धन्वंतरि के 10 आयुर्वेदिक नुस्खे | Dhanvantari Krita 10 Ayurvedic Nuskhe

धन्वंतरि के आयुर्वेदिक नुस्खे के लिए हमने धन्वन्तरी कृत आयुर्वेदिक निधन्टू से हमने विभिन्न रोगों के लिए प्रशिद्ध धन्वन्तरी के 50 से अधिक नुस्खों को यहाँ आपके लिए उपलब्ध करवाया है |

ये धन्वंतरि के नुस्खे जनसामान्य के साथ – साथ वैद्यों के लिए भी उपयोगी है | इन नुस्खों को अपनाने से पहले जड़ी – बूटियों एवं उनके गुणों का भी थोडा बहुत ज्ञान सभी को होना चाहिए |

क्योंकि अगर हमने किसी नुस्खे के लिए आपको किसी जड़ी बूटी के बारे में बताया और आप उससे अनभिज्ञ है तो वह नुस्खा भी आपके लिए उपयोगी नहीं होगा |

अत: सर्वप्रथम अगर आप आयुर्वेद के इन नुस्खों को अजमाना चाहते है तो निर्देशित जड़ी – बूटियों के बारे में आप हमारी वेबसाइट से विश्वसनीय जानकारी पढ़ लें |

धन्वंतरि के आयुर्वेदिक नुस्खे

यहाँ आपको अधिकतर सभी जड़ी बूटियों के लेख उपलब्ध हो जायेंगे | ऊपर दिए गए सर्च बॉक्स में वांछित जड़ी बूटी का नाम लिखें आपको उससे सम्बंधित लेख दिखाई देगा | उस पर क्लिक करके ज्ञान वर्द्धन कर लें |

धन्वंतरि के आयुर्वेदिक नुस्खे 10 से अधिक पढ़ें यहाँ

इन नुस्खों का प्रयोग करने से पहले रोग की परीक्षा अच्छे से कर लेनी चाहिए | कि आमुख रोग आपको है या नहीं | दूसरा सबसे महत्वपूर्ण यहाँ बताये गए नुस्खों में वर्णित जड़ी बूटियों का पहले पंसारी के यहाँ अच्छी तरह देख कर ही खरीदना चाहिए | बहुत पुरानी, कीड़े लगी या नकली घटक का प्रयोग नहीं करना चाहिए |

यहाँ हमने रोग अनुसार 10 नुस्खे बताएं है –

1. वात ज्वर के धन्वंतरी नुस्खे:

  • बेलगिरी, श्योनाक, कुम्भेर, पाढल, अरणी, खिरेंटी, रास्ना, कुलथी और पुष्करमूल इन 9 आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को समान मात्रा में लेकर इनको कूट कर काढ़ा बना कर प्रयोग करने से वात ज्वर, घुटनों के दर्द एवं सिर के कम्पने में आराम मिलता है |
  • सोंठ, नीम की छाल, धमासा, पाढ़, कचूर, अडूसा, अरण्य की जड़ और पुष्करमूल इन सभी औषधीय जड़ी – बूटियों को समान मात्रा में मिलाकर | इनको कूट छान कर यवकूट कर लें | इसे जल के साथ उबाल कर जब जल चौथाई बचे तो आंच से उतार कर काढ़े का प्रयोग करने से वात ज्वर नष्ट होता है |

2. विषम ज्वर के लिए धन्वंतरी के नुस्खे:

  1. विषम ज्वर के लिए धन्वंतरी ने बताया है कि षोढशान्ग चूर्ण का प्रयोग करना चाहिए | इसे बनाने के लिए चिरायता, हरड, नागरमोथा, कटेरी, त्रायमान, सौंठ, जवासा, कुटकी, वाटयाल (चिकना), बला, कचूर, पीपल, परवल, कटेरी, नेत्रबाला, पीपलामूल और पित्तपापड़ा – इन सब को कूट छान कर चूर्ण बना लें | इसे दिन में तीन बार 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से विषम ज्वर उतर जाता है |
  2. गुडूची मोदक: उत्तम गिलोय का कपडे में छना हुआ चूर्ण 100 तोले, गुड़ 16 तोले, शहद 16 तोले, घी 16 तोले – इन सबको एक जगह मिलाकर लड्डू बना लें | अपनी अग्नि के बलाबल का विचार करके इसको खाएं | इसके साथ हल्का एवं लाभदायक भोजन करें | इसका सेवन करने वाले को कोई रोग नहीं होता, न बुढ़ापा आता है | न बाल सफ़ेद होते है एवं विषम ज्वर भी तुरंत उतर जाता है |

3. मलेरिया ज्वर का धन्वंतरी नुस्खा:

मलेरिया गन्दगी से एवं मछरों से उत्पन्न होने वाला रोग है इसके लिए धन्वातरी कृत निम्न नुस्खा फायदेमंद है –

  1. नीम की छाल, करंजुए के पते, नारंगी का छिलका – प्रत्येक औषधि 6 – 6 ग्राम लेकर, पाव भर जल में पकाएं | जब चौथाई जल बचे तब इसे आंच से उतार कर इसे छान लें | इसमें 1 तौला मिश्री मिलाएं और रोगी को पिलायें | इस नुस्खे को ज्वर चढ़ने से पहले, 4 – 4 घंटे पर दिन में दो बार पिलाने से मलेरिया रोग नष्ट होता है |
  2. अभ्रक भस्म 1 माशा, लौह भस्म 1 भस्म, पीपल 2 माशे और करंजुए की मींगी 2 माशे लेकर इन सभी को एकत्र कर निम्बू के रस में खरल करके, एक – एक रति की गोलियां बना लें | ज्वर चढ़ने से 6 घंटे पहले रोगी को पिलायें | दिन में दो से तीन बार पिलाने से मलेरिया नष्ट होता है |

