चुकंदर से हम सभी वाकिफ है | यह खून बढ़ाने वाला एक उत्तम आयुर्वेदिक आहार है | इसे हम सलाद, या ज्यूस के रूप में प्रयोग करते है | कई लोग इसकी सब्जी बनाकर भी खाते है | यह सौन्दर्य वर्द्धक एवं उत्तम स्वास्थ्य वर्द्धक औषधीय वनस्पति है | आज के इस लेख में हम आपको चुकंदर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाएंगे |
जैसे चुकंदर गर्म होता है या ठंडा, इसका सेवन कैसे किया जाता है | चुकंदर किन – किन रोगों में लाभदायक है एवं इसके औषधीय गुण धर्म क्या है आदि के बारे में बताएँगे |
चलिए सबसे पहले जानते है इसका वानस्पतिक परिचय
वानस्पतिक परिचय चुकंदर: इसे अंग्रेजी में Garden Beet (Beet Root) कहा जाता है | संस्कृत में रक्तग्रंजनम एवं चुकंदर का साइंटिफिक नाम Beta Vulgaris Linn. है | यह भारत में सभी प्रान्तों में उगाया जाता है | इसे सलाद एवं ज्यूस के लिए अधिक प्रयोग करते है |
रासायनिक संघठन की अगर बात की जाये तो इसकी जड़ में प्रोटीन, शर्करा, स्टार्च, विटामिन A, B, C, एवं कैल्शियम भरपूर मात्रा में मिलता है | अपने इन्ही गुणों के कारण यह स्वास्थ्य के लिए इतना लाभदायक है |
चुकंदर की तासीर गर्म होता है या ठंडा
चुकंदर की तासीर ठंडी होती है अर्थात आयुर्वेद अनुसार यह शीतल तासीर की वनस्पति है | इसके सेवन से शरीर में शीतलता आती है | पित्तज विकारों एवं उष्णता की समस्या में चुकंदर लाभदायक साबित होती है | यहाँ निचे हमने इसके औषधीय गुण कर्मों एवं तासीर को बताया है जिससे आप आसानी से चुकंदर गर्म होता है ठंडा को जान सकते है |
रस (Taste) | मधुर, तीक्षण |
गुण (Ay. Properties) | गुरु एवं ग्राही |
तासीर / वीर्य (Potency) | शीतल (ठंडा) |
विपाक (Effect after Digestion) | मधुर |
रोगप्रभाव (Disease) | पित्तवर्द्धक, रक्ताल्पता नाशक, बल्य |
यह चुकंदर ठंडा होने के कारण विभिन्न रोगों में अपने शीतल प्रभाव दिखाती है | इसे महिलाओं के रक्तस्राव, रक्त की कमी एवं नेत्रों के रोगों के लिए लाभदायक होता है |
चुकंदर के औषधीय गुण धर्म
- यह नेत्रों के लिए हितकर, मेद और कृमिनाशक होता है |
- यह गुणों में तीक्षण, ग्राही एवं पित्तवर्द्धक है |
- लाल चुकंदर महिलाओं के ऋतूस्राव को ठीक करने वाला एवं पुष्टिदायक है |
- सफ़ेद रंग का चुकंदर गुणों में मूत्रल होता है |
- चुकंदर के पत्र मूत्रल, विरेचक एवं सुजन को कम करने वाले होते है |
- इसके बीज कफ को निकालने वाले, काम्मोतेजक एवं महिलाओं के कष्टार्तव को ठीक करने वाले होते है |
- इसकी जड़ यकृत रोगों में फायदेमंद होती है |
चुकंदर के स्वास्थ्य लाभ क्या है ? (कौनसे रोगों में लाभदायक है) | किन रोगों में चुकंदर खाया जा सकता है
अर्धावभेदक: आधे सिर का दर्द अर्थात आधासीसी में चुकंदर का रस निकाल कर 1 से 2 बूंद नाक में डालने से आधे सिर का दर्द ठीक होने लगता है |
रूशी या डैनड्रफ़: इसका काढ़ा बनाकर सिर धोने से सिर की रुसी की समस्या दूर होती है | यह प्रयोग सिर में जुएँ होने पर भी लाभदायक है |
आँखों के लिए फायदेमंद: चुकंदर का सेवन करना आँखों के लिए लाभदायक होता है | इसकी जड़ का रस निकाल कर कनपटियों पर लगाने भर से नेत्राभिश्यंद रोग दूर हो जाता है |
मसूड़ों एवं दांतों के दर्द: इसके पतों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से दांतों का दर्द दूर होता है , मसूड़े मजबूत बनते है एवं मुंह के छालों में आराम मिलता है |
रक्ताल्पता: चुकंदर उत्तम रक्तवृद्धक वनस्पति है | इसके रस का सेवन करने से शरीर में रक्त की कमी दूर होती है | यह शरीर में नए रक्त का निर्माण करती है एवं महिलाओं में होने वाली रक्ताल्पता में लाभदायक सिद्ध होता है |
खांसी एवं कफज विकार: हालाँकि इसकी मूल शीतल है लेकिन चुकंदर के बीजों का प्रयोग आयुर्वेद में कफ निस्सारक (निकालने वाले) के रूप में किया जाता है | इसके बीजों का प्रयोग सभी कफज विकार जैसे खांसी, अस्थमा एवं जुकाम आदि में किया जाता है |
कान के रोग: कान में दर्द होने पर इसके पतों का रस निकालकर कर गुनगुना करके कान में डालने से कान के दर्द में राहत मिलती है |
उदरविकार: पेट के रोगों में भी चुकंदर लाभदायक है | इसके बीजों का चूर्ण बनाकर सेवन करने से पेट फूलना जैसी समस्या में तुरंत राहत मिलती है |
अर्श या बवासीर: चुकंदर के मूल एवं चूर्ण को घी के साथ लगातार 21 दिनों तक सेवन करने से अर्श में लाभ मिलता है | चुकंदर का क्वाथ बना कर प्रयोग नित्य रात्रि में करने से कब्ज दूर होती है एवं अर्श में आराम मिलता है |
सेवन का तरीका
इसका सेवन विभिन्न रूपों में किया जाता है | हमारे यहाँ इसका प्रयोग सलाद एवं ज्यूस के रूप में अधिक किया जाता है | गर्मियों में इसके ज्यूस का प्रयोग करने से यह शीतलता प्रदान करती है | अगर आपको इसकी मूल का सेवन करना है तो इसे आप सलाद, स्वरस निकालकर या पकाकर सेवन कर सकते है |
औषधीय सेवन में वैद्य सलाह से प्रयोग किया जाना चाहिए | जैसे अगर इसके बीजों का प्रयोग करना है तो उन्हें चूर्ण बनाकर प्रयोग में लिया जाता है | अगर पतों का प्रयोग करना है तो उनका काढ़ा बनाकर इसका सेवन किया जाता है |
चुकंदर के सेवन में सावधानियां क्या रखनी चाहिए ?
यह मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक नहीं है | मधुमेह के रोगी इसका प्रयोग न करें तो अच्छा है | लम्बे अन्तराल तक भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए | इसकी तासीर ठंडी होती है अत: चुकंदर के मूल का प्रयोग उन लोगों को नहीं करना चाहिए जिनकी प्रकृति कफज है |
क्योंकि यह शीतल होने के कारण कफज विकारों में नुकसानदायक होती है | लेकिन इसके बीजों का प्रयोग कफज विकारों में किया जाता है | सिर्फ मूल का प्रयोग ही कफज विकारों में निषेध है |
अत्यधिक मात्रा में प्रयोग करने से पेट में मरोड़ पैदा होती है | अत: उचित औषधीय मात्रा में ही इसका प्रयोग किया जाना चाहिए | आयुर्वेद चिकित्सा में इसके पतों , बीजों एवं मूल, तने सभी का इस्तेमाल रोगों के चिकित्सार्थ किया जाता है |