चेहरे के दाग धब्बे हटाने वाले 7 योग आसन | 7 Yoga Asanas for removing facial spots

चेहरे के दाग धब्बे हटाने के लिए योग: प्राणी जगत में सुन्दरता का विशेष महत्व है | हर कोई सुन्दरता की तरफ जल्दी आकर्षित होता है इसलिए पुरुष हो या स्त्री हर कोई सुंदर दिखना चाहता है | इस सुंदर दिखने की चाहत में वह अनेक मंहगे प्रोडक्ट काम में लेता है और कई बार यही मंहगे प्रोडक्ट धन खर्च के साथ साथ उसे अनेक साइड इफेक्ट करके अनेक रोग भी दे देता है |

अत : इन मंहगे प्रोडक्ट पर खर्च की बजाय हम योग के द्वारा भी चेहरे के दाग -धब्बे हटाकर चेहरे को सुंदर बना सकते है | आज इस पोस्ट में हम आपको चेहरे के दाग -धब्बे हटाने के लिए 7 योग आसनों के बारे में बतायेगे | चेहरे के दाग धब्बे हटाने के लिए योग जानने से पहले इस लेख के बारे में जान लेते है |

लेख का नामचेहरे के दाग धब्बे हटाने के लिए योग | Yoga Asanas for removing facial spots
लेखक Dr. Sarikha Sharma
कुल शब्द 1236
योग धनुरासन, चक्रासन, सूर्य नमस्कार, भस्त्रिका प्राणायाम, कपालभाती प्राणायाम, नौकासन, सर्वांगासन
श्रेणी योग

चेहरे के दाग धब्बे हटाने के लिए 7 योग | Top 7 Yoga for Beautiful Face

यहाँ निचे हमने उन योग आसनों की विधि एवं लाभ के बारे में बताया है, जो चेहरे के दाग – धब्बे हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है | इन योगासनों को अपनाने से सम्पूर्ण स्वास्थ्य सुधरता है | साथ ही चेहरे की सुन्दरता भी निखर कर आती है |

1. धनुरासन से हटायें दाग – धब्बे

धनुरासन

आकृति – धनुष के समान

विधि – पेट के बल जमीन पर लेट जाये |घुटनों से पैरों को मोड़ते हुए दोनों हाथों से एड़ियो के पास पकड़ें और सिर व सीने को भी उपर उठाए | हाथों को सीधे रखते हुए पैरों की मांसपेशियों में तनाव पैदा करते हुए खीचें |इस प्रकार आगे -पीछे झूलते हुए हल्का व्यायाम भी कर सकते है |

लाभ –

  • पुराने कब्ज को दूर करता है जिससे चेहरे पर होने वाली फुंसियो से छुटकारा मिलता है |
  • पाचन तंत्र को मजबूत बनता है जिससे भोजन का पाचन ठीक प्रकार से होता है और चेहरे पर निखार आता है |
  • जठराग्नि को ठीक करता है |
  • मोटापे का दुश्मन है और शरीर में स्फूर्ति लता है जिससे चेहरे पर ओज आता है |
  • स्त्रियों के प्रजननं तंत्र को क्रियाशील बनाता है |

2. चक्रासन से बढती है चेहरे पर चमक

चक्रासन

विधि – पीठ के बल जमीन पर लेट जाए | अब दोनों पैरो को मोड़कर एड़ियो को नितंब से सटा ले एवं दोनों हाथों को कान के पास इस प्रकार रखें की अगुलियां पैरों की तरफ रहें | अब धीरे -धीरे सिर की तरफ वजन देते हुए मध्य वाले भाग से पूरे शरीर को ऊपर उठाएं |इसी अवस्था में कुछ देर रुके | मूल अवस्था में वापिस आते समय श्वास बाहर छोड़े और पहले सिर जमीन से टिकाए, फिर शरीर को नीचें लाए |

लाभ –

  • यह पेट, पीठ व प्रजनन अंगो के लिए काफी लाभदायक है |
  • स्त्रियों के आंतरिक रोगों को ठीक करता है जिससे स्त्री प्रसन्ता का अनुभव करती है पर यही प्रसन्ता चेहरे पर निखार लाती है |
  • शरीर को लचीला बनाता है |
  • जांघे, मेरुदंड व भुजाएँ मजबूत बनाता है|
  • वायु रोगों को दूर करता है जिससे चेहरे के ओज तेज को बढ़ावा मिलता है |

3. सूर्य नमस्कार है सौंदर्य दायक योग

सूर्य नमस्कार

विधि – प्रार्थना की मुद्रा में पंजों को मिलाकर पूर्व दिशा की तरफ सीधे खड़े हो जाए | पूरे शरीर को शिथिल कर दे एवं आगे के अभ्यास के लिए तेयार रहे और अनाहत चक्र पर ध्यान लगाये |इसे करते समय श्वास क्रम सामान्य रखे |

लाभ –

  • रक्त संचार सामान्य करता है |
  • एकाग्रता एवं शांति प्रदान करता है |
  • यह चेहरे के नूर को बढ़ाने में बहुत ही महत्वपूर्ण योग आसन है |

