चमकती त्वचा एवं शारीरिक सौन्दर्य के लिए अपनाएं ये 7 योग

चमकती त्वचा एवं शारीरिक सौन्दर्य के लिए अपनाएं ये 7 योग

सुन्दरता के लिए योग :- चमकता – दमकता सौन्दर्य किसे नहीं चाहिए ! चमकती त्वचा एवं सुन्दर काया सभी के लिए आकर्षण का केंद्र होते है | बहुत से युवक एवं युवतियां अच्छी शारीरिक शेप एवं चमकती त्वचा के लिए काफी परेशान रहते है | इनमे से अधिकतर तो कॉस्मेटिक आइटम्स एवं अन्य केमिकल उत्पादों से अपने आप को सुन्दर दिखाना चाहते है , लेकिन यथार्थ में ये सभी नकली साबित होते है | इन केमिकल उत्पादों के कुच्छ समय के उपयोग से ही साइड इफेक्ट्स दिखाई देने लगते है |

कील-मुंहासे, आँखों के निचे काले घेरे, बेजान त्वचा एवं ढलती उम्र का असर आदि कुच्छ ऐसे कारण होते है जो आपको बेडोल एवं भद्दा दिखा सकते है | योग के आसनों से रक्त की शुद्धि होती है एवं साथ ही त्वचा पर हुए प्रदुषण का असर भी खत्म होता है | योग करते समय शरीर के कई अंगो की एक्सरसाइज़ होती है जो शरीर के अंगो को शेप में करने में मददगार साबित होते है |

सौन्दर्य के लिए योग

योग की आसान क्रियाओ को अपनाकर प्राकृतिक रूप से सुडोल एवं सुन्दर काया को पाया जा सकता है | प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए प्राकृतिक उपाय ही कारगर साबित होते है | अत: यहाँ हमने सौंदर्य के लिए योग के 7 प्रमुख आसनों के बारे में बताया है, जिनको अपनाकर आप प्राकृतिक रूप से चमकती त्वचा एवं सुडोल शरीर बना सकते है |

सुन्दरता के लिए प्रमुख 7 योग / Yoga For Beauty & Body Shape in Hindi

1. बकासन से झुर्रियो का खात्मा

बकासन का शाब्दिक अर्थ “बगुले जैसा आसन” होता है | इस योगासन को करने से चेहरे पर आई हुई झुर्रियां समाप्त होती है | साथ ही इसे करने से नाभि पर जोर पड़ने के कारण सभी 72000 नाड़ियों पर असर पड़ता है | आसन को करने के लिए सबसे पहले उकडू बैठ जाएँ और दोनों हाथों के पंजे जमीन पर रखें | अब धीरे – धीरे पूरा संतुलन बना कर शरीर का पूरा वजन हाथों पर डालें |

धीरे – धीरे ऊपर उठें एवं घुटनों को कंखों के बगल से स्पर्श करवाएं | अब धीरे – धीरे एडियों को नितम्बो से निचे की तरफ रखिये | सिर को भी थोडा निचे की तरफ ले जाएँ ताकि सिर एवं एडियाँ दोनों समान स्थिति में हो |

इस आसन को करते समय श्वास – प्रश्वास (श्वांस अन्दर लेने व छोड़ने की क्रिया) को समान रखना चाहिए एवं कम से कम 5 से 15 सेकंड तक करना चाहिए |

2. पादांगुष्ठासन से मिले सुडोल एवं आकर्षक शरीर

अगर आप नितम्ब, कमर, मेरुदंड, पेट एवं सीना सभी को आकर्षक बना कर व्यक्तित्व में चार चाँद लगाना चाहते है तो निश्चित ही इस आसन को अवश्य अपनाएं | शारीरिक सौन्दर्य बढ़ाने एवं मोटापे को कम करने में यह अत्यंत लाभदायक योगासन है |

पादांगुष्ठासन को करने के लिए सबसे पहले ताड़ासन में खड़े हो जाएँ | दोनों पैरों के बिच लगभग 1 फीट का गैप रखें | अब धीरे – धीरे श्वांस छोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें एवं पैरों के अंगूठों को अपने दोनों हाथों से पकड़ें | अंगूठे को हाथों से पकड़ते समय एसा हो की आपकी दोनों हथेलियाँ आमने – सामने हो जाएँ | पहले सिर एवं कमर को सीधा रखें , फिर सिर को घुटनों से स्पर्श करवाएं ताकि पैर की अँगुलियों पर थोडा तनाव पड़ें | योग की इस स्थिति में 10 सेकंड तक रुकना चाहिए एवं बाद में धीरे – धीरे पूर्व अवस्था में आ जाएँ |

3. पद्मासन

चेहरे की चमक को बढाता है एवं साधक को ओजवान बनाता है | पद्मासन सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक दोषों का हरण करता है तभी इसे सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाला योग कहा गया है | इसके अभ्यास से मानसिक विकार जैसे चिंता, क्रोध एवं चंचलता का नाश होता है , साथ ही पेट एवं सीने के लिए लाभदायक होता है |

