निर्गुंडी तेल – आयुर्वेद में निर्गुंडी के तेल का बहुत महत्व है। निर्गुंडी एक पौधा होता है जिसके पत्तों और जड़ से तेल तैयार किया जाता है यह तेल समस्त प्रकार के वात रोगों में उपयोगी दवा है। इसके साथ ही यह अनेक रोगों में उपयोग में लिया जाता है इस कारण निर्गुंडी के तेल को आयुर्वेद में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
आयुर्वेद में निर्गुंडी के तेल को जीवन रक्षक कहा जाता है अर्थात यह मनुष्य के जीवन की रक्षा करके अर्थात उसके सभी रोगों को दूर करके उसके शरीर को निरोगी बनाता है और उसे स्वस्थ जीवन जीने में सहायता करता है। निर्गुंडी के तेल का उपयोग बाहरी और आंतरिक दोनों रूप से किया जाता है।
निर्गुंडी एक पौधा है जो भारत में विशेष कर सभी जगह उपलब्ध है क्योंकि भारत में विशेष कर इसकी खेती भी की जाती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको निर्गुंडी तेल के बारे में सभी जानकारी विस्तार पूर्वक देंगे की किस प्रकार निर्गुंडी के पौधे से तेल तैयार किया जाता है और वह हमारे लिए कितना फायदेमंद है। तो चलिए जानते हैं
निर्गुंडी के पौधे की पहचान
निर्गुंडी का पौधा भारत में सभी जगह पाया जाता है इसके फूल सफेद, नीले और काले रंग के होते हैं परंतु सफेद फूलों को ही औषधि रूप में उपयोग किया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है। हिंदी में निर्गुंडी, संभालू या समहालू के नाम से भी जाना जाता है। निर्गुंडी के पौधे की ऊंचाई ज्यादा नहीं होती है। यह कम ऊंचाई वाला ही पौधा होता है।
निर्गुंडी तेल क्या है?
समहालू/निर्गुंडी की ताजी जड़ (शाखा) और ताजे पत्तों को कूटकर यंत्रों की मदद से निकाला गया रस और उसमें तिल तेल मिलाकर विधि विधान से तैयार किया हुआ रस निर्गुंडी का तेल कहलाता है। कुछ लोग निर्गुंडी के तेल को नीम का तेल समझते हैं परंतु ऐसा नहीं है निर्गुंडी का तेल और नीम के तेल में बहुत अंतर है।
निर्गुंडी तेल के घटक द्रव्य
किसी भी तेल को बनाने के लिए उसमें उपयोग में ली जाने वाली औषधि या सामग्री को उसके घटक द्रव्य के नाम से जाना जाता है तो चलिए अब जानते हैं हम निर्गुंडी के तेल को बनाने के लिए किन-किन द्रव्यों का उपयोग किया जाता है-
- निर्गुंडी की जड़
- निर्गुंडी के पत्ते
- सूरजमुखी का तेल
- तिल का तेल
निर्गुंडी के तेल के फायदे
आयुर्वेद के अनुसार निर्गुंडी का तेल वात नाशक होता है अर्थात शरीर से वायु को बाहर करने वाला होता है और ज्यादातर रोग हमारे शरीर में अर्थात दर्द हमारे शरीर में वायु के बढ़ने के कारण होता है। इस तेल के उपयोग से हमारे शरीर में वायु का प्रभाव कम हो जाता है जिसके कारण कुछ दर्द तो अपने आप ही चले जाते हैं। इसके अतिरिक्त निर्गुंडी का तेल अनेक रोगों में फायदे पहुंचना है जो इस प्रकार है-
- निर्गुंडी का तेल वायु के कारण शरीर में होने वाले दर्द को दूर करता है।
- निर्गुंडी के तेल का उपयोग करने से बांझ स्त्री को जल्द ही गर्भधारण होता है।
- यह तेल हमारे शरीर में सभी प्रकार के जहर के प्रभाव को काम करता है। यह जहर चाहे तो कीट पतंगों के कारण उत्पन्न हुआ हो या किसी अन्य कारण से उत्पन्न हुआ हो।
- यह तेल सभी प्रकार के कुष्ठ रोगों में उपयोगी तेल है।
- कुष्ठ रोग के कारण शरीर पर होने वाले अनेक प्रकार के सफोट और घावों को निर्गुंडी का तेल जल्द ही दूर कर देता है।
- निर्गुंडी के तेल के सेवन से गंडमाला अर्थात गले के पास होने वाली गांठों से भी जल्द ही छुटकारा मिलता है।
- कई बार कान में किसी प्रकार की फुंसी या किसी अन्य कारण से मवाद आना शुरू हो जाती है और कान दर्द भी बहुत पुराने समय से हो तो उसमें निर्गुंडी का तेल बहुत ही आश्चर्यजनक लाभ देता है।
- घुटनों के दर्द, कमर दर्द या शरीर के बाहरी और आंतरिक दोनों ही प्रकार के दर्द में निर्गुंडी का तेल आश्चर्यजनक लाभ देता है।
- निर्गुंडी का तेल हमारे शरीर में कफ के कारण उत्पन्न रोगों को भी शरीर से बाहर करता है।
- शरीर के किसी बाहरी हिस्से पर किसी चोट या अन्य किसी कारण उत्पन्न सूजन को भी निर्गुंडी का तेल जल्द ही दूर कर देता है।
- निर्गुंडी का तेल एक दर्द निवारक तेल है। शरीर के किसी भी हिस्से पर होने वाले दर्द में इसका उपयोग करने से जल्द ही दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
- गठिया जैसे भयानक रोग में भी निर्गुंडी के तेल की मालिश करने पर आराम मिलता है।
कैसे करें? निर्गुंडी के तेल का उपयोग
- निर्गुंडी के तेल का उपयोग आप बाहरी और आंतरिक दोनों रूप से कर सकते हैं।
- वायु के कारण शरीर में होने वाले किसी भी प्रकार के दर्द पर इसकी मालिश करके इस तेल का उपयोग किया जा सकता है।
- कई बार शरीर में वायु बढ़ाने के कारण पूरे शरीर में दर्द होने लगता है ऐसी स्थिति में आप इस तेल को गर्म करके एक-एक चम्मच दिन में दो बार पीने से भी थोड़े ही दिनों में शरीर से वायु बाहर निकल जाती है और शरीर में होने वाले सभी प्रकार के दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
- कई बार कान में मवाद होने के कारण लंबे समय तक दर्द रहता है। यह दर्द वर्षों तक चलता रहता है।ऐसी स्थिति में पुराने से पुराने कान के रोग को इस तेल के उपयोग से ठीक किया जा सकता है। आप कुछ ही मात्रा में निर्गुंडी के तेल को गर्म करके कान में दो बूंद दिन में दो बार डालने से मवाद निकलना बंद हो जाएगी और दर्द में भी जल्द ही राहत देखने को देखने को मिलेगी।
- इस तेल के उपयोग से शरीर पर होने वाले सभी प्रकार के घाव दूर हो जाते हैं।
- यदि कोई जहरीला जानवर काट जाए तो इस तेल को गर्म करके रोगी को पिलाने से जहर का प्रभाव जल्द ही कम हो जाता है। या काटे गए स्थान पर इस तेल की मालिश करने पर भी प्रभाव देखने को मिलता है।