4. भस्त्रिका प्राणायाम से होता है चेहरा साफ़ सुथरा

भस्त्रिका प्राणायाम

विधि – जेसे लोहार धोंकनी द्वारा वायु भरता है उसी प्रकार नासिका द्वारा वायु को उदर में भर शनै : शनै :पेट में चलाए |इस तरह बीस बार करके कुंभक द्वारा वायु धारण करें फिर लोहार की धोंकनी से जेसे वायु निकलती है वैसे ही नासिका द्वार से वायु निकालें यह भसित्रका कुंभक कहलाता है |इस प्रकार तीन बार नियम से करें |

लाभ –

  • इस प्राणायाम को करने से किसी प्रकार का रोग नहीं होता है और आरोग्य की वृद्धि होती है |
  • इससे शरीर के विजातीय, विषेले तत्व का निष्कासन होता है जिससे चेहरे पर होने वाले कील -मुहासों से छुटकारा मिलता है और चेहरा दाग रहित और चमकदार बना रहता है |
  • रक्त को शुद्ध करता है जिससे चेहरे पर तेज बढ़ता है |
  • यह प्राणायाम वात ,पित व कफ का नाशक है और कुण्डलिनी को जगाने वाला आसन है |

5. कपाल भाति प्राणायाम

कपालभाती

कपाल का अर्थ है खोपड़ी और भाति का अर्थ है चमक अर्थात् जिस प्राणायाम को करने से माथे का तेज प्रकट हो वह कपाल भाति प्राणायाम कहलाता है |

विधि – यह प्राणायाम भसित्रिका प्राणायाम की तरह ही है |इस प्राणायाम में श्वास लेने की गति धीमी होती है और श्वास छोड़ने की गति सशक्त होती है | पूरा ध्यान रेचक क्रिया में लगाएं और शक्ति पूर्वक श्वास बाहर निकाले |दोनों नेत्रों को बंद करके आज्ञाचक्र में ध्यान लगाये और ताजगी व शक्ति का अनुभव करे |

लाभ –

  • इस प्राणायाम से ताजगी,शांति और प्रसन्नता आती है|
  • मस्तिष्क रोगों में फायदा मिलता है|
  • मोटापा कम करता है|
  • शरीर का वजन संतुलित करता है और चेहरे पर चमक लाता है|

6. नोकासन से हटायें चेहरे के दाग – धब्बे

नौकासन

विधि – पीठ के बल लेट जाए |हाथों को भी समानांतर रखें |श्वास लें फिर दोनों पैर दोनों हाथ, धड़ व सिर को एक साथ जमीन से धीरे -धीरे ऊपर उठाएं |ध्यान रहें सिर और पैर लगभग एक ही उंचाई पर रहें | जितनी देर इस अवस्था में रह सकते है उतनी देर रुके |यह आसन पूर्ण नोकासन कहलाता है |

लाभ –

  • पेट की आंतो पर अच्छा प्रभाव पड़ता है जिससे पेट निरोगी बनता है और जब पेट निरोगी होता है तो फेस पर निखार अपने आप आ जाता है|
  • पेट के कीड़ो का नाश करता है जिससे भोजन का पाचन सही प्रकार से होता है |
  • अपने स्थान से हटी हुई नाभि को ठीक करता है |
  • इस आसन से पीठ बहुत ज्यादा मजबूत होती है|
  • इस आसन को नियमित करने से महिलाएं अपने स्त्री रोगों को लाभ पहुचा सकती है जेसे डिम्बाशय,गर्भाशय,बच्चे के जन्म के बाद योनी,जरायु और लटकते पेट को ठीक कर सकती है|

7. सर्वांगासन

सर्वांगासन

शाब्दिक अर्थ – सर्व का अर्थ पूरा,पूर्ण या सभी है और अंग का अर्थ शरीर का भाग चूँकि इस आसन से पूरा शरीर लाभान्वित होता है इसलिए इस आसन का नाम सर्वांगसन है|

विधि – पीठ के बल लेट जाएँ | दोनों हाथ जमीन पर कमर के अगल -बगल में रखें |घुटनों को कड़ा रखते हुए धीरे -धीरे दोनों पैरो को ऊपर की और इतना उठाएँ कि कमर और पैर लगभग समकोण बना लें अब अपनी हथेलियों को कमर पर लगाएँ और धीरे -धीरे कमर को हाथों के सहारे इतना उठाएँ की आपकी ठुड्डी आपके सीने को छूने लगे |चूँकि आपने अभी हाथों का अवलंबन लिया है अत :यह सालंब सर्वांगसन कहलाता है |अभ्यास हो जाने के बाद हाथों का अवलंबन हटा ले | यह सर्वांगसन कहलाता है एस आसन को प्रतिदिन करने से आशातीत लाभ मिलता है|

लाभ –

  • यह आसन करने से रक्त की मात्रा बढ़ जाने से ग्रन्थि की कार्यक्षमता बढ़ जाती है,जिससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है |
  • बालो का झड़ना रोकता है,चेहरे को साफ, चमकदार व तेजोमय बनाता है |
  • कामशक्ति को व्यवस्थित कर काम-विकार का शमन करता है |
  • नेत्र -ज्योति, निम्न रक्तचाप, पाचन-संस्थान,रक्त-विकार व प्रमेह आदि रोगों के लिए यह नितांत उपयोगी है |
  • स्त्रियों की मासिक धर्म सम्बन्धी बीमारियों को ठीक करता है |
  • इस आसन को नियमित करने से सम्पूर्ण शरीर स्वस्थ रहता है और चेहरे पर हर समय चमक रहती है |

धन्यवाद |

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