पुनर्नवारिष्ट के फायदे | Punarnavarishta uses in hindi

पुनर्नवारिष्ट के फायदे : आसव एवं अरिष्ट कल्पना की यह आयुर्वेदिक दवा लीवर की समस्या, खून की कमी, हृदय रोग, बढ़ी हुई सुजन एवं प्लीहा रोग में अत्यंत फायदेमंद औषधि है | यहाँ हमने इसके फायदे एवं गुणों के बारे में बताया है |

इस दवा का प्रभाव आयुर्वेद अनुसार लीवर, किडनी, प्लीहा एवं हृदय पर विशेष रूप से होता है | प्लीहा एवं यकृत में गड़बड़ी होने के कारण आई हुई सुजन एवं हार्ट की कमजोरी को यह दवा शीघ्र ही खत्म कर देती है | यह हृदय को ताकत प्रदान करने वाली दवा है |

इस दवा का मुख्य घटक पुनर्नवा है एवं पुनर्नवा को यकृत एवं गुर्दे के लिए रामबाण माना जाता है | अत: पुनर्नवारिष्ट भी इनके लिए महत्वपूर्ण साबित होती है |

चलिए सबसे पहले आपको इस दवा के घटक द्रव्यों के बारे में बताते है |

पुनर्नवारिष्ट के घटक द्रव्य | Ingredients of Punarnavarishta in Hindi

पुनर्नवारिष्ट के फायदे
क्रमांक | Sr. No.घटक का नाम | ingredientsमात्रा
01.सफ़ेद पुनर्नवा132 ग्राम
02.लाल पुनर्नवा 132 ग्राम
03. बला 132 ग्राम
04. अतिबला 132 ग्राम
05.आकनादी पाठा 132 ग्राम
06.गिलोय 132 ग्राम
07.चित्रक की जड़ 132 ग्राम
08. छोटी कटेली 132 ग्राम
09. अडूसा जड़ 132 ग्राम
10.जल 48 लीटर
11. गुड़ 9.6 किलो
12.शहद 1.5 किलो
13.नागकेशर 22 ग्राम
14.दालचीनी 22 ग्राम
15.इलायची बड़ी 22 ग्राम
16.काली मिर्च 22 ग्राम
17.सुगंधबाला 22 ग्राम
18.तेजपात 22 ग्राम

कैसे बनता है पुनर्नवारिष्ट | Manufacturing Process of Punarnavarishta

सफ़ेद पुनर्नवा से लेकर अडूसा की जड़ तक सभी जड़ी – बूटियों को लेकर कूटपीसकर पानी में डालकर क्वाथ तैयार कर लिया जाता है | जब जल एक चौथाई बचे तब इसे आंच से निचे उतार कर ठंडा कर लिया जाता है |

अब इसमें गुड़ एवं शहद ऊपर बताई गई मात्रा में मिलाकर महीने भर के लिए संधान के लिए निर्वात स्थान पर रख दिया जाता है |

अच्छी तरह संधान होने के पश्चात इसमें नागकेशर, दालचीनी, इलायची बड़ी, काली मिर्च, सुगंधबाला एवं तेजपत्र ऊपर बताई गई मात्रा में डालकर कुच्छ समय के लिए रख दिया जाता है | अंत में इसे छानकर काम लेते है |

इस प्रकार से पुनर्नवारिष्ट का निर्माण होता है |

चलिए अब जानते है इसके फायदों के बारे में |

पुनर्नवारिष्ट के फायदे | Punarnavarishta Uses in Hindi

खून की कमी में फायदेमंद : पुनर्नवारिष्ट के फायदे एनीमिया रोग में प्रभावी है | इसे रक्त की कमी की समस्या में आयुर्वेदिक चिकित्सक उपयोग करना बताते है | यह शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या को बढ़ा कर रक्त की कमी को दूर करता है |

