कुलथी के गुणधर्म, फायदे एवं 7 बेहतरीन स्वास्थ्य लाभ

कुलथी क्या है – दक्षिण भारत में कुलथी का प्रयोग बहुतायत से किया जाता है | इसकी दाल बनाकर एवं अंकुरित करके अधिक प्रयोग में लेते है | आयुर्वेद में कुलथी को मूत्र विकार नाशक एवं अश्मरीहर माना जाता है | इसका पौधा तीन पतियों वाला होता है | जिसमे सितम्बर से नवम्बर में फुल एवं अक्टोबर से दिसम्बर में फल लगते है | वैसे इसके फलों का उपयोग पशुओं के लिए भी किया जाता है लेकिन दक्षिणी भारत में इस औषध द्रव्य से विभिन्न पकवान भी बनाये जाते है | कुलथी इस औषध द्रव्य में प्रचुर मात्रा में विटामिन , प्रोटीन एवं कार्बोहायड्रेट उपलब्ध होता है | मूत्रविकारों एवं पत्थरी की समस्या में इसका उपयोग करने से लाभ मिलता है | अगर निर्देशानुसार उपयोग में ली जावे तो पत्थरी को काटने में उत्तम औषधि साबित होती है | वैसे इस औषध का निर्देशित मात्रा से अधिक सेवन भी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शरीर में अम्लपित की समस्या पैदा कर सकती है |

कुलथी के औषधीय गुणधर्म

यह कटु रस वाली , कसैली, पित्तरक्त कारक, पचने में हलकी , दाह्कारी होती है | इसका वीर्य उष्ण होता है अर्थात कुलथी की तासीर गर्म होती है | उष्ण वीर्य होने के कारण यह श्वास, कास, कफ एवं वात का शमन करने वाली होती है | साथ ही हिक्का (हिचकी), अश्मरी, शुक्र, आफरा, पीनस, मेद ज्वर तथा कृमि को दूर करने में भी उत्तम कार्यकारी औषधि साबित होती है | कुलथी उत्तम मूत्रल, मोटापा नाशक और पत्थरी नासक औषधि है |

कुलथी के फायदे या स्वास्थ्य लाभ 

निम्न रोगों में उपयोग करने से स्वास्थ्य लाभ मिलते है | यहाँ कुच्छ रोग एवं उनमे कुलथी के नुस्खे का वर्णन किया है | अतिरिक्त जानकारी के लिए अपने निजी चिकित्सक से परामर्श कर सकते है | पत्थरी में – पत्थरी की समस्या में कुलथी का उपयोग बहुत फायदेमंद होता है | यह गुर्दे में स्थित पत्थरी को काटने का कार्य करती है | उपयोग करने के लिए सबसे पहले कुलथी क 40 ग्राम बीजों को 4 कप पानी में डालकर उबालें | जब पानी एक कप रह जाये तब इसे उतार कर ठंडा कर के छान ले | इस पानी का उपयोग आधा सुबह एवं आधा शाम में करें | नियमित 15 दिन के उपयोग से पत्थरी गल कर निकलने लगेगी | मूत्र विकारों में – मूत्र के सभी विकार जैसे मूत्र में रूकावट, जलन , जलन के साथ बूंद – बूंद करके मूत्र आना, बुखार के कारण मूत्र में कमी व जलन होना आदि व्याधियों को दूर करने के लिए यह उत्तम औषधि साबित होती है | इस प्रयोग के लिए कुलथी और मकई के रेशे 10 – 10 ग्राम लेकर एक गिलास पानी में उबाले | जब एक कप पानी शेष रह जाए तब इसे छान कर ठंडा करलें | अब इस पानी के तीन भाग करके दो – दो घंटे के अन्तराल से पीने पर रुका हुआ मूत्र खुलकर होने लगता है | शुक्राणुओं की कमी में –  इसमें कैल्शियम , फास्फोरस एवं एमिनो एसिड होते है जो इसे और अधिक उपयोगी बनांते है | शुक्राणुओं की कमी में इसकी दाल का सेवन करने से काफी लाभ मिलता है | प्रसवोत्तर शोथ – कुलथी पुरुषों के साथ – साथ महिलाओं के लिए भी इतनी ही फायदेमंद होती है | महिलाओं में प्रसव उपरांत गर्भाशय में सुजन की समस्या हो जाती है | इस समस्या में भी अगर कुलथी का काढ़ा बना कर सेवन किया जाए तो जल्द ही गर्भाशय की सुजन दूर होती  है | कब्ज एवं पेटदर्द में – इसमें उत्तम लाक्सेतिव गुण होते है | अत: कब्ज की समस्या से पीड़ित भी इसके उपयोग से लाभ उठा सकते है | कुलथी का सेवन करने से कब्ज दूर होती है | जिन्हें पेट दर्द की शिकायत रहती है वे भी कुलथी के बीजों का चूर्ण बना कर 5 ग्राम की मात्रा में दही के साथ उपयोग करने से पेट दर्द की समस्या से मुक्त होते है | मोटापा दूर – मोटे व्यक्तियों को भी इसका सेवन लाभ देता है | नियमित कुलथी की दाल का सेवन करने से मोटापा कम होने लगता है | इसमें उपस्थित कार्बोहायड्रेट उर्जा उपलब्ध करवाती है लेकिन फैट को बढ़ने नही देती | बुखार एवं जुकाम – बुखार में अगर पूरा शरीर तपता हो और अवसाद जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाए तब इसके बीजो से निर्मित चूर्ण का लेप करने से लाभ मिलता है | जुकाम एवं कफज विकारों में इसके बीजों को पानी में उबाल कर सेवन करने से लाभ मिलता है | कुलथी उष्ण वीर्य होने के कारण कफ एवं वात को दूर करने का कार्य करती है | धन्यवाद |

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *