आयुर्वेद में औषधियों के अलग अलग तरह की होती हैं, जैसे पाक, रस, वटी, गुटीका, अवलेह, अर्क एवं चूर्ण आदि | इसमें से आयुर्वेदिक चूर्ण सबसे सरल एवं स्वास्थ्यवर्धक होते हैं क्योंकि इन्हें बनाना बहुत आसान होता है |
इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही चूर्ण के बारे में बतायेंगे जिन्हें आप आसानी से घर पर बना सकते हैं | तो आइये जानते हैं वो कोनसे चूर्ण हैं :-
- शांतिवर्धक चूर्ण
- सरदर्द नाशक चूर्ण
- शतावर्यादी चूर्ण
- सरल विरेचन चूर्ण
- सारस्वत चूर्ण
- सितोपलादि चूर्ण
- सुखविरेचन चूर्ण
- जातिफलादी चूर्ण
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शांतिवर्धक आयुर्वेदिक चूर्ण – बनाने की विधि, गुण उपयोग एवं फायदे
यह बहुत ही स्वादिष्ट एवं रुचिकर चूर्ण है | शांतिवर्धक चूर्ण दीपन एवं पाचन बढ़ाने वाला चूर्ण है | इसके सेवन से सभी प्रकार के उदर विकार जैसे भूख न लगना, अपच, गैस, कब्ज एवं अजीर्ण आदि रोग नष्ट हो जाते हैं | आइये जानते हैं इसे कैसे बनाया जाये :-
- सोंठ, काली मिर्च, पीपल – सभी एक एक तोला
- लोंग, बड़ी इलायची, निम्बू का सत्व – एक एक तोला
- गेरू, चीनी – तीन तीन तोला
- नोशादर – चार तोला
- सुखा पुदीना – एक तोला
इन सभी जड़ी बूटियों को बारीक़ पीस कर कपड़छान कर लें | इसे किसी शीशी में डाल कर रख लें | इस तरह आप आसानी से इन सभी जड़ी बूटियों को लेकर इस शांतिवर्धक चूर्ण को बना सकते हैं |
शांतिवर्धक आयुर्वेदिक चूर्ण का सेवन कैसे करें ?
इसकी 2 से 4 माशे की मात्रा का सेवन खाना खाने के बाद पानी के साथ करें | इसे चुटकी से थोडा थोडा मुंह में डाल कर खाना चाहिए |
सरदर्द नाशक चूर्ण – गुण, उपयोग, फायदे एवं बनाने की विधि
आधुनिक समय में सर दर्द एक रोजमर्रा की समस्या है | हर व्यक्ति इससे परेशान है | गर्मी की वजह से, मानसिक तनाव के कारण, कमजोर पाचन और शोर शराबे वाले माहौल की वजह से सर दर्द होने लगता है | इस से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति अंग्रेजी दवाओं का सेवन करता है जिसके भविष्य में बहुत घातक प्रभाव देखने को मिलते हैं | सरदर्द नाशक चूर्ण एक सुरक्षित और शीघ्र असर करने वाली आयुर्वेदिक औषधि है |
इस चूर्ण के सेवन से पित्त एवं रक्तजन्य सर दर्द में बहुत लाभ होता है | इसके सेवन से न केवल सरदर्द दूर होता है अपितु निद्रा भी बहुत अच्छी आती है | आइये जानते हैं सरदर्द नाशक चूर्ण कैसे बनायें :-
- सफ़ेद चन्दन, केशर, भांगरा
- मुन्नका, फुलप्रियंगु, काली मिर्च
- गिलोय, मुलेठी, सोंठ
इन सभी को समान मात्रा में लेकर बारीक़ पीस लें | अब इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला दें | इस तरह से सरदर्द नाशक चूर्ण तैयार हो जाता है |
सरदर्द नाशक चूर्ण का अनुपान कैसे करें ?
