योगराज गुग्गुलु / yograj guggulu in hindi – गुग्गुलु कल्पना के तहत तैयार की जाने वाली यह आयुर्वेदिक औषधि वात व्याधि एवं आम दोष में प्रमुखता से उपयोग की जाती है | योगराज गुग्गुल गठिया, पाचन, आमवात, उदर कृमि एवं गुल्म आदि रोगों में भी प्रमुखता से प्रयोग की जाती है | यह शरीर की धातुओं को पौषित करके शरीर में बलवर्द्धन का कार्य भी करती है |
शुद्ध गुग्गुलु के साथ 27 अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूंटीयों के योग से योगराज गुग्गुलु का निर्माण होता है | गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द, वातव्याधि के कारण होने वाले दर्द एवं संधि वात में योगराज गुग्गुलु के उपयोग से बेहतर परिणाम मिलता है |
यहाँ हमने योगराज गुग्गुल के घटक द्रव्यों की जानकारी उपलब्ध करवाई है |
योगराज गुग्गुलु के घटक द्रव / Yograj Guggulu Ingredients
योगराज गुग्गुलु के निर्माण में निम्न औषधियों का प्रयोग किया जाता है |
- चित्रकमूल – 1 भाग
- यवानी – 1 भाग
- विडंग – 1 भाग
- पिप्पली मूल – 1 भाग
- कृष्ण जीरक – 1 भाग
- अजमोदा – 1 भाग
- श्वेत जीरा – 1 भाग
- देवदारु – 1 भाग
- चव्य – 1 भाग
- शुक्ष्मैला – 1 भाग
- सैंधव लवण – 1 भाग
- कुष्ठ – 1 भाग
- रास्ना – 1 भाग
- गोक्षुर – 1 भाग
- धनियाँ – 1 भाग
- हरीतकी – 1 भाग
- आमलकी – 1 भाग
- विभितकी – 1 भाग
- मुस्ता – 1 भाग
- शुंठी – 1 भाग
- पिप्पली – 1 भाग
- कालीमिर्च – 1 भाग
- उशीर – 1 भाग
- दालचीनी – 1 भाग
- तालिश्पत्र – 1 भाग
- तेजपत्र – 1 भाग
- यवक्षार – 1 भाग
- शुद्ध गुग्गुलु – 27 भाग
सहायक द्रव्य – गोघृत आवश्यकतानुसार |
योगराज गुग्गुलु बनाने की विधि / How to Make Yograj Guggulu ?
इसे बनाने के लिए सबसे पहले 1 से लेकर 27 तक की सभी जड़ी – बूटियों को अलग – अलग कूटकर चूर्ण कर लिया जाता है | चूर्ण को बिलकुल बारीक किया जाता है , इसके पश्चात 27 भाग शुद्ध गुग्गुलु में इन चूर्ण को मिलाकर एवं घी डाकार थोड़ी देर इमाम दस्ते में मर्दन किया जाता है ताकि योग थोडा मुलायम हो सके | इस मिश्रण को गुग्गुलु पाक करके भी मुलायम किया जाता है | गुग्गुलुपाक के लिए शुद्ध गुग्गुलु में थोडा पानी मिलाकर आग पर चढ़ा कर गुग्गुलपाक किया जाता है , इसके पश्चात इसमें घी मिलाकर थोडा कूटने से भी योग मुलायम हो जाता है |
योग को मुलायम इसकी गोलियां बनाने के लिए की जाती है | मुलायम होने के पश्चात इसकी 1 – 1 ग्राम की गोली बना ली जाती है | बाजार में यह औषधि पतंजलि, बैद्यनाथ, धुतपापेश्वर, डाबर एवं श्री मोहता आदि की उपलब्ध है |
सेवन की मात्रा – योगराज गुग्गुलु को 3 ग्राम की मात्रा में रास्नासप्तक क्वाथ, दशमूल क्वाथ या चिकित्सक के द्वारा निर्धारित रोगानुसार लिया जाता है |
योगराज गुग्गुलु के फायदे या उपयोग / Health Benefits of Yograj Guggulu in Hindi
योगराज गुग्गुलु का निम्न रोगों में प्रयोग किया जाता है | वैसे इस औषधि के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है, लेकिन फिर भी उपयोग से पहले चिकित्सक का परामर्श अवश्य लेना चाहिए |
- समस्त प्रकार की वातव्याधि में इसका प्रयोग किया जाता है |
- पाचन को ठीक करती है |
- जोड़ो के दर्द एवं गठियावाय में इसका उपयोग लाभदायक होता है |
- प्लीहा रोगों में भी इसका सेवन लाभदायक होता है |
- आमवात की उत्तम औषधि है |
- संधि वात में लाभदायक |
- कृमिरोग में योगराज गुग्गुल का सेवन किया जाता है |
- दुष्टव्रण (जटिल घाव) में उपयोगी |
- पेट के सभी रोगों में फायदेमंद होती है |
- अर्श अर्थात बवासीर की समस्या में भी आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका प्रयोग करवाते है |
- गुल्म रोग में उपयोगी |
- शारीरिक दौर्बल्य |
- पाचन संबंधी व्याधि में उपयोगी औषधि |
- भूख बढाने में भी सहायक औषधि |
- त्वचागत व्याधियों में भी अच्छे परिणाम देती है |
- सभी प्रकार के वात विकारों में लाभदायक औषधि |
धन्यवाद |