नमस्कार पाठकों, ” जलोदर रोग ” या पेट में पानी भरने की समस्या एक प्राणघातक विकार है | अत्याधिक मात्रा में शराब का सेवन करना लिवर में पानी भरने का प्रमुख कारण है | इस लेख में हम जलोदर रोग के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे | आइये जानते हैं :-
- जलोदर (Ascites) रोग क्या है ?
- पेट में पानी भरने (जलोदर) के क्या कारण हैं ?
- जलोदर रोग (लिवर में पानी भर जाना) के लक्षण क्या हैं ?
- इस रोग का पता करने के लिए क्या टेस्ट होता है ?
- जलोदर (Ascites) का आयुर्वेदिक उपचार क्या है ?
- इस रोग में क्या खाएं ?
- क्या यह रोग (जलोदर) प्राणघातक है ?
- क्या Ascites का इलाज (उपचार) संभव है ?
- जलोदर रोग से बचने के लिए क्या उपाय करें ?
- इस रोग के शरीर पर क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं ?
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जलोदर (पेट में पानी भर जाना) रोग क्या है ?
पेट या लीवर में पानी भर जाना जलोदर (Ascites) कहलाता है | यह कोई रोग नही अपितु अन्य रोगों के कारण उत्पन्न हुयी समस्या है | लिवर में इन्फेक्शन, ह्रदय एवं वृक्क में उत्पन्न हुए विकार इसका प्रमुख कारण है | अगर पेट में 25 ml से ज्यादा पानी इक्कठा हो जाये तो Ascites हो सकता है |
आयुर्वेदानुसार उदर रोग 8 प्रकार के होते हैं | त्रिदोषों में विकार आयुर्वेद में हर रोग का कारण माना जाता है | उदर रोग वात दोष में विकार के कारण होते हैं | जब वात प्रकुपित होकर पेट में त्वचा एवं मांसपेशियों के उत्तको के मध्य जमा हो जाये तो इससे सुजन आ जाती है | उत्तेजित वात के अलावा पाचन अग्नि (जठराग्नि) के मंद हो जाने से भी उदर रोग हो जाते हैं | इस प्रकार किसी रोग या विकार के कारण पेट में पानी भर जाने की समस्या जलोदर रोग कहलाती है |
जानें इस रोग (जलोदर) के लक्षण क्या हैं ?
किसी रोग के उपचार से पहले जरुरी है कि हमें उसके लक्षण पता हों | जिससे समय रहते रोग की पहचान हो जाये एवं उचित इलाज एवं सावधानी से उसे ठीक किया जा सके | आइये जानते हैं जलोदर रोग के लक्षण क्या हैं ?
- आंत में सुजन आ जाना |
- पेट में भारीपन महसूस होना |
- खाना खाने के बाद उल्टी हो जाना |
- पैर की निचले हिसे में सुजन रहना |
- अपच रहना |
- खाना नही खाने पर भी पेट भरा हुवा महसूस होना |
- श्वास लेने में कठिनाई होना |
Ascites (पेट में पानी भर जाना) रोग के कारण क्या हैं ?
यह रोग लिवर से जुड़े विकारों के कारण होता है | अगर किसी विकार या रोग के कारण पाचन शक्ति कमजोर हो जाये एवं पेट में पानी भर जाये तो जलोदर रोग हो जाता है | आइये जानते हैं इसके प्रमुख कारण क्या हो सकते हैं :-
- ज्यादा शराब पीना इस रोग का प्रमुख कारण है |
- लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) |
- अशुद्ध आहार लेना |
- ज्यादा मसाले एवं अम्लीय भोजन करने से |
- जठराग्नि कमजोर हो जाना |
- वात दोष में विकार हो जाना |
- कैंसर रोग के कारण |
- हृदय रोग के प्रभाव से |
- यकृत में इन्फेक्शन हो जाने से |
जलोदर रोग (Ascites) का पता करने के लिए कोनसा टेस्ट किया जाता है ?