इसका सेवन 3 माशे की मात्रा में शहद या दूध के साथ करना चाहिए एवं उपर से ठंडा जल पीना चाहिए |
शतावर्यादी आयुर्वेदिक चूर्ण – गुण, फायदे एवं बनाने की विधि
यह चूर्ण बहुत ही पौष्टिक, वाजीकर एवं वीर्य वर्धक है | आइये जानते हैं इसके फायदे :-
- इसके सेवन से शरीर में सभी सप्तधातुओं की वृद्धि होती है |
- यह उत्तम वीर्यवर्धक है |
- इसके सेवन से शुक्र दोष खत्म हो जाता है |
- शतावर्यादी चूर्ण के सेवन से बल एवं पौरुष शक्ति बढती है |
- यह शुक्रवाहिनी नाड़ी की शिथिलता को दूर कर देता है |
- इससे वीर्य का पतलापन, वीर्य की कमी जैसे सभी दोष दूर हो जाते हैं |
आइये जानते हैं इसमें कौन कौन सी जड़ी बूटियां होती हैं और इसे घर पर कैसे बनाया जाये :-
- शतावर, असगंध, कौंच बीज
- सफ़ेद मूसली एवं गोखरू
इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर बारीक़ पीस लें | इस तरह से यह औषधि तैयार हो जाती है |
शतावर्यादी चूर्ण का सेवन कैसे करें ?
इसका सेवन 3 से 6 माशे की मात्रा में रात को सोने से पहले गाय के दूध के साथ करना चाहिए |
सरल विरेचन आयुर्वेदिक चूर्ण के क्या फायदे हैं एवं इसे कैसे बनाते हैं ?
जैसा इसके नाम से प्रतीत हो रहा है यह विरेचन को सरल करने वाला चूर्ण है | यानि इस आयुर्वेदिक चूर्ण के उपयोग से पेट साफ होने में आसानी होती है | अगर आपका पाचन सही नहीं है एवं आपको गैस या कब्ज की समस्या रहती है तो यह चूर्ण आपके लिए बहुत फायदेमंद है | आइये जानते हैं इसके फायदे :-
- यह विरेचन के लिए बहुत गुणकारी है |
- जमे हुए मल को बाहर निकालने के लिए इसका उपयोग करते हैं |
- यह आमाशय, सिर एवं नासा रोगों के लिए उत्तम औषधि है |
- इसके सेवन से भूख न लगने एव अपच की समस्या समाप्त होती है |
- यह खाने में भी स्वादिष्ट है |
बनाने की विधि एवं घटक द्रव्य :-
- सनाय की पत्ती, अनार दाना – 16 तोला प्रत्येक
- बड़ी हर्रे, आंवला, काला जीरा, एवं काला नमक – सभी चार चार तोला
- सेंधा नमक – 6 तोला
इस औषधि को बनाने के लिए सभी को पीस कर चूर्ण बना लें | यह आयुर्वेदिक चूर्ण अत्यंत स्वादिष्ट एवं गुणकारी है |
सरल विरेचन आयुर्वेदिक चूर्ण का सेवन कैसे करें ?
दो या तीन माशा खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करना चाहिए |
सारस्वत चूर्ण क्या है, इसे कैसे बनाते हैं एवं इसके फायदे क्या हैं ?
यह आयुर्वेदिक चूर्ण मस्तिष्क के विकारों में बहुत उपयोगी माना जाता है | उन्माद, यादाश्त की कमी, अपस्मार एवं मस्तिष्क की कमजोरी जैसी समस्याओं में इसका सेवन करने से बहुत लाभ होता है | इसे बनाने के लिए निम्न घटक द्रव्यों का उपयोग होता है :-
- कुठ, सेंधा नमक, सफ़ेद जीरा
- कालाजीरा, पीपल, पाठा
- असगंध, सोंठ, अजमोद, शंखपुष्पी
इन सभी को एक एक तोला लेकर चूर्ण बना लें | फिर इस चूर्ण में दुधिया बच का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला दें | अब इसमें ब्राह्मी रस की भावना देकर इसे छांया में सुखा लें |
इस चूर्ण का सेवन 2 से 4 माशा की मात्रा में सुबह शाम घृत या शहद के साथ करना चाहिए |
सितोपलादि आयुर्वेदिक चूर्ण क्या है, इसे कैसे बनाते हैं एवं इसके क्या क्या फायदे हैं ?
