमेह को नष्ट करने वाली माना जाता है | प्राचीन समय से ही इस औषधि का उपयोग मधुमेह के लिए किया जाता रहा है | गुड़मार का शाब्दिक अर्थ भी गुड़ (मीठे) को खत्म करना होता है | लेकिन इसका कैदाव यह मतलब नहीं है कि इसके नाम को देखकर सीधे ही उपयोग किया जाए | बैगर चिकित्सकीय सलाह के प्रयोग करना सेहत के लिए अन्य समस्याएँ पैदा कर सकता है |

आजकल बाजार में गुड़मार की मांग बढ़ने से व्यापारी लोग इसके चूर्ण में मिलावट करने लगे है | बाजार में मिलने वाले अधिकतर गुड़मार चूर्ण में अन्य चूर्ण की मिलावट की जाती है ताकि मुनाफा बढाया जा सके | अत: योग्य चिकित्सक एवं फार्मेसी से ही इसका क्रय करना चाहिए ताकि रोग में लाभ मिले व अन्य शारीरिक नुकसान से बचा जा सके |

गुड़मार
क्रेडिट – rsmpb.in

परिचय – भारत के मध्य एवं उतरी क्षेत्रों में गुड़मार अधिक पैदा होती है | इसका पौधा लता रूपी होता है अर्थात यह बेल के रूप में होता है जो अन्य पौधों की सहायता से ऊपर फैलती है | यह बहुवर्षायु लता होती है जिसकी अनेक शाखाएं होती है | इसकी पतियाँ 3 से 8 इंच तक लम्बी एवं 2 से 4 इंच तक चौड़ी होती है | पतियाँ आगे से नुकीली एवं अंडाकार आकृति की होती है | गुड़मार के फुल आकार में छोटे एवं  पीले रंग के होते है | अगस्त एवं सितम्बर में लता पर फुल खिलते है एवं  दिसम्बर महीने में  फल तैयार होते है |

गुड़मार की पहचान

यह तो सर्वविदित है कि हमारा देश मिलावट खोरों से भरा पड़ा है | यहाँ पर किसी भी औषधि का सही मिल पाना मुश्किल है | गुड़मार के साथ भी यही खेल चल रहा है | बाजार में मांग बढ़ने  एवं मुनाफा बढ़ाने के लिए व्यापारी इसमें अन्य सस्ती वनस्पतियों का चूर्ण मिला देते है | गुड़मार चूर्ण को देखने से बिलकुल पता नहीं लगाया जा सकता कि यह मिलावटी है या शुद्ध |

वैसे इसकी पहचान करने का कोई सटीक तरीका नहीं है लेकिन गुड़मार की सबसे उत्तम परीक्षा यही हो सकती  है कि इसका एक पता खाकर ऊपर से गुड खाया जाए | यह गुड के स्वाद को बिल्कुल मिटटी की तरह कर देता है | जब तक इसका प्रभाव जीभ पर रहेगा तब तक गुड या शक्कर की मिठास का पता नहीं लगाया जा सकता |

गुड़मार के औषधीय गुण 

यह वनस्पति कड़वी, कसैली और शक्कर को नष्ट करने वाली होती है | सांप के काटे एवं अन्य विष को नष्ट करने वाली होती है | सर्पदंश में जड़ का सेवन एवं इसका लेप करना फायदेमंद होता है | यह जीभ के स्वाद ग्रहण करने की शक्ति को नष्ट कर देती है | पेशाब के साथ आने वाली शक्कर को रोकती है | खांसी, कुष्ठ, कीड़े, घाव को भरने वाली है | हृदय विकार, बवासीर, तीव्र प्रदाह एवं नेत्र विकारों को हरने वाले गुणों से युक्त होती है |

गुड़मार के फायदे एवं उपयोग 

  1. इसे अधिक मात्रा में लिया जाये तो यह अरुचि, दस्त और निर्बलता को पैदा करती है | उचित मात्रा में यह हृदय में रक्त के प्रवाह को उतेजित करती है | गर्भस्य की क्रिया को बढाती है यह रक्त में शक्कर की मात्रा को कर करती है | इसीलिए मधुमेह में  उपयोगी है |
  2. मधुमेह को नष्ट करने में यह बहुत ही प्रसिद्द औषधि है | चिकित्सक के परामर्शानुसार इसके पतों का सेवन करने से मधुमेह में आराम मिलता है | आयुर्वेदिक चिकित्सा में मधुमेह की चिकित्सा के लिए गुड़मार के साथ अन्य मधुमेह नाशक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है |
  3. डायबिटीज रोग की चिकित्सा के लिए आयुर्वेद में इसके सहयोग से गोलियों का निर्माण किया जाता है | गोली बनाने के लिए गुड़मार के पते 10 तोले, जामुन की गुठली 5 तोले एवं सुंठ 5 तोले – इन सभी को बारीक़ पीसकर कपद्छान कर लिया जाता है | अब इस चूर्ण को बारबार धिक्वार के रस में घोंटकर चार – चार रति की गोलियां बना लेना चाहिए | इनमे से तीन – तीन गोली दिन में तीन बार शहद के साथ देने से डायबिटीज में अच्छा परिणाम मिलता है | चिकित्सक के परामर्शानुसार महीने भर तक इसका सेवन करना चाहिए |
  4. इसकी पतियों का चूर्ण करके सुबह एवं शाम शहद के साथ चाटने से भी मधुमेह में आराम मिलता है |

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