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बैक्टीरिया क्या होते है ? / What is Bacteria in Hindi ?
बैक्टीरिया का नाम सुनते ही लोगों को डर लगने लगता है | क्या बैक्टीरिया हमारे लिए घातक होते है ? नहीं | दरशल सभी बैक्टीरिया हमारे लिए घातक नहीं होते , इनमे से कुछ बैक्टीरिया ही होते है जो मनुष्य के लिए खतरनाक होते है अर्थात जिनसे हमें बीमार पड़ने का खतरा रहता है |
बैक्टीरिया एक कोशिकीय जीवाणु होते है | जिन्हें खुली आँखों से नहीं देखा जा सकता | इन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप का प्रयोग किया जाता है | ये हमारे आसपास वायु में , जमीन पर और यहाँ तक की हमारे भोजन में भी पाए जाते है | ये हमारी त्वचा पर , जुबान पर , पेट में , आंतो में , मुहं में भी उपस्थित रहते है | ये सभी हानिकारक या बीमार पैदा करने वाले नहीं होते, अधिकांश बैक्टीरिया हमारे लिए एवं प्रकृति के लिए लाभदायक होते है | जैसे हमारी आंतो में रहने वाले Bacteria रोगजनक जीवाणुओं को खत्म करके हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते है | साथ ही शरीर में एंजाइम और विटामिनों के पोषण और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते है |
बैक्टीरिया के प्रकार एवं इनसे होने वाली बीमारियाँ
बैक्टीरिया विभिन्न प्रकार के होते है | आज भी वैज्ञानिक नए – नए Bacteria की खोज कर रहे है अत: इनके सभी प्रकारों का वर्णन करना संभव नहीं है | इसलिए हमने कुछ सामान्य और महत्वपूर्ण Bacteria के प्रकारों एवं उनसे होने वाली बीमारियों का वर्णन किया है |
- कोकाई (Cocci)
- बेसिलाई (Bacilli)
- स्पाईरोकिट्स (Spirochaetes)
क्योंकि Bacteria को मुख्यत: तीन भागों में विभाजित किया जाता है | इन सभी प्रकारों में विभिन्न प्रकार के अन्य Bacteria आते है लेकिन उनका विभाजन उनके कार्यो एवं प्रभावों के आधार पर होता है | जैसे कोकाई समूह के Bacteria के विभिन्न पहलुओं के आधार पर इसे विभिन्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है |
1. कोकाई (Cocci) बैक्टीरिया क्या है एवं उससे होने वाली बीमारियाँ
इस प्रकार के जीवाणु गोलाकार, अंडाकार या राउंड शेप में होते है | इस प्रकार के जीवाणुओं को इनके बढ़ने के प्रकार पर अन्य विभिन्न भागों में बांटा जा सकता है | जैसे जब ये गुच्छों में या समूहों में बढ़ते है तब इन्हें स्टेफिलोकोकाई (Staphylococci) कहा जाता है एवं जब ये जोड़ों के रूप में बढ़ते है तो इन्हें डिप्लोकोकाई (Diplococci) Bacteria कहा जाता है |
इसी प्रकार से कुछ कोकाई को उनके द्वारा शरीर में होने वाली बीमारी के नाम से से भी जाना जाता है | जैसे फुफ्स्सों की सामान्य बीमारी जिसे न्युमोनिया कहते है , प्राय: कोकाई के कुछ निश्चित समूह के कारण होती है, जिन्हें “न्युमोकोकाई” कहते हैं | वहीँ कुछ कोकाई शरीर में बीमारी पैदा करने के साथ – साथ पीप भी बनाती है | उन्हें “पीपजनक जीवाणु” (Pyogenic Organisms) कहते है | निचे दी गई टेबल से आप विभिन्न कोकाई Bacteria के नाम , उसके प्रभाव एवं उनसे होने वाली बीमारियों के बारे में जान सकते है –
कोकाई बैक्टीरिया का नाम | शरीर पर प्रभाव | बीमारियाँ |
स्टेफिलोकोकाई | पीप बनाते है | तीव्र प्रदाह (जलन), फोड़े हो जाते है साथ ही घाव भी बनते है | | ब़ोईलस, कार्बनक्लस , इम्पिटाईगो, अस्थि के घाव जैसे – ओस्टियोओमाईलाइटिस, ओटाईटिस आदि | न्युमोनिया, सेप्टिसिमिया |
स्ट्रेप्टोकोकाई | तीव्र प्रदाह के साथ पीप एवं घाव बन जाता है | स्कारलेट बुखार, सेल्युलैटिस, तीव्र टोन्सीलाइटिस, ओटाईटिस मिडिया, मष्तिष्क की बुखार, न्युमोनिया एवं तीव्र बैक्टीरियल एंडोकार्डटिस आदि | |