सबसे पहले सामने की तरफ सीधे पैर करके बैठ जाएँ | अब बाएं पैर के पंजे को दायें पैर की जांघ पर एवं दायें पैर के पंजे को बाएं पैर की जांघ पर रखें | दोनों पैर के घुटनों को जमीं स्पर्श करवाएं एवं कमर को बिलकुल सीधी रखें | हाथों को दोनों घुटनों पर रखें , बाद में धीरे – धीरे नाभि के पास लेजाकर नाभि से स्पर्श करवाएं | इस अवस्था में कुच्छ समय रुके , श्वास – प्रश्वास को सामान्य चलने दें |

4. सूर्य नमस्कार संपूर्ण सुन्दरता के लिए

वे महिलाऐं जो अपने शरीर को सुन्दर, सुडोल एवं गठीला बनाना चाहती है वे इस आसन को अवश्य अपनाएं | सूर्य नमस्कार करने से सूर्य के समान चमकती देह मिलती है | यह शरीर की सभी बिमारियों को समाप्त करता है एवं साधक को सूर्य के समान ओजवही एवं तेजवान बनाता है |

सूर्यनमस्कार करने के लिए सबसे पहले प्राथना की मुद्रा में दोनों पंजो को मिलाकर पूर्व दिशा में खड़े हो जाएँ | अब दोनों हाथो को ऊपर उठायें और सिर एवं धड़ को यथासंभव पीछे झुकावे | इस अवस्था में थोड़े समय रुकें , अब पूर्ववत आकर सामने की तरफ झुकते हुए दोनों हाथो के पंजो को पैरों के बगल में स्पर्श करते हुए सिर को घुटने से स्पर्श करें और श्वास को भी अधिक से अधिक बहार छोड़े | अब मूल अवस्था में आने के पश्चात बाएं पैर को जितना पीछे ले जा सकते है उतना ले जाएँ , ध्यान दे इस समय दायें पैर के पंजे को अपनी जगह दृढ़ता से स्थिर रखते हुए , पंजे को मोड़े | दोनों हाथों को को जमीं से स्पर्श करवाएं एवं इन्हें सीधी अवस्था में रखें | अब पूर्ववत प्राथना मुद्रा में वापिस आ जाएँ |

5. नौका संचालन क्रिया

बदन को छरहरा एवं आकर्षक बनाने के लिए नौका सञ्चालन क्रिया लाभदायक है | इस आसन के अभ्यास से हाथों के कंधो, कमर, पेट, मेरुदंड एवं पैरों का अच्छा व्यायाम होता है | अत: इनसे जुड़े विकार भी दूर होते है |

नौका सञ्चालन क्रिया वैसी ही जैसी नौका खेने वाला खिवैया करता है , तभी इसे नौका सञ्चालन नाम दिया गया है | इस क्रिया को करने के लिए सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएँ और पैरों को सामने की तरफ फैला लें | अब नाव चलाने जैसी क्रिया आगे – पीछे होकर हाथों से करें |

6. उष्ट्रासन

योग का यह आसन चेहरे, गले एवं पेट की मांसपेशियों पर खिंचाव पैदा करता है | जिससे चेहरे, गले एवं पेट की त्वचा में निखार आता है | साथ ही उदरविकार नितंभ एवं पेट की अतिरिक्त चर्बी को खत्म करता है |

आसन को करने के लिए सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएँ | इसके बाद घुटनों के बल खड़े होकर धीरे – धीरे पीछे झुकते हुए अपने दोनों हाथों से पैरों के पंजो को पकडे | सिर को पीछे की तरफ झुका कर रखें | इस अवस्था में 5 से 10 सेकंड या यथासंभव रुकें | धीरे – धीरे पूर्ववत स्थिति में आ जाएँ | एसा कम से कम 5 बार अवश्य करें |

7. सुर्यभेदी प्राणायाम से बढ़ती है चहरे की चमक

यह प्राणायाम चेहरे पर ओज एवं कांति की व्रद्धी करता है | जिनके चेहरे से ओज एवं प्राकृतिक कांति गायब हो गई हो वे इसे जरुर अपनाएं | सूर्यभेदी प्राणायाम के अन्य भी स्वास्थ्य लाभ है | यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है , त्वचा विकार दूर करता है एवं चेहरे की झुर्रियों को ख़त्म करता है | साइनस एवं निम्न रक्त चाप में भी लाभदायक है |

सुर्यभेदी प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएँ | अब बाएं नासिका छिद्र को बंद करलें और दायें नासिका छिद्र से श्वास अन्दर लें | ध्यान दे इस समय गहरा और दीर्घ श्वास अन्दर लेना चाहिए | अब नाक को बंद करले और कुच्छ समय के लिए कुम्भक करें | यथासंभव कुभाक करने के पश्चात धीरे – धीरे बाएं नासिका द्वार से श्वास को छोड़े | इस प्रकार से इसका एक चक्र पूरा होता है | कम से कम 10 चक्र तो अवश्य ही करने चाहिए |

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