सामान्यतः रोगी के लक्षणों से इस रोग का पता चल जाता है | इसके लिए आप टेस्ट भी करा सकते है | दो तरह के टेस्ट इस रोग का पता करने के लिए किये जाते हैं |
- फ्लूइड सैंपल (द्रव जांच) :- इसमें एक सुई की मदद से आप के पेट से तरल पदार्थ निकाल कर उसकी जांच होती है | इससे किसी इन्फेक्शन या कैंसर का पता चलता है |
- MRI या CT scan :- अल्ट्रासाउंड, MRI या CT Scan की मदद से पेट के अन्दर की स्थिति का जायजा लेकर भी इसका पता लगाया जा सकता है |
पेट में पानी भर जाने (जलोदर रोग) का आयुर्वेदिक इलाज या उपचार क्या है ?
आधुनिक विज्ञानं ने चिकित्सा क्षैत्र में बहुत उन्नति की है | बहुत से रोगों का इलाज आज आधुनिक चिकित्सा से संभव है | लेकिन ऐसा कोई उपचार या दवा एलोपथी में उपलब्ध नहीं है जिससे जलोदर का पुर्णतः इलाज संभव हो | अंग्रेजी दवाओं एवं इलाज से एक बार पानी को निकाल दिया जाता है लेकिन कुछ समय उपरांत यह पुनः भर जाता है | आयुर्वेद ग्रंथो में बताये उपचार, खान-पान एवं दवा के माध्यम से ही इस रोग का पुर्णतः इलाज संभव है |
आचार्य चरक ने चरक संहिता में उदररोगों के बहुत से कारण बताये हैं जिसमे जठराग्नि कम हो जाना, अशुद्ध आहार, प्रकुपित वात दोष एवं आंत में इन्फेक्शन हो जाना प्रमुख है | अतः इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए इसका इलाज किया जाता है | सिमित एवं शुद्ध भोजन करके एवं आयुर्वेदिक उपचार अपनाकर जलोदर का पूर्णतया इलाज किया जा सकता है | जानते है जलोदर रोग का इलाज क्या है :-
1. विरेचन से करें जलोदर रोग (Ascites) का इलाज :-
आयुर्वेदानुसार इस रोग का कारण प्रकुपित वातदोष है | विरेचन त्रिदोषों के संतुलन एवं पेट में द्रव को उचित मात्रा में बनाये रखने के लिए उत्तम उपाय है | यकृत रक्त के मुख्य स्थान है एवं रक्त एवं पित्त एक दुसरे पर आश्रित होते है | पित्त दोष को दूर करने के लिए विरेचन सबसे अच्छा उपाय है | इसके साथ ही विरेचन से पेट की गुहा में जमा द्रव कम होता है एवं पेट की सुजन कम होती है |
विरेचन एक आयुर्वेद चिकित्सा की प्रक्रिया है जिसमे औषधियों से रोगी के दूषित दोषों को मल के द्वारा बाहर निकाला जाता है | इस प्रक्रिया से त्वचा रोगों, सोरायसिस, मधुमेह एवं उदर रोगों में बहुत लाभ होता है | जलोदर रोग को ठीक करने के लिए विरेचन जरुरी है |
2. आयुर्वेदिक औषधियों से पेट में भरे द्रव को निकाल कर जलोदर का इलाज :-
जलोदर रोग का कारण पेट में द्रव का निश्चित मात्रा से ज्यादा एकत्र हो जाना है | इस द्रव को पेट से निकाल कर इस रोग का इलाज संभव है | इसके लिए सबसे पहले तो जरुरी है की रोगी को तरल पदार्थ एवं भोजन कम दिया जाये | सामान्यतः जलोदर रोग के इलाज के लिए रोगी को सिर्फ दूध पिलाया जाता है | पेट में जमा पानी को कम करने के लिए गोमूत्र का सेवन करना चाहिए | गोमूत्र में उष्ण एवं तीक्ष्ण गुण के कारण यह पेट में पानी भरने की समस्या को कम करता है |