फैटी लीवर में पुनर्नवारिष्ट के फायदे : यकृत से सम्बंधित अधिकतर समस्याओं में इस आयुर्वेदिक सिरप का सेवन फायदेमंद रहता है | यह लीवर के सभी विकारों में फायदेमंद साबित होती है | नियमित चिकित्सा निर्देशित मात्रा में सेवन करने से लाभ मिलता है |

गुर्दे के रोगों में : किडनी को सुचारू रूप से कार्य करने में यह दवा मददगार साबित होती है | अगर गुर्दे में सुजन आदि की समस्या है तो इसके शोथ नाशक गुण सुजन को कम करते है | वैद्य सलाह से गुर्दे की सुजन में सेवन फायदेमंद रहता है |

सुजन में पुनर्नवारिष्ट के फायदे : शोथहर गुणों के कारण यह आयुर्वेदिक दवा शरीर में बढ़ी अतिरिक्त सुजन को कम करने का कार्य करती है | लीवर, स्पलीन, किडनी आदि अंगो की सुजन में आयुर्वेदिक चिकित्सक इसको प्रेस्क्रिब करते है |

हृदय विकारों में फायदेमंद : पुनर्नवारिष्ट को हृदय को बल देने वाली औषधि माना जाता है | यह रक्त धमनियों की कमजोरी को दूर करती है एवं हृदय के सामान्य विकारों को दूर करती है |

शरीर को Detoxifi करने में सहायक : यह दवा शरीर से दूषित विकारों को मूत्र मार्ग से बाहर निकालने में सहायक है | इसके दीपन-पाचन एवं मूत्रल गुण शरीर में स्थित विकारों को शरीर से बहरन निकालने में सहायक होते है |

पाचन में भी फायदेमंद है पुनर्नवारिष्ट : यह क्लासिकल आयुर्वेदिक फार्मूलेशन दीपन एवं पाचन गुणों से युक्त है | अत: शरीर में आमपाचन का कार्य करती है | शरीर में स्थित वात वृद्धि को भी कम करने का कार्य करती है |

कब्ज में पुनर्नवारिष्ट के फायदे : अपने दीपन पाचन गुणों के कारण कब्ज को खत्म करने का कार्य भी करती है | यह मल बंद की समस्या को दूर करने में सहायक औषधि है |

शाखागत वायु को दूर करने में भी यह औषधि बहुत अधिक फायदेमंद है | रक्त की कमी में इसके साथ सरवाद्यारिष्ट के साथ पुनर्नवारिष्ट का सेवन करने से शरीर में नया खून बनने लगता है |

पुनर्नवारिष्ट के चिकित्सकीय उपयोग | Clinical Benefits of Punarnvarishta in Hindi

निम्न रोगों में इसके चिकित्सकीय उपयोग किये जाते है –

  • एनीमिया
  • लीवर विकृति
  • स्पलीन विकार
  • किडनी विकार
  • शोथ (सुजन)
  • पीलिया (Jaundice)
  • शरीर में दर्द की समस्या
  • भूख की कमी
  • हलिमक रोग
  • उदर रोग

सामान्य सवाल – जवाब / FAQ Regarding Punarnvarishta

क्या पुनर्नवारिष्ट शास्त्रीय औषधि है ?

जी हाँ पुनर्नवारिष्ट शास्त्रोक्त औषधि है |

पुनर्नवारिष्ट का सेवन कैसे करें ?

इसका सेवन 10 से 20 मिली की मात्रा में बराबर जल मिलाकर वैद्य सलाह अनुसार करना चाहिए |

पुनर्नवारिष्ट के फायदे क्या है ?

यह लीवर, किडनी, स्प्लीन, कब्ज, एनीमिया, सुजन, पीलिया रोग, भूख की कमी आदि में फायदेमंद औषधि है |

क्या इसमें अल्कोहल होती है ?

आयुर्वेद की सभी आसव – अरिष्ट की दवाओं में स्वयं से निर्मित 5 से 7 % तक अल्कोहल होती है |

पुनर्नवारिष्ट के नुकसान क्या है ?

इसके कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है | लेकिन इसका सेवन निर्देशित मात्रा से अधिक नहीं करना चाहिए |

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