न्युमोकोकाई | तीव्र प्रदाह के साथ पीप | लोबर एवं ब्रान्को प्रकार का न्युमोनिया, ओटाईटिस मिडिया, मेनिन्जाईटिस (मष्तिष्क की बुखार), पेरिटोनाईटिस आदि रोग | |
मेनिन्गोकोकाई | तीव्र प्रदाह के साथ पीप | मेनिन्जटाईटिस अर्थात मष्तिष्क की बुखार | |
गोनकोकाई | तीव्र एवं दीर्घ प्रदाह के साथ पीप | | गोनेरिया, गंभीर युरेथ्राईटिस, पुरुषों में प्रोस्टेट्राईटिस एवं स्त्रियों में तीव्र वेजाइनाइटिस एवं सल्पिजाइटिस रोग | |
2. बेसिलाई (Bacilli) बैक्टीरिया एवं इससे होने वाली बीमारी
बेसिलाई प्रकार के बैक्टीरिया गोलाकार होने की बजाय छड़ के आकार (Rod Shaped) के होते है | ये विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ जैसे – क्षय रोग, ड़ीफ्थिरीया, टाइफ़ाइड जैसे रोग पैदा करते है | इन्ही रोगों के आधार पर बेसिलाई बेक्टेरिया को विभिन्न भागों में विभक्त किया जाता है अर्थात बेसिलाई बैक्टीरिया को भिन्न भिन्न नामो से पुकारा जाता है |
निचे दी गई सारणी से आप बेसिलाई जीवाणुओं के प्रकार , उनके प्रभाव और बेसिलाई जीवाणुओं से होने वाली बिमारियों का संक्षिप्त विवरण मिलेगा –
बेसिलाई समूह के बैक्टीरिया का नाम | रोग प्रभाव | बीमारियाँ |
क्षयरोग बेसिलाई | विशिष्ट प्रकार का प्रदाह होता है , ट्यूबरकल्स बनते हैं जो अधिकतर टूट जाते है , घाव बनता है | | इससे कई प्रकार के क्षयरोग हो जाते है जैसे – फेफड़ों का क्षय रोग, ग्रंथिय क्षयरोग, अस्थियों का क्षयरोग आदि | |
कोलिफोर्म बेसिलाई | तीव्र प्रदाह के साथ पीप का बनना | पाइलाईटिस, सिस्ताइतिस, पेरीटोनाइटिस, मेनिन्जाईटिस एवं सूतिकावस्था के संक्रमण |
परट्युसिस बेसिलाई | तीव्र संकरामक बुखार जो फेफड़ों को प्रभावित करती है | | काली खांसी या कुकर खांसी |
डीफ्थीरिया बेसिलाई | स्थानिक घाव, डीफ्थीरिटिक झिल्ली पर प्रभाव | डीफ्थीरिया, टोक्सिन से एल्ब्युमिनुरिया एवं न्यूराइटिस आदि रोग हो जाते है | |
टाईफाईड बेसिलाई | संक्रामक बुखार के साथ तीव्र प्रदाह , रक्त में अधिक आक्रमण | टाईफाईड एवं एन्टरिक बुखार |
डिसेंट्री (पेचिस) बेसिलाई | तीव्र प्रदाह के साथ आन्तरिक मार्ग के घाव एवं टोक्सिन बनते है | | पेचिस रोग |
साल्मोनेलो बेसिलाई | आन्तरिक मार्ग का तीव्र प्रदाह एवं टोक्सिन का बनना | आहार विषाक्तता | |
इन्फ्लूएंजा बेसिलाई | तीव्र प्रदाह के साथ पीप | इन्फ्लूएंजा प्रमष्तिष्क बुखार |
टेटनस बेसिलाई | स्नायु कोशिकाओं पर विशेष प्रभाव पड़ता है एवं टोक्सिन बनते है | टेटनस रोग | |
3.स्पाईरोकिट्स बैक्टीरिया एवं बीमारी
यह बैक्टीरिया का सबसे अंतिम और महत्वपूर्ण समूह है | इस समूह के जीवाणु / Bacteria कोकाई या बेसिलाई समूह के जीवाणुओं से अधिक बड़े होते है | इनका शरीर कई जगह से मुड़ा (Curved) होता है | अन्य सभी प्रकार के समूहों से इस प्रकार के जीवाणुओं से कम बीमारियाँ होती है | लेकिन सिफलिस नामक बीमारी भी स्पाईरोकिट्स बैक्टीरिया के कारण होती है जो इसके समूह से होने वाली सबसे अधिक गंभीर बीमारी मान सकते है | स्पाईरोकिट्स बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों के लिए इस सारणी को देखें –
बैक्टीरिया का नाम | शरीर पर रोगात्मक प्रभाव | बीमारियाँ |
ट्रेपोनेमा पैलीडम | दीर्घ प्रदाह के साथ तन्तुमयता (Fibrosis), इससे होने वाले घाव के कारण हृदय, धमनियां और स्नायु उतक प्रभावित होते है | सिफलिस |
लेप्टोस्पाईरा इक्टेरोहेमरेजिया | टोक्सिन जो अधिकतर यकृत को प्रभावित करते है | | विल्स बीमारी अर्थात स्पाईरोकित्ल पीलिया |
बोरेलिया विन्सेंटाई | तीव्र प्रदाह और गले एवं मसूड़ों के घाव |
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