यह सर्वरोगहारी आयुर्वेदिक चूर्ण है | इसके सेवन से सर्दी, जुखाम, खांसी, सर दर्द, हाथ पैरो में जलन, अग्निमांध, अपच एवं भूख न लगने जैसे अनेको रोग दूर हो जाते हैं | बच्चों में सर्दी खांसी एवं कफ जमने की समस्या बहुत होती है, ऐसे में यह चूर्ण बहुत हितकारी होता है | पित्त वर्द्धि के कारण अगर कफ छाती में जम गया हो तो इसके सेवन से बहुत लाभ होता है | इस चूर्ण को आप आसानी से घर पर तैयार कर सकते हैं | इसके लिए निम्न जड़ी बूटियों की आवश्यकता होगी :-
- मिश्री – 17 तोला
- वंशलोचन – 8 तोला
- पिप्पली – 4 तोला
- छोटी इलायची – 2 तोला
- दालचीनी – 1 तोला
इन सभी को कूट छान कर चूर्ण बना लें | सर्दी जुकाम, कफ, खांसी, ज्वर, क्षय एवं अग्निमांध जैसी समस्याओं में इसकी 2 माशे की मात्रा का सेवन सुबह शाम शहद के साथ करना चाहिए |
सुखविरेचन आयुर्वेदिक चूर्ण – गुण, फायदे एवं बनाने की विधि |
यह आयुर्वेदिक चूर्ण मृदु विरेचक औषधि है | अपच एवं कब्ज की समस्या में इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है | यह कब्जियत को शीघ्र नष्ट करता है | इसके एक दो बार सेवन से ही दस्त खुल कर लगने लग जाते हैं | यह उदर एवं आंतो में होने वाली जलन को भी कम करता है एवं जठराग्नि को प्रज्वलित करता है | इस चूर्ण को बनाने के लिए निम्न जड़ी बूटियों का उपयोग होता है :-
- निशोथ, काला दाना, सनाय की पत्ती – 6 – 6 तोला
- सोंफ, हरड का छिलका, गुलाब के फुल – 3-3 तोला
इन सभी को बताई गयी मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें | इसका सेवन तीन से छः माशे की मात्रा में रात को सोने से पहले एवं सुबह उठते ही गुनगुने पानी के साथ करना चाहिए | इससे कब्ज दूर होती है एवं साफ दस्त लगता है |
जातिफलादी चूर्ण – गुण, फायदे एवं बनाने की विधि |
यह बेहद गुणकारी आयुर्वेदिक चूर्ण है | इससे गृहणी, अतिसार, पेट में दर्द एवं मरोड़, भोजन में अरुचि, मन्दाग्नि एवं वात तथा कफ विकार दूर हो जाते हैं | इसमें भांग की मात्रा विशेष होने से यह दस्त रोकने वाला होता है | यह खाने में रुचिकर एवं मधुर होता है | इसे बनाने के लिए निम्न द्रव्यों की आवश्यकता होती है :-
- जायफल, लोंग, छोटी इलायची, तेजपता
- दालचीनी, नागकेशर, कपूर
- सफ़ेद चंदन, काला तिल, वंशलोचन
- तगर, आंवला, तालीशपत्र
- पीपल, हर्रे, चित्रकछाल
- सोंफ, वायविडंग, मिर्च, कलोंजी
इन सभी जड़ी बूटियों को बारीक़ पीस कर चूर्ण बना लें | अब इसमें बराबर मात्रा में धुली हुयी भांग का चूर्ण मिला दें | इस मिश्रण में अब बराबर भाग में मिश्री मिला लें |
इसकी एक से दो माशा की मात्रा का सेवन सुबह शाम करना चाहिए |
धन्यवाद !