4. सर्वरोग नाशक नुस्खे

  1. सूर्योदय से पूर्व उठें | बिस्तर पर गहरी – गहरी पांच सांस लें, फिर ताम्बे के पात्र में रखा जल, ताम्बे के ही पात्र से जितना पी सकते है | उतना पियें, फिर उतर कर कुछ देर टहलें, तब शौचादि से निवृत हों |
  2. धन्वंतरी अनुसार आप जिस भी इष्ट को मानते हैं, उनके सामने उत्तर की और यह पूर्ण की ओर मुख करके बैठकर सामने घी का दिया जलाएं | जिसमे कपूर मिला हो | दीपक की लौ में अपने इष्ट का ध्यान करें | पूर्ण एकाग्रता प्राप्त करने का प्रयत्न करें उनके भाव और दीपक की लौ में उनकी छवि देखते हुए लिन हो जाएँ | इस प्रकार से नित्य अगर आप करने लगे तो आपमें असीम अलौकिक शक्तियां का संचार होगा एवं सभी रोग नष्ट होंगे |

5. श्वांस रोग के लिए धन्वंतरी के नुस्खे:

  1. यदि गले में कफ की घरघराहट हो, यानि कफ का जोर हो, तो अदरख का रस निकालकर उसमे 2 चावल या 4 चावल या 1 ही चावल भर कस्तूरी घोट कर पिलाने से बहुत लाभ होता है | जब तक श्वांस न दबे तब तक कस्तूरी की हलकी मात्रा दिन एवं रात्रि में 3 से 4 बार अदरख के रस में पिलानी चाहिए |
  2. सोंठ को तवे पर अध्भूंजी करके और उसको महीन ;पीस कर छाती पर मलने से श्वांस में बहुत लाभ मिलता है |

6. हिचकी रोग के लिए धन्वंतरी के आयुर्वेदिक नुस्खे:

  1. हिंग और उड़द को पीसकर बिना धुंए के अंगारे या लाल कोयलों पर डाल कर धुनी देने से पांचो प्रकार की हिचकियाँ बंद हो जाती है |
  2. खाली शहद चाटने से भी हिचकी में आराम मिलता है |
  3. सोंठ, धाय के फुल और पिप्पल – इन तीनों का चूर्ण 4 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से हिचकी में आराम मिलता है |

7. खांसी में धन्वंतरी के आयुर्वेदिक नुस्खे:

  1. निशोथ, धतूरे की जड़, त्रिकुटा, और मनैशिला – इन सबको एकत्र पीसकर कपड़े पर लेप कर दें, सूखने पर चिलम में रखकर इसका धुंवा पियें | इस उपाय से 3 दिन में खांसी खत्म हो जाती है |
  2. बहेड़ा और पीपल का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से सब प्रकार की खांसी ख़त्म हो जाती है |

8. कब्ज में धन्वंतरी के आयुर्वेदिक नुस्खे:

  1. यदि कब्ज पुरानी हो एवं 2 से 3 दस्त करवाने हो तो चार तोले त्रिफला को आधासेर जल में रात को भिगो दें | सुबह मिटटी की हांड़ी में ओटायें चौथाई पानी रहने पर उतार लें और शीतल होने पर मल छान कर 1 तोला गुलकंद मिलाकर पिलाने से कब्ज खत्म हो जाती है |
  2. अजीर्ण ज्वर में कब्ज हो तो हरड, अमलतास, कुटकी, निशोथ और आमला – इन सबको बराबर – बराबर ले कर और काढ़ा बनाकर पिलायें | इससे तत्काल मलबंध एवं दस का कब्ज शांत होता है |

9. अजीर्ण रोग में धन्वंतरी के आयुर्वेदिक नुस्खे:

  1. पाचक पिप्पली – निम्बू के रस में सेंधा नमक मिलाकर, उसमे पीपलों को चार दिन तक भिगो दें | उसके बाद निकाल कर छाया में सुखा लें और शीशी में रख दें | उनमे से दो चार पीपल रोग खाने से भोजन पचता, अजीर्ण नष्ट होता और मुंह का स्वाद अच्छा होता है |
  2. राजवटी – सोंठ 4 तोले, शुद्ध गंधक 2 तोले और सेंधा नमक 1 तोला – इन सबको कूट पीसकर निम्बू के रस में घोट कर, गोलियां बना लें | इन गोलियों को अजीर्ण, विदग्धजीर्ण और विशुचिका एवं अजीर्ण में आराम मिलता है |

10. बवासीर के लिए धन्वन्तरी कृत नुस्खे:

  • काले तिलों का चूर्ण, नागकेशर और मिश्री इन सबको पीसकर मक्खन में मिलाकर खाने से पित्तज बवासीर में लाभ मिलता है |
  • अदरख का काढ़ा नित्य पीने से कफज बवासीर में लाभ मिलता है |
  • इंद्रजो, कूड़े की छाल, नागकेशर नील कमल, लोध्र और धाय के फुल इनके कल्क द्वारा घी पकाकर सेवन करने से खुनी बवासीर में आराम मिलता है |

तो ये उपरोक्त धन्वतरी के आयुर्वेदिक नुस्खे बताये गए रोगों में अपनाने से लाभ मिलता है |

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *