पुनर्नवाष्टक क्वाथ – आयुर्वेद चिकित्सा में क्वाथ औषधियों का उपयोग रोग के शमनार्थ पुरातन समय से ही किया जाता रहा है | क्वाथ रूप में औषधि का सेवन तीव्र स्वास्थ्य लाभ देता है, तभी क्वाथ आयुर्वेद की प्रशिद्ध औषधियां होती है | पुनर्नवाष्टक क्वाथ का उपयोग भी पेट के रोग, शोथ एवं प्लीहा व्रद्धी में प्रमुखता से किया जाता है |
इस क्वाथ के निर्माण में पुनर्नवा के साथ कुल आठ औषध द्रव्यों का योग होता है तभी इसे पुनर्नवाष्टक क्वाथ पुकारा जाता है |
पुनर्नवाष्टक क्वाथ के घटक द्रव्य एवं निर्माण विधि
इस औषधीय क्वाथ के निर्माण के लिए निम्न आठ औषध द्रव्यों का उपयोग किया जाता है –
- पुनर्नवा – 1 भाग
- हरीतकी – 1 भाग
- निम्ब – 1 भाग
- दारुहरिद्रा – 1 भाग
- कुटकी – 1 भाग
- पटोल पत्र – 1 भाग
- गुडूची (गिलोय) – 1 भाग
- शुंठी – 1 भाग
इन सभी औषध द्रव्यों को समान मात्रा में लें एवं इनका यवकूट चूर्ण करलें | अच्छी तरह यवकूट करने के पश्चात सभी को आपस में मिलाने से पुनर्नवाष्टक क्वाथ का निर्माण होता है |
सेवन की विधि
पुनर्नवाष्टक का उपयोग 10 ग्राम की मात्रा में काढ़ा बनाकर करना चाहिए | काढ़े के निर्माण के लिए 250 मिली पानी में 10 से 15 ग्राम पुनर्नवाष्टक क्वाथ को डालकर तब तक उबाला जाता है जब तक पानी एक चौथाई न बचे | एक चौथाई पानी बचने पर आंच से उतार कर ठंडा करलें और छान कर प्रयोग में लें |
पुनर्नवाष्टक क्वाथ के चिकित्सकीय उपयोग
- सुजन
- पांडू (एनीमिया)
- कास
- पेट के रोग
- श्वास
- सुजन के साथ दर्द में
- जोड़ों के दर्द
- यकृत की व्रद्धी एवं प्लीहा व्रद्धी में उपयोगी
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