3. जठराग्नि को मजबूत करके Ascites रोग का इलाज करें :-
किसी भी प्रकार के उदर रोग में मन्दाग्नि (पाचन शक्ति कमजोर होना) प्रमुख कारण होती है | पाचन अग्नि को मजबूत करके जलोदर रोग का इलाज किया जा सकता है | आयुर्वेद में त्रिकटू चूर्ण एवं शिवाक्षर पाचन चूर्ण पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी औषधि हैं | जलोदर रोग में इन दोनों औषधियों का सेवन करना चाहिए | इसके सेवन से जठराग्नि मजबूत होगी एवं पेट में पानी भरने की समस्या में लाभ मिलेगा |
4. लिवर में इन्फेक्शन को ठीक करके इस रोग का इलाज संभव है :-
अगर लिवर में इन्फेक्शन हो जाये या अन्य कोई लिवर का रोग हो तो जलोदर रोग हो सकता है | आयुर्वेद में बहुत सारी औषधियां हैं जो लिवर रोगों में अत्यंत लाभदायी हैं | आरोग्यवर्धिनी वटी एवं सर्पुन्खा स्वरस लिवर के लिए बहुत उपयोगी है | इनका सेवन करके लिवर इन्फेक्शन को कम किया जा सकता है | एवं जलोदर रोग में इनसे अत्यंत लाभ मिलता है |
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पेट में पानी भरने की समस्या की आयुर्वेदिक दवा क्या है ?
चरक संहिता एवं अन्य आयुर्वेद ग्रंथो में इस रोग के निदान के लिए बहुत सी औषधियों का उल्लेख है | आइये जानते है कुछ बेहतरीन आयुर्वेदिक दवाएं जिनसे उदर रोग का इलाज हो सकता है :-
- आरोग्यवर्धिनी वटी |
- सर्पुन्खा स्वरस |
- गौमूत्र |
- पुनर्नवादी क्वाथ |
- पुनर्नवादी मंडूर |
- एरंडभृष्ट हरीतकी |
- त्रिकटू चूर्ण |
- शिवाक्षर पाचन चूर्ण |
Ascites (पेट में पानी भरना) रोग में क्या खाएं ?
इस रोग के इलाज के लिए बहुत जरुरी है की उचित खान-पान करें एवं परहेज रखें | आइये जानते है जलोदर रोग में क्या खाएं एवं क्या न खाएं ?
- तरल पदार्थ कम खाएं |
- ज्यादा मसाले वाला भोजन न करें |
- अम्लीय खाना न खाएं |
- नमकीन चीजें न खाएं |
- शराब का सेवन बिलकुल भी न करें |
- कम खाना खाएं |
- जहाँ तक हो सके सिर्फ दूध का सेवन करें |
- धुम्रपान न करें |
- फलों का सेवन करें |
पेट में पानी भरने की बीमारी में उपयोगी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां
आयुर्वेद में इस रोग के उपचार के लिए बहुत सी औषधियो का उल्लेख है | ऐसी जड़ी बूटियां जो जलोदर रोग में लाभदायी हैं :-
- कपूर |
- कुमारी |
- ज्योतिष्मती |
- जंगली प्याज |
- दंती |
- देवदारु |
- कटुकी |
क्या जलोदर रोग (Ascites) प्राणघातक है ?
यह रोग व्यक्ति के लिए बहुत कष्टदायी है | जलोदर रोग में पेट में भारीपन रहना, साँस लेने में तकलीफ एवं वजन बढ़ जाना जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | लेकिन नजरंदाज करने एवं उच्चित इलाज के अभाव में यह प्राणघातक भी हो सकता है |
यहाँ पर दी गयी जानकारी आयुर्वेद ग्रंथो पर आधारित है | लेकिन किसी भी अवस्था में इस रोग के इलाज के लिए इसे चिकित्सकीय सलाह न माने |
धन्यवाद !
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