तृणपंचमूल क्वाथ चूर्ण के फायदे, नुकसान, घटक एवं सेवन विधि

तृणपंचमूल क्वाथ चूर्ण: यह एक प्रकार की शास्त्रोक्त औषधि है जो क्वाथ रूप में बाजार में उपलब्ध हो जाती है । इस क्वाथ का प्रयोग मूत्रविकार, पेशाब करते समय होने वाली जलन और दाह में किया जाता है । यह आयुर्वेदिक दवा बहुत ही लाभदायक है जो मूत्र संस्थान के विकारों को पूर्णत: ठीक कर देती है । आज के इस लेख में हम तृणपंचमूल क्वाथ चूर्ण के फायदे, इसके नुकसान, घटक और सेवन की विधि आदि के बारे में जानकारी देंगे ।

दवा का नाम:तृणपंचमूल क्वाथ चूर्ण
मैन्युफैक्चरर:Tansukha, Punarvasu Pharmacy etc
मूल्य:रू 440
प्रकार:क्वाथ
उपयोग: मूत्र विकार, जलन और दाह

तृणपंचमूल क्वाथ चूर्ण की सामान्य जानकारी | Trin Panchmool Kwath

तृणपंचमूल क्वाथ चूर्ण के फायदे

तृणपंचमूल क्वाथ चूर्ण एक शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक दवा है जो काढ़े के रूप में आती है । इस आयुर्वेदिक दवा का Reference “भैस्ज्य रत्नावली – मूत्रकृच्छ रोगाधिकार” से लिया गया है । अगर आप मूत्र मार्ग के संक्रमण, पेशाब में जलन या रूकावट से परेशान है तो यह दवा बहुत उपयोगी है । इसका निर्माण विभिन्न आयुर्वेदिक घटकों जैसे कुश घास, कांश, एवं सरकंडा आदि औषधीय घास इसमें उपस्थित हैं । जो उत्तम मूत्रल एवं मूत्र विकार नाशक हैं ।

इसे क्वाथ बनाकर प्रयोग में लिया जाता है । तृणपंचमूल क्वाथ का प्रयोग आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से प्रयोग कर सकते हैं । अब चलिए जानते हैं इसके घटक द्रव्य के बारे में

तृणपंचमूल क्वाथ चूर्ण के घटक द्रव्य | Ingredients of Trin Panchmool Kwath in Hindi

इसमें निम्न घटक द्रव्य उपस्थित होते हैं : –

कुश: कास: शरो दर्भ इक्षुस्चेति तृणोंभद्वाम ।
पित्तक्छ्रहरं पञ्चमुलं वस्ति विशोधनम ।।

भैस्ज्य रत्नावली
  1. कुश (desmostachya bipinnata): मूत्र सम्बन्धी विकारों में उपयोगी, पेचिस रोकने, एवं किडनी स्टोन में उपयोगी ।
  2. कांस (saccharum spontaneum): उल्टी, मानसिक रोग, एवं पेट के रोगों में फायदेमंद है ।
  3. मुंजा घास (saccharum munja): तंत्र बाधा में उपयोगी, एवं रोगों के नाश के लिए गले में बांधने में उपयोगी ।
  4. दर्भ (Imperata cylindrica): पीलिया रोग, मूत्र विकार, किडनी और बुखार में प्रयोग होता है ।
  5. गन्ना (Sugarcane): मीठा, शीतल, पित्त नाशक

तृणपंचमूल क्वाथ चूर्ण के फायदे | Benefits of Trin Panchmool Kwath

तृणपंचमूल क्वाथ चूर्ण के फायदे में हमने उपरोक्त भी आपको बता दिया है । यहाँ हम जिन भी रोगों में यह क्वाथ प्रयोग होता है एवं इसके फायदे होते हैं उनको हमने निचे बताया है –

  • यह मूत्र विकारों में उपयोग होता है ।
  • पेशाब में रूकावट या जलन की समस्या होने पर इस क्वाथ का प्रयोग किया जाता है ।
  • यह मूत्राशय को साफ़ करने का कार्य करता है ।
  • मूत्रसंक्रमण में भी तृण पंचमूल क्वाथ का प्रयोग करने से लाभ मिलता है ।
  • यह पेशाब के पीलेपन को ठीक करने में लाभदायक है ।
  • अन्य आयुर्वेदिक औषधीय योगों के साथ इसे लेने से पीलिया रोग में भी लाभदायक है ।

खुराक | Dosage

आमतौर पर इसे 10 ग्राम की मात्रा में ही सेवन किया जाता है । इस क्वाथ को 150 मिली से 200 मिली जल में मिलाकर इसे आंच पर गरम किया जाता है जब एक चौथाई जल बचे तब इसे आंच से उतार कर ठंडा करके 10 मिली की मात्रा में सेवन किया जा सकता है ।

हालाँकि रोग एवं रोगी की स्थति के आधार पर इसे कम या ज्यादा चिकित्सक निर्धारित कर सकते हैं । जितनी मात्रा आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक निर्धारण करते हैं उतनी ही मात्रा में ही सेवन करना चाहिए ।

संभावित नुकसान | Side Effects

इस औषधि का सेवन निर्धारित मात्रा में ही करें । अधिक मात्रा आपको नुकसान दिखा सकती है । अगर इसे अधिक मात्रा में लिया जाये तो सिरदर्द, गैस एवं पेट दर्द जैसे नुकसान हो सकता है । अत: इसका सेवन निर्धारित खुराक और सिमित समय के लिए ही किया जाना चाहिए । हालाँकि निर्धारित मात्रा में सेवन करने से इस औषधि के कोई भी ज्ञात साइड इफेक्ट्स नहीं हैं ।

धन्यवाद |

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